राफेल, सीबीआई आदि ऐसे मुददे हैं कि जिनका जिक्र आते ही कई राजनेता दाएं-बाएं होने लगते हैं. लेकिन इन मामलों के साथ-साथ कई और घोटाले हैं जो नेताओं को अन्कम्फर्टेबल बनाने के लिए काफी हैं. ऐसे ही एक नेता हैं अरूण शौरी. हाल के दिनों में पूर्व भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी कुछ अधिक ही बौखलाए नजर आ रहे थे.
दरअसल, राफेल के मसले पर शौरी के तीखे तेवर की असलियत लक्ष्मी विलास पैलेस होटल बिक्री घोटाले में फंसने की छटपटाहट थी. अब यह बात खुल कर सामने आ रही है कि इस मसले पर शौरी और सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की गोपनीय मुलाकात हुई थी. वर्ष 2002 में जब अरुण शौरी केंद्र में विनिवेश मंत्री हुआ करते थे, तब उदयपुर का आलीशान पांच सितारा लक्ष्मी विलास होटल बिका था. घाटे के उपक‘मों को बेचने के क्रम में भारी घोटाले हुए.
29 एकड़ में फैले लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को महज 7.52 करोड़ रुपए में बेच डाला गया. जबकि उस समय होटल की कीमत सरकारी दर के हिसाब से डेढ़ सौ करोड़ रुपए से अधिक थी. यह तथ्य सीबीआई की प्राथमिक जांच (पीई) रिपोर्ट में दर्ज है. अरुण शौरी के विनिवेश मंत्रालय ने इसके साथ-साथ कई अन्य होटल भी कौड़ियों के भाव बेच डाले थे, जिनमें दिल्ली के कुतुब होटल और लोधी होटल भी शामिल थे.
सीबीआई ने लक्ष्मी विलास पैलेस होटल बिक्री घोटाले की छानबीन शुरू की थी और शौरी के करीबी भरोसेमंद नौकरशाह प्रदीप बैजल के खिलाफ 29 अगस्त 2014 को केस दर्ज किया था. शौरी के ही कार्यकाल में मुंबई का सेंटूर एयरपोर्ट होटल 83 करोड़ में सहारा समूह को बेचा गया था. दिलचस्प यह है कि उसी होटल को सहारा समूह ने 115 करोड़ में बेच डाला. यह सरकार की बिक्री-प्रक्रिया पर करारे तमाचे की तरह था.