मुख्य बातें…..
- प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान आज.
- भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों तैनात किया गया.
आज छत्तीसगढ़ में लोकतंत्र का महापर्व होने जा रहा है. प्रदेश की जनता जनार्दन फैसला करेगी कि सत्ता के उंट की सवारी कौन करेगा. हालांकि, प्रदेश की सियासी समीकरण तो यहां सभी सियासी दलों में कांटे की टक्कर होने की बात कह रहा है. इसी कड़ी में प्रदेश में विधानसभा का दूसरे चरण का मतदान होने जा रहा है.
बता दें कि 19 जिलों के 72 विधानसभा सीटों का चुनाव होने जा रहा है, जिसमें तकरीबन 1079 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा, 119 महीला उम्मीदवार भी शामिल है. चुनाव आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के रायपुर दक्षिण विधानसभा सीटों में सबसे अधिक 46 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होने जा रहा है और बिंद्रानवागढ़ में सबसे कम 6 उम्मीदवार ही मैदान में उतरे हैं.
वहीं, इस कड़ी में राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों के मुताबिक उन्होंने यहां पर चुनाव के दौरान सुरक्षा के लिहाज से भारी संख्या में सुरक्षाबलों समेत अर्धसैनिक बलों को भी भेजा है. इसके साथ ही नक्सल से प्रभावित अति संवेदनशिल इलाकों में भारी संख्या में सुरक्षाबलों को भेजा गया है, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना को देखते ही वे उसपर काबू पा सकें.
गौरतलब है कि प्रदेश में सियासी रण इस बार कुछ खासा ही दिलचस्प होने जा रहा है, क्योंकि चुनाव से पहले तमाम सियासी दलों के नेताओँ ने चुनाव प्रचार के दौरान साम, दम, दंड, भेद का इस्तेमाल करने से कोई भी गुरेज नहीं किया था.
मालूम हो कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व जैसे प्रधानमंत्री नेरंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य नेताओं ने अपनी पार्टी की जीत सुनिशत करवाने के लिए जोरो-शोरों से प्रचार-प्रसार किया था.
वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस भी चुनाव प्रचार में बीजेपी से पीछे नजर नहीं आई थी. बात दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र की सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी की सरकार के हर मुद्दे को लेकर उस पर निशाना साधा था. अब चाहे फिर वो राफेल सौदा हो या फिर सीबीआई विवाद , युवाओं को रोजगार देने का मसला या फिर राम मंदिर कुल मिलाकर कांग्रेस, नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमलावर रही थी.
अब जब इस तरह से दोनों ही शीर्ष पार्टियों ने जमकर प्रचार-प्रसार किया हो तो चुनावी नतीजे देखना चुनावी प्रक्षेकों समेत आम जनता जनार्दन के लिए खासा दिलचस्प साबित होता है.
वहीं, अगर हम कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर अन्य क्षेत्रिय पार्टियों की ओर गौर फरमाते हैं तो हम पाएंगे कि वे भी इन राष्ट्रीय पार्टियों से कमतर नहीं आंकी जा सकती. गौरतलब है कि जैसा कि बसपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का आसार था, लेकिन बसपा ने इस आसार को धाराशाही करते हुए जकाछा से गठबंधन कर लिया.
अब ऐसे में प्रदेश की क्षेत्रिय दल भी सियासी समीकरण को काफी दिलचस्प बनाती है. वहीं, अजीत जोगी ये कहना कि अगर मेरी पार्टी को चुनाव में बहुमत नहीं मिलता है तो मैं बीजेपी में चला जाउंगा कहीं न कहीं बसपा के लिए चिंता का संकेत तो जरूर प्रगट करता है.