चार महीने से ज्यादा समय से कोरोना, लॉक डाउन, जनता कफर््यू, दिन और रात का कफर््यू और शहर बंद के हालात से शहर दो-चार हो रहा है। घर से निकलने और घरों में कैद रहने के कायदे भी इस दौरान वह जान चुका है। लेकिन जिन लोगों के सिरों पर नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी है, वे अब भी अपने फर्जों और अधिकारों में तालमेल ही नहीं बैठा पा रहे हैं। किसी दंगे, फसाद या विकट स्थिति के दौरान बने कफर््यू के हालात को ही वे इस अहतियाती कफर््यू में भी अपनाए हुए हैं। सारा दिन की मेहनत और मशक्कत, घरों पर न जाने की खलिश वे शहर के उन लोगों पर निकालते नजर आ रहे हैं, जो (जरूरत के लिए) घर से निकल आए हैं। अमानवीय व्यवहार और मारपीट से लेकर गाली-गलौच तक करने से गुरेज नहीं किया जा रहा है। शहर हतप्रभ है और गुस्से में भी, कि नियम तोड़ा गया है तो उसके ऐवज में तय की गई सजा का पालन कराया जाए, इस तरह हैवानियत करने की इजाजत उन्हें किससे मिल गई है।
हालात राजधानी भोपाल में लागू दस दिन के लॉक डाउन के आखिरी दिन सोमवार को बने। ऐन मुख्यमंत्री निवास के नीचे पॉलीटेक्रिक चौराहा पर एक शख्स को उसकी पत्नी और बच्चों के सामने इस तरह से पीटा गया, जैसे वह किसी आतंकी संगठन का सरगना हो और पुलिस के हत्थे चढ़ गया हो।

विडियो देखें :

 

सोशल मीडिया पर जारी हुए वीडियो में पुलिस की पूरी टोली से जलील होता दिखाई देने वाला शख्स बाद में बैरागढ़ निवासी धनंजय केशरी के रूप में जाना गया। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ लॉक डाउन के दौरान सड़क पर निकल आए धनंजय की गलती यह भी थी कि वे पुलिस की अमानवीयता और अव्यवहारिकता का वीडियो बना रहा था। एक पुलिस अधिकारी की बदतमीजी के साथ शुरू हुआ किस्सा इस तरह चला कि धनंजय किसी बड़े अपराधी के रूप में पुलिस पिटाई और बदसुलूकी का शिकार होता गया। श्यामला हिल्स थाना प्रभारी तरुण भाटी के बारे में जहां एक तरफ यह कहा जा रहा है कि वे बहुत सौम्य, सरल और सहयोगी अधिकारी हैं, के व्यवहार ने शहर को सकते में ला खड़ा किया है।

पहले भी बने थे हालात

पिछले लॉक डाउन के दौरान भी शहर पर पुलिसिया कहर जमकर बरसा था। घरों से निकलने वालों पर पुलिस की लाठियों की ऐसी बरसात हुई कि लोगों को शहर में मौजूद अपने रक्षकों से खौफ पैदा होने लगा था। बुधवरा, इकबाल मैदान, पीरगेट, चौकी इमामबाड़ा पर लगातार हुईं पुलिस पिटाई के मामले जब उच्च अधिकारियों के सामने पहुुंचे तो उन्होंने इस स्थिति पर नियंत्रण रखने की पुलिस जवानों को हिदायत दी।

सोशल मीडिया पर बिफरे लोग

सोमवार को धनंजय के साथ पुलिस द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार को लोगों ने पुलिस का दमन करार दिया है। उन्होंनें अपनी बात कहते हुए कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए लागू किए गए लॉक डाउन का पालन जरूरी है, लेकिन अपनी किसी जरूरत के लिए घर से बाहर निकले किसी शख्स से अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाना मुनासिब नहीं है।

किसने क्या कहा :

-पुलिस की कोई डिग्रिटी होती है और खासकर आफिसर्स की। ये लोग कोई चोर या अपराधी नहीं हैं, जिनके साथ इस तरह का सुलूक किया जा रहा है।
शायना रईस

-ऐसा कौनसा गुनाह कर दिया, जिसकी वजह से एक शख्स को उसकी बीवी और बच्चों के साथ पीटा जा रहा है, उसे जलील किया जा रहा है। त्यौहार के दिन पुलिस वालों का यह व्यवहार सजा दिए जाने लायक ही कहा जाएगा।
तुफैल सिद्दीकी

– बहुत ही गलत, इन कोरोना वारियर्स को कुछ ज्यादा ही सम्मान दे दिया गया है, यह सब उसी का नतीजा है।
प्रवीण श्रीवास्तव

-आमजन के साथ की जा रही इस ज्यादती पर जिम्मेदारों का खामोश रहना भी गलत ही कहा जाएगा। आंखें बंद किए बैठे आला अफसरों को इन हालात पर नजर डालना चाहिए।
ओमप्रकाश चौकसे

-कोरोना के बाद पुलिस स्टेट में तब्दील हो गया है मप्र शायद….?
सलीम अंसारी

-मुख्यमंत्री जी की नाक के नीचे प्रदेशवासियों की यह दुर्गति बन रही है तो बाकी प्रदेश के हालात का अंदाज लगाना आसान है।
शम्सुल हसन

 

खान आशु, भोपाल ब्यूरो

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