भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने, गुजरात के दंगों को शांतिके लिए किए गए ! कृति के रूप में मान्यता देने की कोशिश को देखते हुए ! लगता है ” कि युद्ध ही शांति की” कहावत याद आ रही है ! सबसे हैरानी की बात, अहमदाबाद शहर के नरोदा पटिया के दंगों के समय जो जधन्य कांड करने वाले, मुख्य आरोपी की बेटी(पायल कुकर्णि) को विधानसभा चुनाव का टिकट देने, और उसके साथ चुनाव प्रचार में दंगे के समर्थन में यह व्यक्तव्य ? और सबसे हैरानी की बात ! अमित शाह वर्तमान समय में भारत के गृहमंत्री के पद पर विराजमान है ! जिनका काम भारत की कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालने की है !


अहमदाबाद शहर से पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित नरोदा गांव और नरोदा पटिया इस जगह पर एक हजार से अधिक लोग मुखतः महाराष्ट्र और कर्नाटक के स्थलांतरित मुस्लिम मजदूरों की आबादी रहतीं थी ! 28 फरवरी 2002 के सुबह-सुबह गुजरात बंद ( 27 फरवरी को गोध्रा कांड के कारण ! ) की घोषणा गुजरात प्रदेश विश्व हिंदू परिषद तथा बजरंग दल और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के द्वारा की गई थी !

उस दिन 28 फरवरी 2002 को पांच से दस हजार की संख्या में ! खाकि हाफ पँट और भगवी बनियन पहनकर तथा माथेपर काले कपडे बांधे हुए ! हाथों में काठी, तलवार, त्रिशूल, अॅसिड बल्ब, पेट्रोल बॉम्ब और गैस सिलेंडर के साथ !सबसे पहले नूरानी मस्जिद के उपर हमला कर के ! उसे धराशायी करने के बाद ! पूरी बस्ती को घेर कर ! हाथों में के हथियारों, तथा ऐसिड और पेट्रोल बॉम्ब से लोगों को जिंदा जलाने के साथ ही युद्ध के जैसे हमले करते हुए ! बस्ती की महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार करने के बाद ! उन्हें जिंदा जला दिया गया ! और यह सब पुलिस और एस आर पी के उपस्थिति में चल रहा था !

और लगभग दो सौ से अधिक लोगों को मार डाला गया है ! लोगों ने पुलिस को मदद मांगी तो पुलिस ने कहा “कि आज उपर से अॉर्डर आई है कि तुम्हारी जान बचाने की नही है !” यह बात (Concerned citizens Tribunal – Gujrat 2002 page number 37) के रिपोर्ट में से लिख रहा हूँ ! जिसे रिटायर्ड जस्टिस वी आर कृष्ण अय्यर, जस्टिस पी बी सामंत, जस्टिस होस्बेट सुरेश, पीयूसीएल के अध्यक्ष ऐडवोकेट के जी कन्नाबीरन, अरूणा रॉय, पूर्व पुलिस अफसर डॉ. के एस सुब्रमण्यम, प्रोफेसर घनश्याम शाह, तथा प्रोफेसर तनिका सरकार के Concerned Citizens Tribunal – Gujarat 2002, An Inquiry into the Carnage in Gujarat Report of the Tribunal, titled CRIME AGAINST HUMANITY VOLUME 1 Pages 302 & VOLUME NO. 2 Pages 206 कुल मिलाकर पांचसौ आठ पन्नौ के रिपोर्ट में 27 फरवरी 2002 के गोध्रा साबरमती एक्स्प्रेस के एस 6 कोच की जलाने की घटना से लेकर, उसके बाद के गुजरात दंगों के नरोदा पटिया से लेकर गुलबर्ग सोसाइटी तथा वडोदरा की बेस्ट बेकरी से लेकर गुजरात के संपूर्ण राज्यक्षेत्र के दंगों की जांच-पड़ताल की रिपोर्ट के हवाले से मैंने यह लिखा है !

 गुलबर्ग सोसाइटी के सत्तर लोग जिसमें एक एहसान जाफरी नाम के पूर्व सांसद भी थे जिंदा जला दिया गया है ! जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री और अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर पांडे को पूरी-पूरी जानकारी रहने के बावजूद सात घंटे हजारों की संख्या में भिड ने घेर कर जलाकर मार डाला ! और जिसमें दस से बारह औरतों और लड़कियों को बलात्कार करने के बाद कुल सत्तर लोगों की मौत हो गई है !
नरोदा पटिया जो कभी अहमदाबाद से पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर स्थित, एक स्थलांतरित लोगों की बस्ती है ! अब अहमदाबाद शहर का भाग है ! जहां से नरोदा पटिया के दंगों के दौरान शामिल प्रमुख आरोपी की बेटी को भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान विधानसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से टिकट दिया है ! और उसके चुनाव प्रचार में वर्तमान भारत के गृहमंत्री अमित शाह की आज के इंडियन एक्सप्रेस के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित चुनावी सभा के भाषण का मजमून है ! कि दंगे करने वाले लोगों ने 2002 के गुजरात दंगों से अखंड शांति का पाठ बीजेपी के नेतृत्व में पढाया गया है !


यह है हमारे देश के कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालने के विभाग के मंत्री महोदय के विचार ! कैसे लोगों के हाथों में इस देश की लगाम चली गई है ? क्या इस लिए हम और आप भी जिम्मेदार नही है ? एक समय था जब गुंडों को मुहँ छुपाकर रहना पड़ता था ! लेकिन आज भारत की राजनीति में कोई मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हैं तो कोई प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री जैसे संवेदनशील विभाग के मंत्री पद पर बने हुए हैं ! तो वह अपने असली रूप दिखा रहे हैं ! गुजरात के दंगों से जिन्हें राजनीतिक हैसियत पहुचाने में ! हमारे संसदीय तंत्र की भी भूमिका है ! आज आठ साल के अनुभव के बाद लोगों को पता चला होगा कि कौन लोगों के हाथों में हमने अपने देश की लगाम दे दी है ! तकनीकी आधार पर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने अगर इन लोगों को तथाकथित क्लिन चिट दे दी है ! तो आज इनका आत्मविश्वास बढ कर सर चढकर बोल रहा है ! मालेगांव के बमब्लास्ट के आरोपियों से लेकर नरोदा पटिया जैसे जधन्य कांडों को अंजाम देने वाले लोगों के परिवार में से अगर संसद और विधानसभाओं में लोग जाने लगे तो संपूर्ण संसदीय लोकतंत्र के बारे में गंभीर रूप से सोचने की आवश्यकता है !

वैसे भी महात्मा गाँधी जी के लंदन से दक्षिण अफ्रीका लौटने के रास्ते में अपने जहाजरानी की यात्रा के दौरान उन्होंने 1909 के हिंद स्वराज्य नामक पुस्तिका के पांचवें प्रकरण में इंग्लैंड की हालत नाम के तेरहवें पन्ने पर इंग्लैंड में आज जो हालात हैं वह सचमुच दयनीय- तरस खाने लायक हैं ! मै तो भगवान से यही मांगता हूँ कि हिंदुस्तान की ऐसी हालत कभी न हो ! जिसे आप पार्लियामेंट की माता कहते हैं वह पार्लियामेंट तो बांझ और बेसवा है ! यह दोनों शब्द बहुत कडे है, तो भी उसे अच्छी तरह लागू होते हैं ! मैंने उसे बांझ कहा, क्योंकि अब तक उस पार्लियामेंटने अपने आप एक भी अच्छा काम नहीं किया है ! अगर उसपर जोर – दबाव डालने वाला कोई न हो तो वह कुछ भी न करें, ऐसी उसकी कुदरती हालत है ! और वह बेसवा है क्योंकि जो मंत्री – मंडल उसे रखे वह उसके पास रहती है ! आज उसका मालिक एस्क्विथ है, तो कल बालफर होगा और परसो कोई और तीसरा !


यह है महात्मा गाँधी जी के आजसे एक सौ तेरह साल पहले की इंग्लैंड की पार्लियामेंट के बारे मे के विचार ! जब भारत में संसद शुरू नही हुई थी ! हम अंग्रेज़ों के राज में रह रहे थे ! उस के बाद हमारे देश की आजादी के बाद हमने लगभग इंग्लैंड की नकल करते हुए पार्लियामेंट पद्धति का स्विकार किया है ! और उसे भी पचहत्तर साल पूरे हो रहे हैं ! क्या महात्मा गाँधी जी के पार्लियामेंट के बारे में जो विचार है ! वह सही नहीं है ? आज की तारीख में तो शतप्रतिशत सही है ! भारतीय जनता पार्टी ने उसे सिद्ध करने के लिए कोई कोर – कसर बाकी नहीं छोडी है !


डॉ सुरेश खैरनार 26 नवंबर 2022, नागपुर

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