व़क्त आ गया है कि मंदी के ग़म से उबर कर थोड़ी ख़ुशियां मना ली जाएं. आंकड़ों के मुताबिक़ जुलाई महीने में आशंका से कम लोगों की नौकरियां गईं. जुलाई में दो लाख 47 हज़ार लोगों की नौकरियां गई.  इस मंदी से सबसे ज़्यादा प्रभावित रही अमेरिका में बेरोज़गारी दर, जो पिछले महीने के 9.5 के मुक़ाबले 9.4 फीसदी रही. अमेरिका में अप्रैल के बाद यह पहली गिरावट है. विशेषज्ञों को आशंका थी कि बेरोज़गारी दर बढ़ कर 9.6 प्रतिशत हो जाएगी. आंकड़ों के मुताबिक़ अमेरिका में जुलाई में विभिन्न क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से कम लोगों की नौकरियां गईं.
निर्माण के क्षेत्र में 52,000 नौकरियां गई, पिछले साल सितंबर के बाद से पहली बार है जब यह आंकड़ा लाख़ से कम हुआ है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी क़रीब 17 हज़ार लोगों को नौकरी मिली  है
भारत में भी एक ताज़ा सर्वे के परिणाम में यह बात सामने आई है कि इस वर्ष के अंत तक रोजगार के दस लाख़ नए अवसर सामने आएंगे. रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले साल की तुलना में इस साल रोज़गार के अवसरों में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है. वाकई, इस सर्वे के नतीजे रोज़गार की तलाश में लगे युवाओं के लिए उम्मीद की किरण दिखाते हैं.
रिर्पोर्ट के मुताबिक, देश में आगामी छह महीनों में होटल, स्वास्थ्य और शिक्षा सेक्टर में रोज़गार के सबसे ज़्यादा मौके मिलने की संभावना है. हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 4,26,668 नई नौकरियां मिलने की उम्मीद है, हेल्थ सेक्टर में 2,95,829 नए मौके मौजूद होंगे. इसी तरह रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा, ट्रेनिंग और कंसल्टेंसी सेक्टर में भी 1,66,005 नई नौकरियां के अवसर होंगे. साथ ही अच्छी प्रतिभाओं के लिए अवसर कम नहीं है. आगे बढ़ने की होड़ में कंपनियां पेशेेवर लोगों की भर्ति कर रही है और उनके प्रशिक्षण के लिए विभिन्न प्राइवेट और पब्लिक संस्थानों के साथ पार्टनरशिप शुरू कर चुकी है. हॉस्पिटैलिटी और टूरिज़्म क्षेत्र में भी नौकरियों की भरमार होने वाली है. देश में मौजूदा समय में विभिन्न होटलों में क़रीब एक लाख दस हज़ार कमरे हैं. इनमें से, संगठित क्षेत्र में तक़रीबन 35 हज़ार कमरे हैं. उम्मीद है कि अगले पांच वर्षों में असंगठित क्षेत्र में कमरों की सख्या दोगुनी हो जाएगी.
ऐसे में निश्चित रूप से संगठित और असंगठित क्षेत्रों को मिलाकर अगले पांच साल में कर्मचारियों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक आई टी और आईटीईएस (इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी एजुकेशन सर्विसेज) सेक्टर में रोज़गार वृद्धि की दर क्रमश: 7.3 और 7.2 प्रतिशत है, जबकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में 8.9 फीसदी है. कई क्षेत्र और हैं जहां नए-नए अवसर विकसित हुए हैं. जैसे स्वास्थ,आहार, टूरिज़्म व हॉस्पिटैलिटी, निर्माण आदि.
फूड एंड बिवरेज़ इंडस्ट्री
भारत के फूड एंड बेवरेज़ रिटेल इंडस्ट्री का अनुमानित मूल्य छह बिलियन डॉलर है और पिछले दो वषार् से प्रति वर्ष 35 प्रतिशत बढ़ता रहा है. आगे भी इसके बढ़ने की संभावना है. कुछ वर्ष पहले फूड इंडस्ट्री में खाना पकाने के अलावा करियर के किसी और विकल्प के बारे में नहीं सोचा जा सकता था. इस इंडस्ट्री में आज के बढ़ते हुए अवसरों की वजह से यह इंडस्ट्री बड़ी मांग वाले क्षेत्रों में से एक है. करियर के इस क्षेत्र में केवल पाक-विद्या ही नहीं, आहार समीक्षा व लेखन, आहार पद्धति, आहार आस्वादन, फूड फोटोग्राफी, आहार तकनीकी, आहार व पोषण की विद्या यानी आहारिकी भी बेहतरीन विकल्प हैं. आहार को अपने प्रोफेशनल करियर से जोड़ने पर स्वास्थ्य और स्वाद पर विशेष टिप्पणी करने की ख़ासियत होनी ज़रूरी है. इसमें किसी विषय में स्नातक, पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, पोस्ट-ग्रेजुएट, सर्टिफिकेट कोर्स, शॉर्ट-टर्म कोर्स सभी उपलब्ध हैं. अपने सामर्थ्य और ज़रूरत के अनुसार इनमें से कोई भी कोर्स चुन सकते हैं. इनके लिए बारहवीं में 50 प्रतिशत से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. देश भर में कई संस्थानों में इन कोर्सेज का प्रशिक्षण दिया जाता है. आप अपने  पसंद अनुसार कोर्स का चुनाव कर दाखिला ले सकते हैं .
स्वास्थ्य का क्षेत्र
इस क्षेत्र में डॉक्टर के अलावा और भी कई विकल्प हैं जो पिछले कुछ समय से उभर रहे हैं. इनमें शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के पुनर्सुधार के लिए किए जाने वाले काम का कोर्स प्रोस्थेटिक्स व ऑर्थोटिक्स हो, आंखों की देखभाल, नेत्र जांच में इस्तेमाल होनेवाले उपकरणों के रख-रखाव आदि की पढ़ाई ऑप्टोमेट्री हो, फिज़ियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरपी, दंत चिकित्सा व मुंह की सेहत और रख-रखाव से जुड़ी प्रोस्थोडोनटिस्ट, बुज़ुर्गो की ख़ास मेडिकल देखभाल के लिए गेरीयाट्रिक्स, ढलती उम्र की पढ़ाई गेरोनटोलॉजी इत्यादि हो. इनकी मांग काफी ज़्यादा बढ़ी है, यही वजह है कि ऐसे कोर्स करने वाले कम हैं इसलिए इनकी पढ़ाई करने वालों की मांग ज़्यादा है. हमारे देश में इन कोर्स की पढ़ाई कई विश्वविद्यालयों में कराई जाती है. सभी कोर्स के लिए बारहवीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, और गणित के साथ बायोलॉजी में 50 प्रतिशत अंक से उत्तीर्ण होना अनिवार्य है. इसके बाद ऊपर दिए कोर्सेज में स्नातक, पीजी डिप्लोमा, पोस्ट-ग्रेजुएट कर सकते हैं. ये कोर्सेज करने वाले प्रोफेशनल्स की नियुक्ति अस्पतालों, हेल्थ केयर सेंटर्स, क्लिीनीक्स, नर्सिंग होम, ओल्ड ऐज होम इत्यादि जगहों पर होती है.
हॉस्पिटैलिटी/टूरिज़्म का क्षेत्र
इस क्षेत्र का दायरा हाल के वर्षों में बढ़ा है. विशेषज्ञों के मुताबिक प्रत्येक विकसित होते क्षेत्रों की तरह ही ट्रेवल एंड टूरिज़्म व हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में भी पेशेवर लोगों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इस कोर्स को करने के बाद कई विकल्प खुलते हैं. इस इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए फुल टाइम कोर्सेज के अलावा शॉर्ट-टर्म कोर्स के विकल्प भी उपलब्ध हैं. बैचलर कोर्स के साथ मास्टर यानी पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स भी कर सकते हैं. फुलटाइम कोर्स में टूरिज़्म एडमिनिस्ट्रेशन, टूरिज़्म स्टडीज में स्नातक, टूरिज़्म मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन टूरिज़्म एंड हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट कर सकते हैं. शॉर्ट-टर्म कोर्स में गाइडिंग एंड एस्कॉटिंग, कार्गों मैनेजमेंट, ग्राउंड सपोर्ट एंड मैनेजमेंट, हॉस्पिटैलिटी सर्विस व होटल मैनेजमेंट इत्यादि में शॉर्ट-टर्म कोर्स कर सकते हैं. भारत के कई विश्वविद्यालयों में इस कोर्स संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है. इन कोर्स को करने के बाद ट्रेवल एजेंसी, होटल क्षेत्र, एयरलाइंस, टूरिज़्म डिपार्टमेंट में नौकरी पा सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक यह ऐसा क्षेत्र है, जहां सुविधाओं और पैसों की कमी नहीं है और इस क्षेत्र में वेतन भी आर्कषक होता है. यह संस्थान, व्यक्ति की योग्यता और नौकरी के स्वरूप पर निर्भर करता है.

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