भोपाल। अरबों रुपए की जायदाद वाले मप्र वक्फ बोर्ड की अस्थिरता ने फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। लंबी मशक्कत के बाद बोर्ड को मिले सीईओ लंबी छुट्टी पर चले गए हैं (इसी बीच उनका रिटायरमेंट भी होना है)। मजबूरी के नाम पर प्रभार में रहने वाले बोर्ड के बड़े बाबू एक बार फिर सीईओ की जिम्मेदारी पर आ गए हैं। नीतिगत निर्णयों से लेकर जरूरी कामों के लिए अयोग्य इन बाबू को अब तक दर्जन भर से ज्यादा बार बोर्ड का प्रभार मिल चुका है।
सूत्रों का कहना है कि महज चार महीने पहले मप्र वक्फ बोर्ड में पदस्थ किए गए पूर्णकालिक सीईओ हस्र उद्दीन कुछ दिन पहले लम्बे अवकाश पर चले गए हैं। रिटायरमेंट से महज करीब तीन माह दूर हस्र उद्दीन के अचानक लंबी छुट्टी पर चले जाने को लेकर कई बातें बोर्ड कैंपस में उछल रही हैं। इनमें कुछ में उनके द्वारा कुछ कमेटियों के गठन में की गई बड़ी धांधलियों का जिक्र किया जा रहा है तो कुछ चर्चाओं में उनका विभागीय मंत्री और सरकार की मंशा के मुताबिक काम न कर पाने की बात कही जा रही है। सूत्रों का कहना है कि सीईओ अब अपने रिटायरमेंट तक छुट्टी पर ही रहने वाले हैं।
इनकी लगी लॉटरी
मप्र वक्फ बोर्ड में प्रभारी सीईओ बनाए गए मोहम्मद अहमद का वास्तविक पद सीनियर क्लर्क है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने दस्तावेजों में खुद को सहायक सचिव घोषित कर रखा है। इसी पदनाम की वजह से उनको बार बार प्रभारी सीईओ की जिम्मेदारी मिलती रही है। बताया जाता है कि मोहम्मद अहमद अब तक बोर्ड में करीब 10 बार से ज्यादा बार प्रभारी सीईओ की कुर्सी सम्हाल चुके हैं। इधर बोर्ड में लंबी सेवाएं दे चुके अहमद की उम्र को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। कार्यालयीन रिकॉर्ड में उनके आयु संबंधी दस्तावेजों की गैर मौजूदगी की वजह से उनके रिटायरमेंट का मामला टलता रहा है। सूत्रों का कहना है कि मोहम्मद अहमद के छोटे भाई शासकीय सेवा से करीब दो साल पहले रिटायरमेंट प्राप्त कर चुके हैं।
नहीं मिल पाता पूर्णकालिक और योग्य सीईओ
लंबे समय से मप्र वक्फ बोर्ड की व्यवस्था अस्थाई और प्रभारी सीईओ के साथ चलती रही है। वक्फ अधिनियम के मुताबिक सीईओ के लिए निर्धारित मापदंडों वाले अधिकारियों के ना मिल पाने से ये हालात बन रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सीईओ के रूप में यहां पदस्थ रहे अधिकांश अधिकारी कानूनी विवादों में पड़ते गए हैं। इनमें डॉ एसएमएच जैदी, दाऊद अहमद खान, एमए फारूकी, एसयू सैयद, डॉ युनुस खान जैसे कई अधिकारी शामिल हैं। इन अधिकारियों की फजीहत को देखते हुए अब यहां अधिकारियों ने वक्फ बोर्ड की सेवाओं से तौबा कर ली है।