उत्तर प्रदेश के नौकरशाह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कबाड़ा निकालने पर आमादा हैं. पहले से कई विवादों में बेवजह उलझा दिए जाने के बाद अब नया मामला पर्यटन विभाग के बुकलेट-विवाद का है. पर्यटन विभाग के बुकलेट में प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में आगरा का नाम शुमार नहीं है. इस वजह से विवाद भड़का और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर सपा नेता अखिलेश यादव और बात-बहादुर नेता आजम खान तक को बोलने का मौका मिल गया.
राहुल ने ट्वीट किया, ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’. अखिलेश ने कहा कि ताजमहल देश की पहचान है और बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया भी है. आजम खान ने कहा कि ताजमहल, लालकिला, राष्ट्रपति भवन, संसद, कुतुबमीनार सब गुलामी की निशानी हैं. फिर कहा ताजमहल को ध्वस्त ही कर देना चाहिए. इसमें वे सरकार का सहयोग करेंगे. रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि ताजमहल ऐतिहासिक धरोहर है, लेकिन योगी सरकार ताजमहल को भी साम्प्रदायिकता के चश्मे से देख रही है.
रालोद के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल दुबे ने भी पर्यटन विभाग के बुकलेट से ताजमहल गायब के जाने को निंदनीय कृत्य बताया. पर्यटन विभाग की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी हैं. लेकिन इस भूल का ठीकरा योगी के मत्थे ही फूटा. सचिवालय में आसीन एक आला अधिकारी ने सवाल उठाया कि पर्यटन विभाग के बुकलेट में आगरा को शामिल नहीं किया जाना तकनीकी भूल है या नौकरशाहों की तिकड़म, इसकी जांच होनी चाहिए. विभागीय मंत्री ने इसे टालने की ही कोशिश की, लिहाजा तिकड़म वाला पक्ष संरक्षण-छाया में चला गया. इसका खामियाजा आखिरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही भुगतना होगा. अन्य नेता और नौकरशाह भी यही चाहते हैं.
इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से विश्व पर्यटन दिवस पर जारी की गई बुकलेट ‘उत्तर प्रदेश पर्यटन-अपार संभावनाएं’ में ताजमहल को जगह नहीं दी गई. बुकलेट में प्रदेश के तकरीबन सभी पर्यटन स्थलों को शामिल किया गया, लेकिन इसमें ताजमहल कहीं नहीं है. बुकलेट में वाराणसी की गंगा आरती, गोरखपुर की गोरक्षधाम पीठ, मथुरा-वृंदावन, अयोध्या समेत कई प्रमुख धार्मिक स्थलों को जगह दी गई, लेकिन ताजमहल का जिक्र नहीं किया गया. यह प्रथम द्रष्टया ही नौकरशाही की करतूत की तरफ इंगित करता है, क्योंकि पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर ताजहमल और आगरा का जिक्र प्रमुखता से है. बुकलेट के कवर पर गंगा आरती की तस्वीर है. कवर पर बाईं तरफ मोदी और दाईं तरफ योगी की फोटो लगी है. अंदर पर्यटन विभाग की मंत्री रीता बहुगुणा जोशी की भी फोटो लगी है. बुकलेट के पहले पेज पर भूमिका है और पर्यटन विकास को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं का जिक्र है.
वाराणसी की गंगा आरती का वर्णन काफी महत्व देकर किया गया है. मथुरा के लिए भी बुकलेट के दो पन्ने दिए गए हैं. एक पृष्ठ पर रामायण परिपथ और बौद्ध परिपथ का जिक्र है. इसके बाद अयोध्या की जानकारी दी गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सरयू की आरती की तस्वीर भी अंदर लगी हुई है. बुकलेट में गोरक्षपीठ और देवीपाटन शक्ति पीठ के साथ-साथ शाकम्बरी माता मंदिर और चुनार के ऐतिहासिक किले की भी चर्चा है. एक अधिकारी ने बुकलेट से ताजमहल को गायब किए जाने के पीछे किसी तिकड़म की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले भी उत्तर प्रदेश सरकार ने ताजमहल को यूपी की सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल नहीं किया था.
कई भाजपाई ही कहते हैं कि ताजमहल को लेकर योगी आदित्यनाथ की अलग राय रही है. बिहार के दरभंगा में हुई रैली में योगी ने कहा भी था कि उनकी नजर में ताजमहल एक इमारत के सिवा और कुछ नहीं है. योगी यह भी बोल चुके हैं कि यूपी की पहचान ताजमहल से नहीं, बल्कि राम-कृष्ण से है. योगी के करीबी सूत्रों का कहना है कि पर्यटन बुकलेट के प्रकाशन में मुख्यमंत्री से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया और न योगी ने ताजमहल का जिक्र हटाने का कोई निर्देश दिया था. इसकी जिम्मेदारी विभागीय मंत्री और अधिकारियों की थी.
बहरहाल, इस मामले के तूल पकड़ने पर प्रदेश सरकार ने इसके पीछे किसी गलत मंशा से इंकार किया और कहा कि पर्यटन विकास को लेकर आगरा में तमाम योजनाएं चल रही हैं. ताजमहल और उससे जुड़े क्षेत्र में 156 करोड़ रुपए की विकास-योजना पर काम चल रहा है. इसके अलावा ताजमहल के पश्चिमी गेट पर 107.49 करोड़ रुपए की लागत से रिसेप्शन सेंटर का निर्माण हो रहा है. इसके अलावा ताजमहल और आगरा किले के बीच शाहजहां पार्क और वॉक-वे के पुनरुद्धार के लिए 22 करोड़ 66 लाख रुपए की परियोजना भी शामिल की गई है. पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि ताजमहल और आगरा का विकास केंद्र और प्रदेश सरकार दोनों की प्राथमिकता में है.
उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग के बुकलेट में अगले एक वर्ष में जो काम होने हैं, उनके बारे में दर्शाया गया है. बुकलेट में चित्र न होने से यह नहीं कहा जा सकता कि ताजमहल सरकार की प्राथमिकता में नहीं है. उल्लेखनीय है कि 28 सितम्बर को विभाग की छहमाह की उपलब्धियां बताने के लिए बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांटे गए बुकलेट ‘उत्तर प्रदेश पर्यटन: अपार संभावनाएं’ में ताजमहल का कोई जिक्र नहीं पाया गया, जबकि बुकलेट में आगरा की विकास योजनाओं का जिक्र जरूर था. इसके बाद ही विवाद ने तूल पकड़ा.