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नई दिल्ली (ब्यूरो, चौथी दुनिया): आम आदमी पार्टी में उपजे विवाद को संभालने के लिए खुद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को विश्वास को मानाने के लिए आना पड़ा. विश्वास की बगावत की आग पार्टी में तेजी से फैल रही है. इससे पहले की इस आग में सब कुछ जल जाए केजरीवाल और सिसोदिया को ही इस आग को बुझाने के लिए उतरना पड़ा.

जानकारी मिल रही है कपिल मिश्र विश्वास के समर्थन में हैं. उनके पास १७ विधायाकों का समर्थन है, अगर विश्वास की नाराजगी बनी रहती है तो केजरीवाल की सरकार पर संकट बन सकता है, ऐसे में पार्टी हर हल में केजरीवाल को मानना चाहती है. दरअसल कुमार विश्वास ने कुछ मांगे रखी हैं

विश्वास की मांग है की सबसे पहले अमनातुल्लाह खान को पार्टी से निकला जाये. इसके बाद केजरीवाल स्वीकार करें की उनसे पिछले चुनाव में गलतियां हुई थी जिसका खामियाजा पूरी पार्टी को चुकाना पड़ा. केजरीवाल पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा दें. इसके बदले में संवैधानिक तरीके से नए संयोजक पद का चुनाव हो.

केजरीवाल चाहते हैं की पार्टी के उन नेताओं से भी बात की जाये जो पार्टी छोड़ना चाहते है. कुल मिलाकर देखा जाये तो विश्वास की सभी मांगे केजरीवाल और सिसोदिया के एकछत्र राज्य को ख़तम करने की तैयारी में हैं. इसलिए दोनों में समझौते के असर कम हैं. फ़िलहाल देखना दिलचस्प होगा की केजरीवाल इस विश्वास संकट से कैसे उबरते हैं.

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