मुंबई। देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों किताबों का मेला लगा है। जो लोग दिल्ली के बाहर हैं वो इस मेले का जादू सोशल मीडिया पर देख रहे हैं। ज़्यादातर लेखकों ने मेले को सेल्फ़ी उत्सव में बदल दिया है लेकिन इस भीड़ में कुछ लेखक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने काम और लेखनी से देश भर के पाठकों का ध्यान अपनी तरफ ख़ींचा है। एक ऐसे ही लेखक हैं चर्चित शायर और लेखक इरशाद ख़ान सिकंदर। पुस्तक मेले में इरशाद साहब की लेटेस्ट किताब ‘जौन एलिया का जिन्न’ की काफ़ी धूम है। बता दें कि यह इरशाद साहब की तीसरी पुस्तक है जिसे राजपाल एंड संस प्रकाशन ने छापा है। इससे पहले वो अपने ग़ज़ल संग्रह ‘आँसुओं का तर्ज़ुमा’ और ‘दूसरा इश्क’ के लिये सुर्ख़ियों में रहे हैं और उनकी दोनों किताबों को पाठकों का भरपूर प्यार मिला है।
मंगलवार को ‘जौन एलिया के जिन्न’ का विधिवत लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर दिग्गज शायर फ़रहत एहसास, साहित्यकर्मी प्रभात रंजन, प्रकाशक मीरा जौहरी जी, और पुस्तक के लेखक इरशाद ख़ान सिकंदर समेत कई सुधि पाठक शामिल हुए। पुस्तक पर एक शानदार विमर्श भी हुआ। इस दौरान लंबी बातचीत में फ़रहत अहसास साहब ने कहा कि ‘इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’ ने इस नाटक में उर्दू अदब को ध्यान में रखते हुए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है उससे मैं चकित हूँ। प्रभात रंजन ने कहा कि लंबे समय बाद उन्होंने नाटक की कोई ऐसी किताब पढ़ी है, जो हर तरह से प्रभावित करती है। दिग्गज थियेटर क्रिटिक श्री रवींद्र त्रिपाठी के मुताबिक इस नाटक का असर देर तक और दूर तक रहेगा।
बकौल इरशाद साहब इस नाटक की शुरूआत जौन एलिया पर उनके एक लेख लिखने से हुई जो अंतत: एक नाटक का रूप लेती गई।
आपको बता दें कि 17 फरवरी को नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के 22वें भारत रंग महोत्सव के दौरान ‘जौन एलिया का जिन्न’ नाटक का मंचन भी हो चुका है, जिसका निर्देशन दिग्गज नाटककार श्री रंजीत कपूर साहब ने किया।