विनोबाजी के बारे में जे पी आंदोलन में उनकी भूमिका को लेकर मैं बेहद नाराज था ! लेकिन, ‘गाँधी अब नहीं रहे आगे क्या ?’ ( ययही सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई है ! ) यह बैठक का ईतिवृत्त गोपाल कृष्ण गांधी ने जब वह बंगाल के राज्यपाल के पद पर कार्यरत थे ! तब कोलकाता के राजभवन में रहते हुए ! संम्पादित की हुई, किताब पढ़ने के बाद मेरे मन से वह नाराजगी एकदम साफ हो गई !
गाँधी हत्या के छ सप्ताह बाद, सेवाग्रामे 1948 के मार्च के 11 से 14 तक, एक बैठक हुई थी ! जिसके कारण आज का सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई ! जिसमें नेहरु,पटेल,मौलाना आजाद,राजेंद्र प्रसाद,जे पी,राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ,आचार्य कृपलानी , डॉ. जाकिर हुसैन, आचार्य दादा धर्माधिकारी, आचार्य विनोबाजी भि शामील थे ! डॉ. राम मनोहर लोहिया बैठकमे नहीं शामिल हो सके इसका अफसोस गोपाल कृष्ण गांधी जी ने किताब की प्रस्तावना में विषेश रुप से लिखा है ! बैठक का इतिवृत्त आचार्य दादा धर्माधिकारी जीने लिखा है ! जिसे गोपाल कृष्ण गांधी ने संपादित करने के बाद यह किताब की शक्ल में आज है !
उस पांच दिन की बैठक में विनोबाजी बोले ! ” मैं कुछ कहना चाहता हूँ ! मैं उस प्रदेश का हूँ जिसमें आर एस एस का जन्म हुआ है ! जाति छोडकर बैठा हूँ ! फिर भी भुल नहीं सकता कि उसकी जाति का हूँ जिसके द्वारा बापु की हत्या हुई ! कुमाराप्पाजी और कृपलानीजी ने फौजी बंदोबस्त के खिलाफ परसों सक्त बातें कही ! मैं चुप बैठा रहा ! वे दुख के साथ बोलतें थे ! मैं दुख के साथ चुप था ! न बोलने वाले का दुख जाहिर नहीं होता ! मैं इसलिए नहीं बोला कि मुझे दुख के साथ लज्जा भी थी ! पवनार में मै बरसों से रह रहा हूँ ! वहाँ पर भी चार-पांच आदमियों को गिरफ्तार किया गया है ! बापू की हत्या से किसी न किसी तरह का संबंध होने का उनपर शुबाह है ! वर्धा में गिरफ्तारीया हुई, नागपुर में हुई, जगह-जगह हो रही है !
यह संगठन इतने बड़े पैमाने पर बडी कुशलता के साथ फैलाया गया है ! इसके मुल बहुत गहरे पहुंच चुके है ! यह संगठन ठीक फासिस्ट ढंग का है ! उसमें महाराष्ट्र की बुद्धि का प्रधानतया उपयोग हुआ है ! चाहे वह पंजाब में काम करता हो या मद्रास में, सब प्रांतों में उसके सालार और मुख्य संचालक अक्सर महाराष्ट्रीय, और अक्सर ब्राम्हण, रहे हैं ! गोलवलकर गुरूजी भी महाराष्ट्र के ब्राह्मण है ! इस संगठनवाले दूसरोको विश्वास में नहीं लेते ! गाँधी जी का नियम सत्य का था ! मालूम होता है कि इनका नियम असत्य का होना चाहिए ! यह असत्य उनकी टेकनिक-उनके तंत्र-और उनकी फिलासफी का हिस्सा है !
एक धार्मिक अखबार में मैंने गुरूजी का एक लेख या भाषण पढा ! उसमें लिखा था कि हिंदु धर्म का उत्तम आदर्श अर्जुन है, उसे अपने गुरुजनों के लिए आदर और प्रेम था, उसने गुरूजनों को प्रणाम किया और उनकीं हत्या की, इस प्रकार की हत्या जो कर सकता है वह स्थित-प्रज्ञ है ! वे लोग गीता के मुझसे कम उपासक नहीं है ! वे गीता को उतनी ही श्रद्धा से पढते होंगे जितनी श्रद्धा मेरे मन में है ! मनुष्य यदि पूज्य गुरुजनों की हत्या कर सके तो वह स्थित-प्रज्ञ होता है ,यह उनकी गीता का तात्पर्य है ! बेचारी गीता का इस प्रकार उपयोग होता है ! मतलब यह कि यह सिर्फ दंगा-फसाद करने वाले उपद्रवकारियो की जमात नहीं है ! यह फिलासाफरो की जमात है ! उनका एक तत्वज्ञान है और उसके अनुसार निश्चय के साथ वे काम करते हैं ! धर्मग्रंथों के अर्थ करने की भी उनकी अपनी एक खास पद्धति है !
गांधी जी की हत्या के बाद महाराष्ट्र की कुछ अजीब हालत है ! यहाँ सब कुछ अत्यांतिक रूप में होता है ! गाँधी हत्या के बाद गांधीवालों के नाम पर जनता की तरफसे जो प्रतिक्रिया हुई है, जैसे पंजाब में पाकिस्तान के निर्माण के वक्त हुई थी !
नागपुर से लेकर कोल्हापुर तक भयानक प्रतिक्रिया हुई है ! साने गुरूजी ने मुझे आवाहन किया है कि मैं महाराष्ट्र में घुमू ! जो पवनार को भी नहीं सम्हाल सका, वर्धा-नागपुर के लोगों पर असर न डाल सका, वह महाराष्ट्र में घूमकर क्या करता ? मै चुप बैठा रहा !
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की और हमारी कार्यप्रणाली में हमेशा विरोध रहा है ! जब हम जेल मे जाते थे, उस वक्त उनकी नीति फौज और पुलिस में दाखिल होने की थी ! जहाँ हिंदू-मुसलमानो का झगड़ा खडा होंने की संभावना होती ,वहा वे पहुँच जाते ! उस वक्त की सरकार इन सब बातों को अपने फायदे की समझतीं थी ! इसलिये उसने भी उनको उत्तेजन दिया ! नतीजा हमको भुगतना पड़ रहा है !
आज की परिस्थिति में मुख्य जिम्मेदारी मेरी है,महाराष्ट्र के लोगों की है ! यह संगठन महाराष्ट्र में पैदा हुआ है ! महाराष्ट्र के लोग ही उसकी जडो तक पहुँच सकते हैं ! इसलिये आप मुझे सूचना करें, मै अपना दिमाग साफ रखुंगा और अपने तरीके से काम करूँगा ! मैं किसी कमिटी में कमिट नहीं हूंगा ! आर एस एस से भिन्न, गहरे और दृढ़ विचार रखने वाले सभी लोगों की मदद लूंगा ! जो इस विचार पर खड़े हो कि हम सिर्फ शुद्ध साधनों से काम लेंगे, उन सब की मदद लूंगा ! हमारा साधन-शुद्धि का मोर्चा बने ! उसमें सोशलिस्ट भी आ सकतें हैं ,और दुसरे सभी आ सकतें है ! हमको ऐसे लोगों की जरूरत है जो अपने को इन्सान समझते है ! ”
आचार्य विनोबा भावे आज से 75 साल पहले आर एस एस के बारे मे कितने साफ थे ! और उनके कुछ अपने आप को अनुयायी कहने वाले लोगों को विनोबाजी के 128 वी जयंती के बहाने आज समझने की जरूरत है ! क्योंकि मेरे व्यक्तिगत अनुभव के बाद मुझे कुछ गाँधीवादी और विनोबाजी को मानने वाले लोगों मे काफी गफलत लगती है !
हिंदुत्व के वर्तमान प्रचार-प्रसार में कुछ लोगों को एक तो बिल्कुल ही मौन देख रहा हूँ ! या कुछ तो सिधे-सिधे हिंदुत्ववादी कैम्प में शामिल हो गए हैं ! और महात्मा गाँधी या विनोबाजी के बारे मे सुविधाजनक अर्थ निकाल कर पाला पलट कर बैठ गए ! क्योंकि डाक्टर राम मनोहर लोहिया के भाषा में तीन तरह के गाँधी वादी 1) खान-पानवाले 2) वेषभूषावाले 3) तत्ववादी इस तरह के लोगों को आज की परिस्थिति में बहुत ही साफ-साफ देख सकते हैं !
आज आचार्य विनोबाजी की जयंती के बहाने उन्हें सही मायनों में समझने की जरूरत है ! और उसपर अमल करने की क्या विनोबाजी की सिर्फ जयंती पुन्यस्मरण ही करते रहेंगे ? या उह्नोने दिखाये हूआ रास्तेसे चलना चाहिए ? मैं गत एक सप्ताह से आसाम में हूँ ! यहाँ पर भी संन्घपरिवारके कई तरह के काम चल रहें हैं ! और विनोबाजी,गाँधीजी के संस्थाओं का काम आखिरी साँस लेते नजर आ रहा है ! हम लोगों ने विनोबाजी के 125 वर्ष और गांधीजी के 150 वर्ष के बहाने संकल्प करना चाहिए कि सन्घपरिवारके खिलाफ जिस मोर्चे की बात विनोबाजीने की थी ! आज उस बात को 75 साल हो चुके हैं ! लेकिन उसपर चलना तो दूर, हम लोग सिर्फ अपने रोजमर्रा के कर्मकांड में व्यस्त हैं ! अभीभि समय है हमने विनोबाजी की बात को अमली जामा पहनाने के लिए लग जाना चाहिए ! क्योंकि अब कश्मीर कल नॉर्थ ईस्ट बादमे 5 वी और 6 ठी अनुसूची जो आदिवासियो के लिए विशेष प्रावधानों के लिए हमारे सविंधान निर्माताओने बनाई है ! वह सब कुछ बदल ने के लिये सन्घपरिवारकी शुरुआत हो चुकी है ! कश्मीर,एन आर सी यह उसकी शुरुआत हुई है ! और आगे बहुत कुछ होनेवाला है ! साबरमती आश्रम तथा गांधी विद्यापीठ तथा बनारस के सर्व सेवा संघ के प्रकाशन विभाग तथा जेपी ने स्थापित किया हुआ गांधी विद्या संस्थान संघ के लोगों ने कुछ कब्जा कर लिया और कुछ हिस्से को बुलडोजर से जमीनदोस्त करदिया है ! लेकिन उसके लिए हमारे आपसी सरफुटौवल की स्थिति भी जिम्मेदार है ! और उसीका फायदा उठाकर संघ अपनी संस्थाओं में घुसपैठ कर रहा है ! लेकिन हम इस बात का सज्ञान लेने की जगह एक दूसरे की गलतियों को गिनाने में लगे हुए हैं ! उसकेलिये हम लोगो ने विनोबाजी की भाषा में एक मोर्चा खोलने की शुरुआत करने की जगह इस तरह आपसमेही झगड़े कर रहे हैं ! क्या यही यही विनोबाजी और गाँधीजी का सही स्मरण हो रहा है ?
डॉ. सुरेश खैरनार, 11सितम्बर 2023, नागपुर.