जी 20 के नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति “भारत दूर करेगा भेदभाव ?”
जिस देश में हजारों सालों से जाति आधारित और उसकी ही वजह से आर्थिक भी, भेद-भाव बदस्तूर जारी हो ! और जिस वर्तमान सत्ताधारी दल, और सौ साल पुराना उसका मातृसंघठन, इस तरह की विषमता का बेशर्मी से समर्थन करता हो ! यह शुध्द पाखंड के सिवाय और क्या है ?
अभी हप्ता भर पहले दक्षिण के डीएमके के एक नेता ने इसी भेदभाव के उपर टिप्पणी की ! तो उसके सिर काटकर लाने की घोषणा से लेकर, कितना बडा होहल्ला इसी सत्ताधारी दल के मुखिया से लेकर ! जिस आदमी को इस देश की कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है ! वह भी माफी मांगने की मांग कर रहा है !


26 नवंबर 1949 के दिन संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ. भिमराव आंबेडकर ने जब संविधान सभा में हमारे देश के संविधान की विधिवत रूप से घोषणा की थी ! तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के, अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनायझर के 30 नवंबर 1949 के संपादकीय में ( ” But in our constitution there is no mention of the unique constitutional development in ancient Bharat. Manu’s laws were written long before lycurgus of Sparta or Solon of Persia. To this day his laws as enunciated in the Manusmriti excite the administration of the World and elicit spontaneous obedience and conformity. But to our Constitutional Pundits that means nothing ) इस तरह भारतीय संविधान के खिलाफ ऐलान होने के दुसरे ही दिन अपने मुखपत्र में लिखकर संविधान को नकारने वाले संघठन ने खुद स्थापित की हुई राजनीतिक इकाई, भारत में सत्ता में पहले इस शताब्दी के शुरू में ! छह साल, और फिर 2014 से अभीतक 9 सालों से भारत का सत्तारूढ़ दल बना हुआ है ! और इसके या इसके मातृ संघठन के सामाजिक गैरबराबरी से लेकर आर्थिक गैरबराबरी के निर्णय बदस्तूर जारी है !


और दिल्ली के जी – 20 के मंचसे घोषणा पत्र में “भारत दूर करेगा भेदभाव ” यह घोषणा पत्र पर हमारे जैसे पचास वर्षों से हरतरह की गैरबराबरी खत्म करने के लिए अपना जीवन खपा दे रहे हैं ! उन्हें इस घोषणापत्र पर विश्वास कैसे हो सकता है ?
क्यों कि वर्तमान जी – 20 की अध्यक्षता कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने आज यहां तक कि यात्रा, भारत की एकता और अखंडता को दांव पर लगाकर की है ! भारत के एक राज्य जिसका नाम गुजरात है ! वहां के मुख्यमंत्री पद की 2001 के अक्तूबर माह में शपथ ली थी ! और 125 दिनों के भीतर उस राज्य में गोधरा नाम के एक रेल्वे स्टेशन ( 28 फरवरी 2002 ) पर एक रेलगाडी में आग लगने से, साठ के आसपास लोग बुरी तरह जलकर मर जाने के बाद ! इन्होंने तुरंत ही उन शवों को कब्जे में लेकर, खुले ट्रकों पर लादकर उस राज्य की राजधानी अहमदाबाद में जुलूस निकालने के लिए ‘विश्वहिंदूपरिषद’ नामके इसी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 1960 में शुरू किया हुआ संघठन को, यह काम सौंपा गया ! और उसके बाद संपूर्ण राज्य में दंगे शुरू हो गऐ !


उन दंगों को रोकने के लिए भारत की सेना भेजि गई थी ! लेकिन उस सेना को इसी मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी ने अहमदाबाद हवाई अड्डे से तीन दिन तक बाहर आने नहीं दिया ! और संपूर्ण राज्य दंगों की आग में जल रहा था ! और हजारों की संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की मौत हो गई ! तथा उनके उपजीविका के साधनों को राख में तब्दील कर दिया था ! और उनके परिवार की महिलाओं के साथ जो अत्याचार हुए तथा मासूम बच्चों को तक मार डाला गया है ! और खुद प्रधानमंत्री बनने के बाद उन गुनाहगारों को छोड़कर, जिन अफसरों ने दंगों को रोकने के लिए कोशिश की उन्हें सजा देने का फैसला किया है ! संजीव भट्ट तथा आर. बी. श्रीकुमार उसके जिते – जागते प्रमाण है !


और उसके बाद इन्होंने अपने छाती का नाप चौवालिस इंच होने के बावजूद ! बारह इंच बढाकर, अपनी छाती को ‘छप्पन इंच छाती’ और ‘हिंदूहृदयसम्राट’ यह दो उपाधियां लगा कर ! सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करते हुए ! संपूर्ण देश में नफरत फैला कर,इस देश की एक चौथाई आबादी को असुरक्षितता की मानसिकता में डाल कर ! 2014 के चुनावों में भारत की संसद तक पहुंचने का रास्ता तय किया ! और प्रधानमंत्री बनने के बावजूद कपड़े और वेशभूषा से उन्हें पहचाना जा सकता है ! जैसे संदेश देकर चेतनसिंह और त्यागी मास्टरनी जैसे लोगों को पैदा करने से कौन सा भेदभाव मिटा रहे ?


जबकि गुजरात के दंगों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं करने की कृतियों को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि ” आपने राजधर्म का पालन नहीं किया” और इसी कारण युरोपीय देशों से लेकर अमेरिका तक ने इन्हें अपने देशों में आने के लिए पाबंदी लगा दी थी ! लेकिन विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के देश के प्रधानमंत्री बनने की वजह से ! यह शपथ ग्रहण के तुरंत बाद ही विदेश यात्रा करने लगे ! उसके लिए विश्व के सबसे महंगा विमान तक खरिदा है ! और आज जी – 20 के अध्यक्ष तक का सफर तय करने में कामयाब हुए हैं !


लेकिन इनका दल, और इनका मातृसंघठन, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ मंदिर – मस्जिदों की टुच्ची राजनीतिक गतिविधियों से लेकर, दलितों उसमें भी विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से लेकर महिलाओं तथा आदिवासियो के साथ लगातार जुल्म ढाने का काम किए जा रहे हैं !


गुजरात दंगों को तो 21 साल हो चुके ! लेकिन ताजा भारत के सूदूर उत्तर पूर्व के मणिपुर में चार महीने से भी अधिक समय से लगातार आदिवासियों के साथ हिंसा जारी है ! और शेकडो लोगों को मौत के घाट उतार दिया है ! और महिलाओं के साथ अत्याचार तथा उन्हें विवस्र करते हुए उन्हें अपमानित किया जा रहा है ! और लाखों लोगों को अपने घरों को छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया गया है ! और वहां का गुनाह कम लगा तो राजधानी के बगल के मेवाट में जानबूझकर दंगे किए गए और उसपर कारवाई करना दूर उल्टा दंगों में पिडित लोगों को गिरफ्तार करने का काम किया गया है ! क्या यही भेदभाव खत्म करने का तरीका है ?


वहीं बात दलितों के साथ, भारत के विभिन्न प्रदेशों में आएं दिन कोई न कोई हिंसा या उनकी स्त्रियों के साथ अत्याचार जारी है ! और यही भारत राजधानी दिल्ली में जी – 20 की अध्यक्षता करते हुए “भारत दूर करेगा भेदभाव” जैसे घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात बहुत ही परस्पर विरोधी लगती है !
आर्थिक क्षेत्र में इसी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सब से पहले गुजरात में 2001 से एक मामुली आदमी, जिसका नाम गौतम अदानी है ! उसे नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ! खुली छूट देने की वजह से यह साइकिल पर कपड़े बेचने का व्यवसायिक आज दुनिया में तिसरे नंबर पर और भारत में एक नंबर पर अमिर बनाने के लिए, भारत के सभी कानूनों की अनदेखी करते हुए सरकारी बैंकों को इसे कर्जे देने के लिए ! और बाद में उन्ही कर्जों को माफ करने के लिए, मजबूर किया है ! क्या आपका यही भेदभाव खत्म करने का फार्मूला है ?


इस आदमी को अमिर बनाने के लिए, जो भी भारत के नियम कानून थे ! सभी को ताक पर रखकर, इसे विशेष रूप से फेवर करने के पिछे भी आपका भेदभाव खत्म करने के लिए किया गया प्रयोग मानना चाहिए ? भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला होने के बावजूद ! छोटे – मोटे लोगों के उपर ईडी, आई बी तथा सीबीआई के छापेमारी कर के लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं ! लेकिन अदानी उद्योग समूह को इस प्रकार की मदद करने की वजह से आज उसकी संपत्ति की रुध्दि के वजह से भारत के जीडीपी में तथाकथित वृद्धि दिखाई दे रही है ! लेकिन आम आदमी महंगाई, बेरोजगारी तथा स्वास्थ्य – शिक्षा जैसे प्राथमिक बातो से प्रभावित होकर गुरबत की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हो गया है !
और यह सब कुछ करने के बावजूद तथाकथित मुख्य धारा के मिडिया को इसी अदानी – अंबानी के द्वारा ज्यादातर मिडिया को खरीदने के लिए 2013 के भी पहले से ही ! कुछ अपवाद छोडकर, भारत का मिडिया सिर्फ वर्तमान सरकार और उसमे भी सबसे अधिक प्रधानमंत्री के गुणगान करने के अलावा, भारत की मुख्य समस्याओं की अनदेखी कर रहा है ! और इस तरह की स्थिति से भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के वैश्विक स्तर पर सबसे निचले स्तर पर पहुचाने में भी भेदभाव खत्म करने का प्रयास है ?


आजसे 48 साल पहले 26 जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी ! और प्रेस सेंसरशिप लगा दी थी ! जिसके विरोध में हम लोग जेल भी गए हैं ! लेकिन मई 2014 से इस देश में अघोषित आपातकाल और प्रेससेंसरशिप जारी है ! यहां तक कि किसी युनिवर्सिटी के अकादमिक अनुसंधान के काम से लेकर कविता, नाटक और सिनेमा और कॉमेडी शो जैसे मनोरंजन के क्षेत्र में भी अभिव्यक्ति का हनन हो रहा है ! कई लोगों को अपने नौकरीयो से हाथ धोना पड़ा है ? क्या यह भी भेदभाव खत्म करने के लिए चल रहे प्रयासों में शुमार है ?


शेकडो वर्षों की लड़ाई को लडकर, मजदूरों ने अपने शोषण के खिलाफ, चल रहे बातो के खिलाफ, कानूनों को बनाने में कामयाबी हासिल की थी ! लेकिन श्री. नरेंद्र मोदीजी ने सत्ताधारी बनने के बाद सभी कानून पुंजिपतियो के हित में बदलकर रख दिए हैं ! और जी – 20 के मंचसे दिल्ली घोषणा पत्र में “भारत दूर करेगा भेदभाव ” देखकर हैरानी हो रही है !
भारत की आधी आबादी खेती के उपर निर्भर करती है ! लेकिन खेती के क्षेत्र में पुंजिपतियो के हित में कानून बदलने से भारत भेदभाव दूर करेगा ? ऐसा घोषणा देखकर लग रहा है ! कि उन मजदूरों तथा किसानों तथा दलितों आदिवासियों तथा अल्पसंख्यक समुदायों को ही खत्म करने की संभावना लग रही है !


क्योंकि पिछले नौ सालों में गरीब, किसानों, दलित, मजदूरों, आदिवासियों को जल – जंगल- जमीन से बेदखल करने के अलावा और सबसे भयानक बात उन्हें एक रुपये का भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है ! और जबरदस्ती से बुलडोजर चलाते हुए कब्जा करने की नई पद्धति शुरू की गई है ! यह भी भेदभाव खत्म करने के लिए ही किया जा रहा है ?
और नई दिल्ली के जी – 20 के मंचसे “भारत दूर करेगा भेदभाव ” की घोषणा देखकर डर पैदा हो गया है ! की भेदभाव की हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति के देश के आधी से अधिक आबादी के अस्तित्व को लेकर मुझे चिंता सता रही है ! जय भारत, जय जय भारत !
डॉ. सुरेश खैरनार, 10 सितंबर, 2023, नागपुर.

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