बहुत पुरानी, लेकिन मानी हुई बात है कि इंसान ठोकर खाकर ही सीखता है. लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को बिल्कुल बदल कर रख दिया है. आत्ममंथन के दौर में उन्हें अपनी ग़लतियों का अहसास हुआ, इसलिए अब वह बहुत फूंक फूंककर अपनी राजनीतिक चालें चल रहे हैं. रेलमंत्री के कार्यकाल के दौरान जहां आम जनता और कार्यकर्ताओं से कट जाने का ग़म उन्हें सालता है तो वहीं नीतीश के शासन में सूबे की स्थिति को लेकर भी वह चिंतित हैं. अगड़ी जातियों को गले लगाने की बात कहकर लालू प्रसाद यह भ्रम दूर करना चाहते हैं कि उनके दिल में किसी जाति व धर्म विशेष के प्रति कोई ग़लत भावना है. वह दावा करते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार की विदाई तय है. इसकी वजह भी लगे हाथ गिनाते हुए वह कहते हैं कि राज्य में विकास के नाम पर लूट मची है, शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है, पुलिस व प्रशासन से लोगों का भरोसा उठ रहा है. उपचुनाव में जनता ने नीतीश को ख़ारिज़ कर दिया और वह विधानसभा चुनाव में इस सरकार के स़फाए का मन बना चुकी है. कांग्रेस से अपने रिश्ते, महंगाई और चुनावी संभावनाओं पर वह पहली बार खुलकर बोले. पेश हैं, बातचीत के प्रमुख अंश:
क्या आपको लगता है कि नीतीश कुमार बिहार को विकास की पटरी पर लाने में सफल रहे हैं?बिल्कुल बकवास बात है. झूठा प्रचार किया जा रहा है. उपचुनाव में हम घूमकर आए हैं. पूरे सूबे में विकास के नाम पर लूट मची है. मंत्री, विधायक और अ़फसरों के घरों में जा रहा है विकास का सारा पैसा. जो सड़कें बनी हैं, उनका हाल आप ख़ुद जाकर देख लीजिए, वे साल भर में ही उजड़ गई हैं. कमीशन का खेल जारी है. जो इस खेल में शामिल हैं उनकी तिजोरियां भर रही हैं. जनता को केवल विकास का सपना ही दिखाया जा रहा है. दिल्ली में, जब हम सरकार में थे तो हमने बिहार को पैसा दिलाया और केंद्रीय एजेंसियों को काम करने के लिए भेजा. देख लीजिए, अब क्या हो रहा है? विकास का पैसा लूटा जा रहा है. केंद्रीय एजेंसियों का मनोबल तोड़ा जा रहा है. बिहार का विकास नहीं, बल्कि नीतीश उसका विनाश कर रहे हैं.लेकिन जब आपके हाथों में राज्य की सत्ता थी तो उस समय बिहार आगे क्यों नहीं बढ़ पाया?हमें क्या केंद्र ने दिल खोलकर पैसा दिया था? चिल्लाते चिल्लाते थक गए थे हम, लेकिन केंद्र सरकार ने अपनी तिजोरी नहीं खोली थी. बिहार बंट गया और संसाधनों में हम पिछड़ गए. इसके बावजूद कोशिश की तो सांप्रदायिक ताक़तों ने झूठे मुक़दमों में फंसा दिया. हमें तो काम करने का मौक़ा ही नहीं मिला. आज हम विपक्ष में हैं और सही बात पर सरकार की टांग नहीं खींचते, लेकिन लालू यादव ग़लत नहीं होने देंगे. ग़रीबों पर अत्याचार होंगे तो हम चुप नहीं बैठेंगे.नीतीश और उनकी सरकार के कामकाज पर आपकी क्या राय है?मेरे साथ ही न थे नीतीश. वह किसी के नहीं हैं. उनके अपने मंत्री और विधायक उनसे नाराज़ हैं. वह किसी की क़द्र नहीं करते. आप किसी मंत्री से ऑ़फ द रिकार्ड जाकर पूछिए, पता चल जाएगा कि नीतीश के लिए उसके दिल में कितनी जगह है.नीतीश में संयम नहीं है. नेता को सबकी बात सुननी चाहिए.
हम तोड़फोड़ में विश्वास नहीं करते, वरना यह सरकार तो कभी भी जा सकती है. जहां तक काम की बात है तो बताइए कि इस सरकार ने अपना कौन सा वादा पूरा किया. पटना छोड़कर कहां बिजली है? किसानों को डीजल पर सब्सिडी देने वाले थे, क्या हो गया? महंगाई ने जनता की कमर तोड़कर रख दी है, कालाबाज़ारियों की चांदी हो गई है और सरकार का इस पर कोई नियत्रंण नहीं है. शिक्षा व्यवस्था चौपट है. नए बहाल किए गए शिक्षकों को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जा रहा है. नक्सली आतंक का आलम यह है कि राज्य के कई इलाक़े ऐसे हैं, जहां शाम होते ही बाज़ार बंद हो जाते हैं. पुलिसिया ज़ुल्म भी बढ़ा है, घरों में घुसकर बच्चों व महिलाओं को पीटा जा रहा है.अगड़ी जातियों के मन में लालू यादव को लेकर जो भ्रम था, उसे पिछले दिनों आपने दूर करने की कोशिश की. आपको लगता है कि जदयू-भाजपा गठबंधन छोड़कर यह तबका आपका साथ देगा?मैंने बार-बार कहा है कि किसी भी जाति व धर्म के प्रति मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है. विपक्ष और मीडिया में कुछ ऐसे लोग हैं, जो इस तरह का ग़लत प्रचार करने में लगे रहते हैं कि लालू अगड़ी जातियों को खा जाएगा.
मैंने कभी भूरा बाल सा़फ करो जैसी बात नहीं कही थी, लेकिन ऐसा प्रचार करके मुझे बदनाम किया गया. लालू आ जाएगा-लालू आ जाएगा का हौआ खड़ाकर जदयू व भाजपा के नेता मुझे अगड़ी जातियों से दूर रखना चाहते हैं. लेकिन, अब वे लोग भी जान गए हैं कि नीतीश ने केवल उन्हें ठगने का काम किया. मैं तो सबको साथ लेकर चलना चाहता हूं. सब लोग एक दूसरे से दोस्ती रखें, अपना काम करें, तभी सूबा आगे बढ़ेगा. एक बात पूरी तरह से स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस दोस्ती को तोड़ने की कोशिश करने वाला अगर मेरा कोई सगा-संबंधी भी रहेगा तो वह भी बख्शा नहीं जाएगा.दलितों को बांटकर महादलित बनाया गया. आपकी राय में इसके पीछे नीतीश की क्या मंशा समझ में आती है?बेवकू़फी भरा क़दम है. दलितों को बांट दिया और महादलितों के लिए वादों का अंबार लगा दिया, लेकिन उन्हें मिला क्या? देखिए, नीतीश फेडअप हो चुके हैं. अनाप शनाप फैसले ले रहे हैं. अपना नुक़सान तो वह कर ही रहे हैं, राज्य को भी रसातल में ले जा रहे हैं.बटाईदार क़ानून पर हाय-तौबा मची हुई है, किसानों में भ्रम की स्थिति है, बटाई करने वाले भी असमंजस में हैं.नीतीश, ज्योति बाबू बनना चाहते हैं. उन्होंने सच न बताकर सभी लोगों को परेशान कर रखा है. मेरी मांग है कि इस क़ानून पर सरकार अपनी नीति व नीयत सा़फ करे. जहां तक मुझे जानकारी है, नीतीश सरकार देर सबेर इस क़ानून को लागू करना चाहती है.कांग्रेस से आपके रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे.
बिहार और झारखंड में उससे तालमेल पर आप क्या सोच रहे हैं?दिल्ली में ताक़त की पूजा होती है. लोकसभा में हमारी ताक़त घटी तो कुछ लोगों ने सोनिया जी को बरगला दिया, लेकिन हम बात के पक्के हैं. अगर साथ देने का वादा किया है तो निभाएंगे. सोनिया व राहुल गांधी का हम पूरा सम्मान करते हैं. सांप्रदायिक ताक़तों को सत्ता से बाहर रखने के लिए हम कोई भी क़ुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. जहां तक तालमेल का सवाल है तो हम दिल्ली में कह आए हैं कि अगर झारखंड में राजद व कांग्रेस का तालमेल न हुआ तो सत्ता भाजपा के हाथ में चली जाएगी. मैं सा़फ बोलने वाला आदमी हूं, इसलिए सच्ची बात कहने से नहीं डरता. बिहार में तालमेल के लिए मैंने पहले भी पहल की थी. हम तो चाहते हैं कि नीतीश सरकार की विदाई हो. गेंद कांग्रेस के पाले में है, अब उसे ही फैसला करना है.रामविलास पासवान तो आपके साथ हैं. और किन किन दलों को आप साथ लाना चाहते हैं?मैं सबको साथ लेकर चलने वाला आदमी हूं. इस निकम्मी सरकार को बाहर करना है. जनता भी अपना मूड बना चुकी है, उपचुनाव में यह बात साबित हो चुकी है. इसलिए वामदल हों या और भी छोटी-बड़ी पार्टियां, सभी मिलकर राज्य के हित की बात सोचें और मज़बूती से चुनावी अखाड़े में कूदने का मन बनाएं.
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