विकास का पुल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का कद छोटा कर सकता है, उसे ढांप सकता है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह बात समझ में आती है, इसीलिए वह तमाम ऐसे विकास के काम जल्द से जल्द पूरे करना चाहते हैं, जिनसे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी का कद ढंके और उसका फ़ायदा उन्हें अगले चुनाव में मिल सके. लखनऊ के सबसे पॉश इलाके माल एवेन्यू में मायावती ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में जो तांडव मचाया था, उससे स्थानीय लोग खासे आक्रांत थे. माल एवेन्यू और उससे सटे कैंट क्षेत्र में कोठियों पर कब्जा करने से लेकर अचल संपत्ति का जाल बिछाने की ऐसी दबंग हरकतें हुईं, जिनसे इलाकाई लोगों का जीना मुहाल हो गया था.
लॉरेटो कॉन्वेंट रोड से कैंट जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे आवास विकास परिषद के बगल में विशाल जगह पर कब्जा करके वहां बसपा का ऐसा दफ्तर बनने लगा, जैसे लाल किला बन रहा हो. उसके ठीक पीछे मायावती का घर दुर्ग की तरह बन रहा था. उसके बगल में कब्जाई गई बेशक़ीमती जगह पर प्रेरणा-स्थल बनाया जाने लगा था और उसके पीछे मायावती के खासमखास सतीश चंद्र मिश्र की कोठी का शानदारीकरण किया जा रहा था. उक्त सारे काम क़रीब-क़रीब एक साथ हो रहे थे और एक साथ ही पूरे शहर का जीवन दूभर कर दिया गया था. मुख्य सड़क पर बसपा का विशाल कार्यालय ऐसा बना, जैसे वह किसी राजनीतिक दल का कार्यालय नहीं, बल्कि कोई उच्च सुरक्षा वाली जेल हो. बसपा की छोटी बैठक भी होती, तो सड़क बंद कर दी जाती थी.
बसपा के दफ्तर में झांकने की तो बात ही छोड़ दें, अगर किसी बैठक में मायावती को खुद आना होता था, तो पूरे इलाके में कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए जाते थे. लोगों को परेशानियों से बचाने के लिए माल एवेन्यू-कैंट रोड पर फ्लाई ओवर की योजना बनी. इससे एक तीर से दो-दो सटीक शिकार होने थे. लोगों का आना-जाना निर्बाध हो जाएगा और मायावती को अपने ठिगने होने का हमेशा एहसास भी होता रहेगा. यह एक सार्थक राजनीति थी, लिहाजा इस पर अधिक चिल्लपों भी नहीं मच सकी. फ्लाई ओवर के तेज गति से होने वाले काम ने ऊंचाई और निचाई का फ़़र्क आम लोगों तक पहुंचाया. पिछले दिनों मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फ्लाई ओवर का लोकार्पण किया. कार्यक्रम में प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव, सेना के मध्य कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल राजन बख्शी समेत कई लोग मौजूद थे.
बसपा के दफ्तर में झांकने की तो बात ही छोड़ दें, अगर किसी बैठक में मायावती को खुद आना होता था, तो पूरे इलाके में कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए जाते थे. लोगों को परेशानियों से बचाने के लिए माल एवेन्यू-कैंट रोड पर फ्लाई ओवर की योजना बनी. इससे एक तीर से दो-दो सटीक शिकार होने थे. लोगों का आना-जाना निर्बाध हो जाएगा और मायावती को अपने ठिगने होने का हमेशा एहसास भी होता रहेगा.
कद छोटा करने की सार्थक राजनीति को रेल फाटक से होने वाले जाम से राहत दिलाने का नाम दिया गया. कहा गया कि लखनऊ-दिलकुशा रेल खंड से गुजरने वाली ट्रेनों की संख्या अधिक है, इससे रेलवे फाटक (संख्या-214-स्पेशल) को बार-बार बंद करना पड़ता है. नतीजतन सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती थी. अब फोर लेन रेल ओवर ब्रिज बन जाने से लोगों को जाम की समस्या से छुटकारा मिल गया है. इस पुल से बसपा का दफ्तर-किला और मायावती का आवासीय-दुर्ग काफी नीचे दिखता है. यह पुल रिकॉर्ड अवधि में बनकर तैयार हो गया. पुल का निर्माण जून 2013 में शुरू हुआ और अक्टूबर 2014 पूरा हो गया. इसी तरह मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए प्रदेश सरकार ने कब्रगाह की ज़मीन पर बिना कोई निर्माण किए एक फ्लाई ओवर बनाया. गोमती नगर स्थित उक्त इलाके में सड़क के दाईं ओर दो लेन मार्ग उपलब्ध था, जिसे चौड़ा करने में कब्रिस्तान की ज़मीन बाधक बन रही थी. ऐसे में कब्रिस्तान के ऊपर उसकी पूरी लंबाई में बिना कोई निर्माण किए एक एलीवेटेड पहुंच मार्ग बनाया गया और उसे रेलवे ओवर ब्रिज से जोड़कर यातायात सुगम किया गया. सितंबर 2013 में यह काम शुरू हुआ और एक वर्ष में पूरा कर लिया गया.
शासन के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में छोटे-बड़े मिलाकर 262 पुल बने. इसी तरह प्रदेश की प्रमुख नदियों पर बड़े पुलों का निर्माण कराया जा रहा है. अखिलेश सरकार की नज़र अब 2017 के विधानसभा चुनाव पर है. लिहाजा, पुल के साथ-साथ पुलिस पर भी वह ध्यान देने लगी है. चुनाव में पुलिस की क्या-क्या भूमिकाएं हो सकती हैं, इस बारे में अलग से बताने की आवश्यकता नहीं है. 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा से असंतुष्ट सिपाहियों ने अपना असर दिखाया और अब वही असर वापस लाने की तैयारी है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने घोषणा की है कि आगामी तीन वर्षों में लगभग डेढ़ लाख कांस्टेबिल भर्ती किए जाएंगे. साफ़ है कि चुनाव आते-आते एक ऐसी बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी, जो अखिलेश सरकार के प्रति सहानुभूति रखेगी. इसका असर चुनाव पर दिखेगा. पुलिस विभाग के लिए सुधार एवं सुविधाओं के कई कार्यक्रमों की पिछले दिनों घोषणा की गई.
अखिलेश मीडिया से नाराज़
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मीडिया से कुछ अधिक ही नाराज़ हैं. पुलिस सुधार की योजनाएं घोषित करते समय उन्होंने मीडिया को नहीं बख्शा. उन्होंने कहा कि क़ानून व्यवस्था पर मीडिया सदैव उन्हें बेवजह टारगेट करता है और प्रदेश की किसी भी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है. उसमें मेरी फोटो तक लगा दी जाती है. मीडिया को अच्छे काम नहीं दिखते. पुलिस-प्रशासन को मीडिया मौक़ा ही नहीं देता और उनके अच्छे काम नहीं दिखाता. मीडिया को अन्य राज्यों की क़ानून व्यवस्था अच्छी दिखती है. अखिलेश ने कहा कि 3-पी यानी पॉलिटीशियन, पुलिस और प्रेस चौथे पी यानी पब्लिक के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. जनता के प्रति इनकी विशेष ज़िम्मेदारी है. ये तीनों मिलकर जनता की बेहतरी के लिए काफी काम कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिज्ञों की ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है, क्योंकि जनता उन्हें चुनकर भेजती है.