माेदी लहर की हवा निकलने के बावजूद वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर भाजपा में कलह जारी है. रुद्रपुर में प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक के दौरान भाजपाई दिग्गजों की आपसी कलह साफ़ दिखी. भाजपा के कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र भेजकर हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव में हार के लिए टीम तीरथ को ज़िम्मेदार ठहराया है. वहीं दूसरी तरफ़ कुछ नेताओं-कार्यकर्ताओं ने वंशीधर भगत का पुतला दहन कर अपना विरोध जताया. डोईवाला सीट पर हुई हार का ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के सिर पर फोड़ा गया.
टीम तीरथ पर आरोप है कि उसने पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की, जिससे गुटबाजी बढ़ी और सैकड़ों कार्यकर्ता अवकाश पर चले गए. टीम तीरथ ने गुटबाजी रोकने और कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेने की कोशिश नहीं की. सूत्रों के मुताबिक, उपचुनाव के पहले यदि इन मुद्दों को टीम तीरथ सुलझा लेती, तो कम से कम डोईवाला और सोमेश्वर सीटें पार्टी ने आसानी से निकाल ली होतीं. टीम तीरथ ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, परिणाम यह हुआ कि पार्टी उपचुनाव में विधानसभा की तीनों सीटें हार गई. अमित शाह को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सोमेश्वर सीट पर अल्मोड़ा के सांसद ने भी रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि वह इस सीट के लिए अपने क़रीबी को टिकट दिलाना चाहते थे. यदि यह सीट रेखा आर्य को सौंप दी गई होती, तो वह ज़रूर जीत गई होतीं.
पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव के दौरान भी भितरघात एवं गुटबाजी करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की पहचान की गई थी और प्रदेश भाजपा की अनुशासन समिति ने कुछ नेताओं- कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ कार्यवाही की थी. लेकिन, जिन नेताओं- कार्यकर्ताओं ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में खुलकर हिस्सा लिया था, उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हुई. नतीजतन, पार्टी विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वालों के हौसले इस उपचुनाव और पंचायत चुनाव में भी बुलंद रहे. केंद्रीय नेताओं का ध्यान केवल पार्टी पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को समझाने-बुझाने में बीत गया. वे सोचते रहे कि प्रदेश में भाजपा का संगठन काफी मजबूत है. लेकिन, सच्चाई ने अपना रंग दिखाया और पार्टी के उम्मीदवार उपचुनाव एवं पंचायत चुनाव में हार गए.
पार्टी के कुछ नेता एकता का सबक याद करने की बजाय भितरघात के मंत्र का जाप कर रहे हैं. प्रदेश भाजपा संगठन के सह महामंत्री शिवप्रकाश ने साफ़-साफ़ कहा कि भाजपा को जनता नहीं हराती है, उसे अपने ही लोग नुक़सान पहुंचाते हैं. केंद्र से आए नेता भी कार्यसमिति में पेश किए गए एजेंडे से बेहद चिंतित दिखे. प्रदेश सरकार को घेरने की रणनीति एजेंडे में न दिखने से केंद्रीय नेताओं ने अपनी नाराज़गी कार्यसमिति में खुलेआम व्यक्त की. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है, चारधाम यात्रा बाधित हो रही है, सड़कें खराब हैं. उन्होंने कहा कि एक साल पहले आई आपदा से बेघर हुए लोगों का पुनर्वास नहीं हो पाया है. बावजूद इसके पार्टी की ओर से न पहले कोई कड़ा क़दम उठाया गया और न भविष्य के एजेंडे में कोई ठोस प्रस्ताव है. केंद्रीय नेताओं ने कहा कि भाजपा नेता प्रदेश हित में प्रभावी भूमिका का निर्वहन करें. उन्होंने चेताया कि कार्यकर्ताओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उनका मानना था कि बीते उपचुनाव और पंचायत चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से भाजपा हाईकमान बेहद नाराज़ है, क्योंकि प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उसका भरोसा तोड़ दिया है.
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