uk electionहाल के वर्षों में जिस तरह से राजनीतिक दल जन सरोकारों से दूर होते जा रहे हैं, इससे आम जनता में यह भावना प्रबल हुई है कि वह चुनावों में अपनी भूमिका सिर्फ एक मतदाता तक सिमित न रखे और अपनों के बीच से अपना प्रतिनिधि चुने. इसी भावना के तहत उत्तराखंड में जनता का एक वर्ग इस विधानसभा चुनाव में लोकतंत्र को सच्चे अर्थों में सार्थक करने के लिए कमर कस चुका है.

सियासी पार्टियों के मायाजाल से लोकतंत्र को निकालने के जनता के इस प्रयास को खूब समर्थन भी मिल रहा है. उत्तराखंड के कई इलाकों में इन जन उम्मीदवारों की धमक महसूस की जा सकती है. आम लोग भी मान रहे हैं कि दलों के दलदल में फंसने से अच्छा है कि इन जन उम्मीदवारों को समर्थन दिया जाय.

गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखण्ड में अपने 10 दिनों की जनतंत्र यात्रा रैली में अन्ना हजारे ने कहा था कि हम राजनीतिक पार्टी नहीं बनाएंगे, लेकिन राजनीतिक विकल्प के तौर पर जन उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे. इन जन उम्मीदवारों के लिए अन्ना जी ने कहा था कि ये वे लोग होंगे जिन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं होना चाहिए और न ही अन्य कोई दाग होने चाहिए.

अन्ना हजारे के इस ऐलान के बाद से ही जन उम्मीदवारों की स्वीकार्यता बढ़ने लगी थी. अब स्थानीय स्तर पर काम करने वाले संगठन भी जन उम्मीदवारों के समर्थन में खुलकर सामने आ रहे हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की आवाज बुलंद करने वाले संगठन किसान मंच ने भी जन उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया है. किसान मंच की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप द्वारा की गई थी, जिसकी शाखाएं भारत की सभी प्रदेशों में हैं. वीपी सिंह का स्वर्गवास होने के बाद किसान मंच कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो गया था. लेकिन अब कमल मोरारका और विनोद सिंह सहित कई लोगों द्वारा इस मंच को सक्रिय करने के लिए पूरे देश का भ्रमण किया जा रहा है.

किसान मंच ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में छह प्रत्याशियों को जन उम्मीदवार के रूप में उतारा है. किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष निशि वर्मा, व किसान मंच के उपाध्यक्ष, अग्रवाल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व रामायण, विक्रम बेताल जैसे सिरियलों के निर्माता श्री चन्द जैन ने 24 जनवरी को इन नामों की घोषणा की.

किसान मंच ने उत्तराखंड चुनाव के लिए जिन छह जन उम्मीदवारों को उतारा है, वे इस प्रकार हैं-

  1. सुशील बहुगुणा- बहुगुणा टिहरी विधानसभा सीट से जन उम्मीदवार हैं. ये सामाजिक सरोकार से जुड़े रहे हैं. इनकी संस्था रॉट्‌स ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्य करती है. शादी समारोहों में कॉकटेल पार्टी बन्द कराने के प्रयास के लिए बहुगुणा को पुरस्कृत किया जा चुका है.
  2. गणेश भट्‌ट- भट्‌ट देवप्रयाग विधानसभा से जन उम्मीदवार हैं. भट्‌ट ने डडूवा में शराब की फैक्ट्री के विरोध में आत्मघाती आंदोलन किया था, जिसके बाद यहां शराब की फैक्ट्री का शासनादेश निरस्त हुआ. गणेश भट्‌ट ने कीर्तिनगर में तहसील बनाने के लिए भी आंदोलन चलाया था जो सफल रहा.
  3. मोहन काला- मोहन काला लोकप्रिय समाजसेवी व उद्योगपति हैं, जो श्रीनगर विधानसभा से जन उम्मीदवार हैं. 2013 की केदारनाथ आपदा प्रभावितों की मदद के लिए इन्होंने विशेष सहयोग किया था. अब भी आपदा प्रभावित दर्जनों बच्चों की शिक्षा-दीक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं. इसके अलावा वे खेल, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वाले युवाओं को भी समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहते हैं. इन्होंने धर्मशाला व मठ-मंदिरों के संरक्षण के लिए भी बहुत से काम किए हैं.
  4. एडवोकेट देवकी नंदन शाह- देवकी नंदन शाह पौडी विधानसभा क्षेत्र से जन उम्मीदवार हैं. इन्होंने इससे पहले जिला पंचायत का चुनाव निर्दलीय जीता है. शाह कई समाजिक आंदोलनों के लिए जाने जाते हैं एवं ईमानदार छवि के लिए प्रख्यात हैं.
  5. मनमोहन लखेड़ा- लखेड़ा देहरादून जिले की धर्मपुर विधानसभा सीट से जन उम्मीदवार हैं. ये वर्तमान में श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश अध्यक्ष है, साथ ही पूर्व में देहरादून प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे हैं. पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण में इनकी भूमिका उल्लेखनीय है.
  6. गुड्‌डू लाल- गुड्‌डू लाल चमोली जिले की थराली विधानसभा (आरक्षित) सीट से जन उम्मीदवार हैं. गरीब परिवार से संबंध रखने वाले गुड्‌डू जनहित के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. विकास खंड घाट में महाविद्यालय निर्माण के लिए आंदोलन के साथ-साथ ये भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज बुलंद करते रहते हैं.
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