maxresdefaultपीएम ने बनारस में दिया ई-रिक्शा और ई-बोट तो अखिलेश ने लखनऊ में दिया मजदूरों को 10 रुपये में भोजन बलिया में उज्जवला योजना के जरिए गरीब लोगों को गैस कनेक्शन देने के बहाने चुनावी कनेक्शन जोड़ने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान के अगले ही दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बलिया पहुंच गए और घोषणा कर दी कि 2017 में सपा की सरकार बनने पर प्रत्येक गरीब महिला को पांच सौ रुपये समाजवादी पेंशन के रूप में मिलेंगे, जिससे वे गैस सिलिंडर खरीद सकेंगी. उज्जवला स्कीम शुरू करते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उनकी यह घोषणा चुनावी नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कहा कि चुनाव जिताओ और पेंशन पाओ. मोदी ने मजदूर दिवस पर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ई-रिक्शा और ई-बोट बांटे तो अखिलेश ने मजदूरों के लिए 10 रुपये में सम्पूर्ण भोजन की योजना शुरू कर उसे समानान्तर करने की कोशिश की.

बलिया में गरीब परिवारों के लिए मुफ्त एलपीजी कनेक्शन उज्ज्वला योजना शुरू करते हुए मोदी ने इसका श्रेय उन सवा करोड़ परिवारों को दिया जिन्होंने गैस सब्सिडी छोड़कर गरीबों के घर में एलपीजी पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 1955 से रसोई गैस देने का काम चल रहा है. इतने साल में सिर्फ 13 करोड़ परिवारों को गैस कनेक्शन मिला, जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महज एक साल में तीन करोड़ परिवारों को रसोई गैस का कनेक्शन दिया है. मोदी ने खुद को देश का नंबर वन मजदूर बताया और कहा कि 21वीं सदी का मंत्र होना चाहिए, विश्‍व के मजदूरों आओ हम दुनिया को एक करें. दुनिया को जोड़ने के लिए अगर कोई रसायन है तो वह है मजदूर का पसीना. मोदी ने कहा कि वे बलिया से यूपी में चुनावी बिगुल बजाने नहीं आए हैं. चुनाव का बिगुल तो मतदाता बजाते हैं. उन्होंने बलिया को इसलिए चुना, क्योंकि यहां गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले 100 में से केवल आठ परिवारों के घर में ही रसोई गैस जाती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ई-रिक्शा बांटकर गरीबों को तकनीक से जोड़ने की बात कही. प्रधानमंत्री ने मल्लाहों को भी ई-बोट दिए. मोदी ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि जो भी सरकारें रहीं वे वोट बैंक देख कर योजनाएं बनाती रहीं. लेकिन भाजपा सरकार गरीब-दलित और किसानों के हित में योजनाएं बना रही है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अगले ही दिन बलिया पहुंच कर कहा कि केंद्र सरकार ने सिलिंडर दिया तो सपा सरकार गैस खरीदने के लिए पैसे की व्यवस्था करेगी. उन्होंने अपने इस वक्तव्य को सीधे-सीधे चुनाव से जोड़ा और कहा कि 2017 में फिर से समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो हर गरीब महिला को पांच सौ रुपये की पेंशन मिलेगी, जिससे हर महीने गैस का इंतजाम हो जाएगा. अखिलेश यादव ने मोदी को यह भी सुनाया कि नीति आयोग बनने से राज्य के हितों का नुकसान हो रहा है और आयोग यूपी को कम पैसा देकर भेदभाव कर रहा है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मजदूर दिवस पर लखनऊ में सचिवालय भवन में काम कर रहे मजदूरों के साथ दोपहर का खाना खाकर मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत श्रम विभाग में पंजीकृत मजदूरों के लिए 10 रुपये में दोपहर का खाना मुहैया कराया जाएगा. इससे पहले अखिलेश ने श्रम विभाग के कार्यक्रम में मजदूरों के लिए पेंशन योजना और 10 रुपये में मध्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की. इस मौके पर 100 मजदूरों को पेंशन के चेक और 1000 मजदूरों को साइकलें भी दी गईं.

श्रम विभाग के अधिकारी ने बताया कि भोजन देने से एक दिन पहले श्रमिकों से 10 रुपये लिए जाते हैं. इसके बाद उन्हें एक टोकन दे दिया जाता है. इसी टोकन के आधार पर उन्हें अगले दिन खाना दिया जाता है. जिले में करीब 80 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं. आने वाले दिनों में कुछ बड़े सड़क निर्माण होने हैं. इन जगहों पर शिविर लगाकर श्रमिकों का पहले पंजीकरण किया जाएगा. भोजन योजना के तहत कार्य स्थल पर दोपहर के भोजन में मजदूरों को रोटी वाले टिफिन में 10-12 रोटी, दो सब्जी, दाल, सलाद और गुड़ मिलेगा. चावल वाले टिफिन में 400 ग्राम चावल, दाल, सब्जी, छोला, सलाद और गुड़ होगा. श्रम मंत्री शाहिद मंजूर कहते हैं कि एक टिफिन की कीमत 41 रुपये है, लेकिन मजदूरों को यह 10 रुपये में दिया जा रहा है. बाकी 31 रुपये का भुगतान सरकार अन्य स्त्रोतों से कर रही है. इस योजना के तहत रायबरेली रोड स्थित एनसीसी अवध विहार, हिमालयन एन्क्लेव, हजरतगंज स्थित सचिवालय विहार और लखनऊ मेट्रो भी शामिल हैं.

चौधरी जी! अपना बयान खुद पढ़ते हैं कि नहीं?

समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व अखिलेश सरकार में मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि वर्ष 2016-17 साजिश का वर्ष होगा. वह सच बनकर उजागर हो रहा है. अभी विधानसभा चुनाव में लगभग एक वर्ष बाकी हैं लेकिन धोखे की राजनीति करने वालों की सक्रियता प्रदेश में बढ़ गई है. राजेंद्र चौधरी मुख्यमंत्री के वक्तव्य का संदर्भ और धोखे की राजनीति के बयान को साबित करने वाला कोई उदाहरण नहीं दे पाते. कौन साजिश कर रहा है या कौन धोखे की राजनीति कर रहा है? यह सवाल अनुत्तरित ही रह जाता है. जिस सवाल का राजेंद्र चौधरी जवाब नहीं दे पाते, उसे वे खुद ही क्यों उठाते हैं? यह सवाल पार्टी में कोई उनसे पूछता भी नहीं है. अपने आधिकारिक बयान में चौधरी आगे केवल इतना ही कह पाते हैं कि कांग्रेस, भाजपा और बसपा की पिछली सरकारों ने विकास पर कम, समस्याएं बढ़ाने का ज्यादा काम किया है. चौधरी के इस आधिकारिक बयान में साजिश का वर्ष और धोखे की राजनीति का तथ्यात्मक सिरा ढूंढ़ पाना असंभव है. क्योंकि आगे के बयान में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की योजनाओं का बखान और गुणगान है, जैसा चौधरी हमेशा करते रहते हैं. उनके बयान में साजिश का वर्ष और धोखे की राजनीति का संदर्भ कहीं नहीं है. राजेंद्र चौधरी बयान तैयार करते समय और उसे जारी करते समय उसका ओर-छोर भी नहीं देखते कि कहीं उसका सिरा तर्कों और तथ्यों से जुड़ भी पा रहा है कि नहीं. इससे सपा के प्रवक्ता के बयान को अखबारों में बड़े ही हास्यास्पद तरीके से लिया जा रहा है.

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