उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों का विचित्र रंग-ढंग है. जो भी पार्टी सत्ता में आई, वह प्रदेश को अपने ही रंग में ढालने की कोशिश करने लगती है. इस लत से यूपी को रंग रोग लग गया है. लोग रंग बदलता देखते हैं, पर ढंग बदलता नहीं देखते. सत्ता में बसपा आई थी, तो नेताओं की टोपी से लेकर परिवहन निगम की बसों और रोड डिवाइडरों तक के रंग नीले होने लग गए थे. सपा आई तो नेताओं की टोपी, बसें और सपाइयों के मिजाज हरे और लाल रंग में दिखने लगे. अब भाजपा आई है, तो सब तरफ भगवा-भगवा नजर आ रहा है.
प्रदेश में अब बसें भी भगवा रंग में पुती नजर आएंगी. रंगों का रोग मौलिक तौर पर भाजपाइयों का ही फैलाया हुआ है. कल्याण सिंह जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तभी उन्होंने परिवहन निगम की बसों का रंग भगवा कराया था. इसके बाद तो सभी पार्टियों को रंग-रोग लग गया. अब जल्दी ही उत्तर प्रदेश के यात्री भगवा रंग की रोडवेज बसों में सफर शुरू करेंगे. राजधानी समेत प्रदेशभर की सड़कों पर भगवा रंग की रोडवेज बसें दौड़ती नजर आएंगी. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम शीघ्र ही भगवा रंग से सराबोर अंत्योदय बस सेवा का शुभारंभ करने जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में नई सरकार का गठन हुए तकरीबन छह महीने हो चुके. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही लोगों के माथे और कंधे पर भगवा रंग का गमछा दिखने लगा. मोटरसाइकिलों से लेकर मोटर वाहन तक का रंग भगवा होने लगा और छह माह बीतते-बीतते यूपी पर भगवा रंग छा गया. इस भगवा रंगीकरण पर सरकारी योजना कम चाटुकारिता का रंग अधिक हावी और प्रभावी है. परिवहन निगम की बसों की तो बात छोड़िए, अब तो ‘समाजवादी एम्बुलेंस’ (102-108) का भी रंग भगवाई होने जा रहा है. एम्बुलेंसों का नाम भी बदला जाएगा. स्वाभाविक है कि उसका नाम अब ‘समाजवादी’ नहीं रहेगा. अब एम्बुलेंस का नाम किसी भाजपाई महापुरुष के नाम पर रखा जाएगा. अब तो बाजार में भी देखिए तो जैकेट, साड़ी, पगड़ी, तौलिया, गमछा, घर के साज सामान, यहां तक कि टेलीफोन और तार के रंग भी भगवा होने लगे हैं. छुटभैये चाटुकार नेताओं के साथ-साथ बड़े नेता, मंत्री और विधायक तक अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुश करने के लिए भगवाई निष्ठा का रंग कपड़ों पर पोत रहे हैं.
भगवाई कपड़े बेचने वाले एक दुकानदार ने कहा कि नेताओं का वश चले, तो वे अपना मुंह भी भगवा रंग में पुतवा लेंगे. फिर उसी दुकानदार ने इस संवाददाता से पूछा कि क्या किसी पार्टी का रंग काला है? फिर स्वगत बोला, ‘ऐसी पार्टी सत्ता में आ गई, तो नेता मुंह काला करके घूमते मिलेंगे’. आप सत्ता के गलियारे में घूमें, आपको मंत्री, विधायक, नेता-कार्यकर्ता सब भगवा रंग की सदरी (जैकेट) और भगवा रंग का तह किया गमछा कंधे पर रखे दिखेंगे. महिला नेता और महिला कार्यकर्ता भी अब भगवा रंग की ही साड़ियों में दिख रही हैं. इकलौते सिख मंत्री भी भगवा रंग की पगड़ी में दिख रहे हैं और इकलौते मुस्लिम मंत्री भी भगवा रंग के कुर्ते और जैकेट में नजर आ रहे हैं. उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य भले ही भीतर-भीतर मौके की तलाश में रहते हों, लेकिन ऊपर से भगवा रंग की जैकेट पहने कार में भगवा रंग की कवर वाली सीट पर बैठे हुए योगी के परम समर्थक दिखने-दिखाने की कोशिश करते नजर आते हैं.
जहां तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सवाल है, तो उस सवाल का सारा जवाब भगवा में ही है. जिन कुर्सियों पर वे बैठते हैं वो भी भगवा रंग की चादर से ढंकी रहती हैं. उनके कार्यालय का सोफा, कुर्सी, पर्दे सब पर भगवा रंग है. मुख्यमंत्री सचिवालय में योगी के कार्यालय कक्ष से लेकर कैबिनेट सभाकक्ष तक भगवा ही भगवा है. यहां तक कि माइक्रोफोन के तार तक भगवा कपड़े में लपेट दिए गए हैं. दिलचस्प तो यह है कि योगी को भगवा रंग पसंद है, तो उनके चाटुकार नौकरशाह उन्हें नारंगी रंग का ‘मिरांडा’ या वैसा ही ‘ऑरेंज कोल्ड ड्रिंक’ भी पिलाते हैं. पिछले दिनों बुंदेलखंड के दौरे के समय मुख्यमंत्री को नारंगी रंग वाला ही कोल्ड ड्रिंक दिया गया और जब वे वाराणसी गए, तो वहां भी भगवा रंग छाया रहा. मेजों को भी भगवा रंग से ही ढांप दिया गया था.
अब आते हैं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों को भगवा रंग में रंगने की मची होड़ पर. भाजपा सरकार ने गरीबों की सुविधा के लिए अंत्योदय बस सेवा शुरू करने का फैसला लिया. इन बसों का किराया सामान्य बसों की तुलना में कम होगा. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष में इसकी शुरुआत होगी. 25 सितम्बर को इसका उद्घाटन होगा. अंत्योदय बस सेवा की बसें भगवा रंग की होंगी. परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक (तकनीकी) जयदीप वर्मा ने कहा कि इन बसों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है.
भगवा रंग की जो बसें यूपी की सड़कों पर उतरेंगी, इन बसों की सबसे बड़ी खासियत है कि इनमें यूरो-4 इंजन लगा हुआ है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलेगा. 52 सीटर बसें नई तकनीकी से लैस होंगी. पहले चरण में भगवा रंग की 50 बसों का संचालन किया जाएगा. ये बसें कानुपर में रोडवेज की राममनोहर लोहिया केंद्रीय कार्यशाला में तैयार की जा रही हैं. उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार ने गरीबों को रोडवेज बसों में सफर की सुविधा देने के लिए समाजवादी ग्रामीण लोहिया बस सेवा की शुरुआत की थी. इन बसों को सपा के झंडे के ही रंग में रंगा गया था.
उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने का असर सारे विभागों पर पड़ता है, लेकिन परिवहन निगम ऐसा विभाग है, जो सरकार बदलते ही सबसे पहले सरकारी पार्टी के रंग में रंग जाता है. यूपी में सपा सरकार के जाते ही और भाजपा सरकार के आते ही परिवहन निगम ने बसों का रंग हरा-लाल की जगह भगवा करने की तैयारी शुरू कर दी थी. बसपा काल में बसों के बेड़े में जब वातानुकूलित वॉल्वो बसें शामिल हुई थीं, तो उन बसों का रंग नीला कर दिया गया था.
बसपाई आगमन के वर्ष 2007 में आलमबाग बस स्टेशन से बसों का संचालन शुरू हुआ और हाईटेक वॉल्वो बस सेवा लांच हुई थी. बसपा सरकार ने उसी समय बसों पर पार्टी का रंग चढ़ाने का काम शुरू कर दिया. साधारण बसों को नीले रंग में पोत कर उन बसों का नाम ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ रख दिया गया. इसके बाद सौ करोड़ के सरकारी अनुदान से नीले रंग की बसपाई वॉल्वो बसें खरीदी गईं. तब से नीले रंग की वॉल्वो और नीले रंग की ही ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ बसें प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रही हैं. बसपा सरकार के जाने के बाद सपा ने सत्ता में आते ही अपनी पार्टी का रंग बसों पर चढ़ाना शुरू किया.
समाजवादी लोहिया ग्रामीण बस सेवा के नाम से वर्ष 2014 में डेढ़ हजार बसें लांच की गईं, सब की सब हरे और लाल रंग के सपाई कलेवर में. परिवहन निगम के इस रंग-रोगन पर खुश होकर अखिलेश सरकार ने परिवहन निगम का एक तिहाई टैक्स माफ कर दिया, जिससे निगम को 76 करोड़ का सीधा फायदा हुआ. अब भाजपा की सरकार आ गई है. स्वाभाविक है कि रंग बदलेगा. हालांकि सरकार का निर्णय आने के पहले ही रंग-रोग से ग्रस्त परिवहन निगम ने बसों को भगवा रंग में रंगने की तैयारी शुरू कर दी थी. निगम के अधिकारी कहते हैं कि बसों को पार्टी के रंग में रंगने की शुरुआत भाजपा सरकार के ही कार्यकाल के दौरान हुई थी. कल्याण सिंह जब मुख्यमंत्री बने थे, तब पहली बार परिवहन निगम की बसों पर हल्का भगवा रंग चढ़ाया गया था. अब तो भाजपा की सत्ता पर पकड़ भी गहरी है, इसलिए बसों पर भगवा रंग भी गहरा ही चढ़ रहा है.
महिलाओं के लिए चलेंगी गुलाबी बसें
नीली, हरी-लाल और भगवा रंग की बसें चलेंगी तो गुलाबी बसें पीछे क्यों रहें! इन गुलाबी बसों के पीछे गुलाबी-गैंग का हाथ नहीं बल्कि इसके पीछे महिला-सशक्तिकरण का रंग है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में निर्भया फंड के तहत प्रदेश में 50 गुलाबी (पिंक) बसों का संचालन होना है. इन बसों का रंग गुलाबी होगा और इनमें महिला यात्रियों को ढेर सारे तोहफे भी मिलेंगे. इन बसों में महिला यात्रियों को सुरक्षा के साथ ही किराए में छूट, मुफ्त वाई-फाई की सुविधा, पिज्जा, बर्गर, बिस्किट, कोल्ड ड्रिंक और जूस उपलब्ध कराने की भी योजना है.
गुलाबी बसों से सौ किलोमीटर या इससे अधिक दूरी तक सफर करने वाली महिलाओं को खाना दिया जाएगा. अभी तक परिवहन निगम में महिलाओं के लिए मात्र एक एसी पिंक बस थी, जिसमें महिला यात्रियों को फ्री वाई-फाई के साथ टीवी की सुविधा और पीने का पानी मिलता था. महिला यात्रियों को सबसे बड़ी सुविधा यह मिलेगी कि अगर एक साथ पांच महिलाओं ने एक ही स्थान से टिकट बुक कराया, तो पिंक-बस उन्हें ‘पिक’ करने उनके द्वारा बताए गए एक निर्धारित स्थान तक जाएगी.
पिंक बसों के सफल संचालन के लिए परिवहन निगम कई ऐसे गर्ल्स हॉस्टल और दफ्तरों को चिन्हित कर रहा है, जहां से अधिकांश महिलाएं शुक्रवार की रात को अपने घरों के लिए सफर करती हैं. इनमें से कुछ जगहों पर परिवहन निगम अपने बोर्डिंग प्वाइंट बनाएगा, जहां से महिला यात्री आराम से बस पकड़ सकेंगी. पिंक बसों में सफर करने वाली महिलाओं के साथ उनके सगे परिजनों को भी सफर करने की इजाजत दी जाएगी. इसके लिए सम्बन्धित व्यक्ति को अपनी अधिकृत पहचान बतानी होगी. अगर किसी एक महिला ने बस में सफर करने के लिए किसी अन्य महिला को भी तैयार किया, तो उसे किराए में पांच से 10 फीसद तक छूट दी जाएगी. ऑनलाइन टिकट बुक कराने पर भी महिलाओं को किराए में अतिरिक्त छूट मिलेगी.
पिंक बसों से सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए खास इंतजामात किए जा रहे हैं. इसके लिए निगम अलग से 83 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. बसों को सुरक्षा की दृष्टि से अत्याधुनिक मशीनरी से लैस किया जाएगा. बसों में सीसीटीवी कैमरों के साथ ही जीपीएस और पैनिक-बटन भी लगा होगा. ब्लू-टूथ से डीवीआर कनेक्ट होगा. जिससे सीसीटीवी से होने वाली रिकॉर्डिंग कंट्रोल रूम के डीवीआर में सुरक्षित रहेगी. महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘आदिशक्ति’ ग्रुप बनाया जा रहा है, जो महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेगा.
‘आदिशक्ति’ ग्रुप में चार सौ महिलाएं शामिल होंगी, जिनमें वर्तमान में रोडवेज में तैनात तीन सौ महिला कंडक्टर और सौ महिला अधिकारी व कर्मचारी शामिल होंगी. ‘आदिशक्ति’ ग्रुप के पास 24 इंटरसेप्टर हर समय मौजूद रहेंगे. ये सभी इंटरसेप्टर वायरलेस और जीपीएस से लैस होंगे. इंटरसेप्टर पर एक पुरुष ट्रैफिक सुपरिटेंडेंट और एक महिला ट्रैफिक सुपरिटेंडेंट हमेशा तैनात रहेंगे. उनके साथ पुलिस की चौकस टीम साथ रहेगी, जिसमें पुरुष और महिला पुलिसकर्मी साथ-साथ तैनात रहेंगे. पिंक-बसों में महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों का अलग से एस्कॉर्ट रखने की योजना पर भी विचार-विमर्श चल रहा है.