भोपाल। शुक्रवार शाम से शुरू हुए 60 घंटों के कोरोना कफ्र्यू को लेकर पुलिस और प्रशासन सतर्क, सजग और मुस्तैद है। डीआईजी इरशाद वली और कलेक्टर अविनाश लवानिया शनिवार सुबह से ही सड़कों पर उतरकर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। नए शहर से लेकर पुराने शहर के विभिन्न इलाकों में गश्त लगाते इन अधिकारियों से मुलाकात हुई और दोनों से दो-दो बातें हुईं। इस दौरान अफसरों ने व्यवस्थाओं की कमी के दुरुस्त होने और लोगों द्वारा लापरवाहियां बरतने को लेकर बातें कहीं। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :
कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि अचानक राजधानी में हुई रेमडिसीवर इंजेक्शन की कमी स्थानीय अव्यवस्था या आपूर्ति से नहीं बनी है, बल्कि इसकी वजह आसपास के जिलों में बिगड़े हालात हैं। राजधानी भोपाल के आसपास स्थित कई बड़े शहर और छोटे गांव-कस्बे तक यहां की सप्लाई पर निर्भर हो गए हैं। इंदौर, सागर, बैतूल जैसे कई जिलों के लोग रेमडिसीवर इंजेक्शन के लिए दौड़ लगा रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि यहां व्यवस्था गड़बड़ाने जैसे हो गए। लवानिया ने कहा कि हालांकि शनिवार को इस स्थिति में सुधार आने शुरू हो गए हैं। रेमडिसीवर की नई खेप यहां पहुंच गई है, जिसके बाद मरीजों को इसकी कमी से नहीं जूझना पड़ेगा। इंदौर और उज्जैन की तरह राजधानी भोपाल में भी लॉक डाउन की अवधि बढ़ाने की स्थिति पर उन्होंने कहा कि फिलहाल हालात पर निगरानी रखी जा रही है। स्थितियों के मद्देनजर इसके लिए निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीमारों की संख्या लगातार बढ़ रही है, प्राथमिकता कोरोना चैन को आगे बढऩे से रोकने की है, इसके लिए जो भी जरूरी कदम उठाना होंगे, वह उठाए जाएंगे। आपदा प्रबंधन की बैठक के जरिये सभी पक्षों की सहमति से आगे की रणनीति और व्यवस्था तय की जाएगी।
डीआईजी इरशाद वली ने हालात को बेकाबू और गंभीर बताते हुए कहा कि लोग अब भी इसको लेकर अगंभीर बने हुए हैं। लॉक डाउन और रात्रिकालीन कफ्र्यू के दौरान बिना वजह लोगों की आवाजाही असहनीय भी है और चिंताजनक भी। ऐसे में पुलिस द्वारा की जाने वाली सख्ती को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं। वली ने कहा कि निर्धारित से कई घंटों की लगातार ड्यूटी करते पुलिस जवान जनता की सुरक्षा और सेवा कर रही है, बदले में उसे लोगों के आरोप और दुव्र्यवहार मिल रहा है, जो अनुचित है। डीआईजी ने कहा कि शहरभर में बैरिकेटिंग कर लोगों की बेवजह तफरीह को रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सड़कों पर निकले लोग दसों तरह के बहाने और दलीलें साथ लेकर चल रहे हैं। लॉक डाउन या कफ्र्यू की स्थिति लोगों की हिफाजत और उनको बीमारी की जकड़ में आने से रोकने के लिए है, उन्हें इसका पालन करना चाहिए।
खान अशु