भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देशभर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई. साथ ही कई वामपंथी विचारकों के यहां छापेमारी की गई है. बता दें यह पूरी कार्रवाई तुषार दामगुडे नाम के शख्स की एफआईआर पर पुणे पुलिस कर रही है.
दरअसल दामगुडे द्वारा ही 8 जनवरी को लिखाई गई एफआईआर पर कार्रवाई कर पुणे पुलिस ने देशभर में छापे मारे और पांच लोगों सुधा भारद्वाज, वारावारा राव, वर्नन गॉन्ज़ल्स और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया. एफआईआर में दामगुडे ने कहा है कि वे 31 दिसंबर को एल्गार परिषद् के कार्यक्रम में गए थे. जहां सागर गोरखे, सुधीर धवले,  ज्योति जगताप, जिग्नेश मेवाणी, उमर खालिद समेत कई दलित कार्यकर्ता मौजूद थे. कार्यक्रम में सागर गोरखे ने कहा था कि, ” हमें पेशवा के नए शासन के खिलाफ लड़ना होगा.” जबकि धवले ने कहा था कि “जब कभी हमें दबाया जाएगा तो विद्रोह होगा और शहर जलकर राख हो जाएगा.”

दामगुडे फेसबुक पर वामपंथियों के खिलाफ लगातार लिखते आ रहे हैं. मराठी में उनके लिखे को 1,35,00 समर्थक रोज़ पढ़ते हैं. मंगलवार की गिरफ्तारियों के बाद भी उन्होंने लिखा- वारावारा इतनी बड़ी शख्सियत हैं कि उन्हें आप माओवादियों का प्रधानमंत्री कह सकते हैं.’ बाद में रात में कुछ मराठी चैनलों पर दामगुडे ने बहस में हिस्सा भी लिया.

प्रधानमंत्री की हत्या के षडयंत्र के बारे में दामगुडे ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री की हत्या के लिए 8 करोड़ रुपए दिए गए, जिससे एम-4 गन खरीदी जा सके, साथ ही 4 लाख राउंड गोलियां भी. क्योंकि ये लोग राजीव गांधी हत्याकांड जैसा काम करना चाहते थे. अब 7 दिन की पुलिस कस्टडी में, जब कड़ाके की सर्द हवा चलेगी तब बूढ़ी हड्डियां बहुत दर्द करेंगी.’

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