नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाया है। भाला फेंक में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का यह पहला गोल्ड और कुल सातवां पदक है। इससे पहले रेसलर बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक का मैच जीत लिया। ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को 13 साल बाद दूसरा गोल्ड मिला है। बीजिंग ओलंपिक 2008 में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने किया था।
नीरज चोपड़ा ने अपने पहले थ्रो में 87.03 मीटर दूर भाला फेंका, जबकि पहले राउंड की दूसरी कोशिश में नीरज के भाले ने 87.58 मी. की दूरी मापी। तीसरे प्रयास में नीरजृ ने 76.79 मी. दूर भाला फेंका। पहले राउंड में 12 खिलाड़ियों से 8 ने अगले दूसरे और फाइनल राउंड में जगह बनायी थी। यहां नीरज से कुछ फाउल जरूर हुए, लेकिन अच्छी बात यह रही कि नीरज शुरुआत से लेकर खत्म होने तक एक बार भी नंबर-1 पायदान से नीचे नहीं फिसले।
नीरज ने चौथी और पांचवीं कोशिश में फाउल होने के बाद अपनी आखिरी यानि छठी कोशिश में 84.24 मी. दूरी पर भाल फेंका, लेकिन उनके स्वर्ण पदक का आधार बनी दूसरी कोशिश में मापी गयी 87.58 की दूरी। इस दूरी को न पाकिस्तानी अरशद नदीम ही भेद सके और न ही कोई दूसरा एथलीट।
चेक के जाकुब वेदलेच 86.67 मीटर थ्रो के साथ दूसरे नंबर पर रहे। वहीं 85.44 मीटर के थ्रो के साथ चेक के वितेस्लाव वेसेली तीसरे नंबर पर रहे। नीरज ने क्वालिफाइंग राउंड में 86.65 मीटर थ्रो किया था और अपने ग्रुप में पहले नंबर पर रहे थे।
कोहनी की चोट से उबरकर की वापसी
भारतीय सेना के नीरज की ओलंपिक की तैयारियां 2019 में कोहनी की चोट और फिर कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित हुई थी लेकिन उन्होंने अपने प्रशंसकों को बिल्कुल निराश नहीं किया। ओलंपिक में अपनी पहली ही थ्रो पर फाइनल में जगह बना ली। वह ओलंपिक से पहले सिर्फ तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले पाए थे। इसमें कुआर्टेन खेल ही विश्व स्तरीय प्रतियोगिता थी जहां चोपड़ा तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि वेटेर ने खिताब जीता था।
ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स यानी एथलेटिक्स किसी भी ओलिंपिक गेम्स का सबसे मुख्य आकर्षण होते हैं, लेकिन नीरज से पहले कोई भारतीय इन इवेंट्स में मेडल नहीं जीत पाया था। ब्रिटिश इंडिया की ओर से खेलते हुए नॉर्मन प्रिटचार्ड ने साल 1900 में हुए ओलिंपिक में एथलेटिक्स में दो मेडल जीते थे, लेकिन वे भारतीय नहीं अंग्रेज थे।