पुलिस की बर्बरता की कहानी कोई नई नहीं है. समय-समय पर अगल-अलग राज्यों से पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें और वीडियो सामने आते रहते हैं. इस बार भी मध्य प्रदेश के ग्वालियर से पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें सामने आई हैं, लेकिन यहां पुलिस ने एक पुलिस के परिवार पर ही जुल्म ढाया है. गुना में टीआई के पद पर कार्यरत यशपाल सिंह चौहान के परिवार के सदस्यों की पुलिस अधिकारियों और कर्मियों ने अमानवीय तरीके से पिटाई की और उन्हें जेल में बंद कर दिया. पुलिस वाले यहीं नहीं रुके, उन्होंने उनके परिजनों पर अलग-अलग धाराओं में केस भी दर्ज कर लिया. टीआई के परिवार की महिलाओं को गंभीर चोटें आई हैं. अब हालत ये है कि पुलिस उनकी शिकायत भी नहीं सुन रही है. टीआई के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस उनको डरा-धमका रही है और झूठे केस दर्ज करने की धमकी दे रही है. पुलिस वाले जब एक पुलिस के परिवार पर ही अत्याचार कर रहे हैं, तो फिर आम आदमी पर कितना जुल्म ढाया जाता होगा, यह तो अब सबके सामने है. पुलिस के इस रवैये से पता चलता है कि वह कितनी बेरहम हो चुकी है. टीआई की पत्नी उषा सिंह का आरोप है कि 27 अगस्त 2016 को संपत्ति विवाद को लेकर उनके विरोधियों द्वारा षड्यंत्र किया गया और पुलिस के जरिए सुनियोजित तरीके से परिवार की महिलाओं पर बर्बरतापूर्वक हमला कराया गया. साथ ही महिलाओं को गाड़ियों में भरकर पुलिस थाने ले जाया गया. परिवार के वरिष्ठ लोगों केमना करने पर उन लोगों को भी पुलिस की गाड़ी में बैठा लिया गया और थाने ले जाया गया. उषा सिंह का कहना है कि मुरार थाने ले जाकर उन लोगों के साथ अमानवीय व अश्लील व्यवहार किया गया और महिलाओं को गालियां दी गईं. इस घटना के बाद मध्य प्रदेश पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आ चुका है.
क्या है पूरा मामला?
गुना जिले में पदस्थ टीआई यशपाल सिंह चौहान का ग्वालियर के मुरार इलाके में मकान है. इसी मकान में उनके भाई अरविंद सिंह चौहान रहते हैं, जिनसे जमीन व घर में संयुक्त रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है. यशपाल सिंह के एक और भाई इंद्रभान सिंह की कार रास्ते में खड़ी रहती है जिसको लेकर अरविंद ने कोर्ट में आवेदन लगाया था. कोर्ट ने कार को हटाने का आदेश जारी किया था. मुरार थाना पुलिस की एसआई त्रिवेणी राजावत स्टाफ के साथ कोर्ट के आदेश के अनुसार कार हटवाने के लिए पहुंची थीं जिसके बाद टीआई के परिवार वालों से उनका विवाद हो गया. टीआई की पत्नी उषा चौहान, भतीजी ज्योति सिंह, बेटी शिखा चौहान से एसआई की हाथापायी हो गई. इस मामले में टीआई के परिजनों को आरोपी बनाया गया था और कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया. इसी मामले को लेकर टीआई की पत्नी उषा चौहान का कहना है कि हम पर लगाए सभी आरोप झूठे हैं और हम पर गलत तरीके से एफआईआर दर्ज की गई है. जब इस मामले का वीडियो सामने आया तो मध्य प्रदेश की पुलिस की सच्चाई और उसका क्रूर चेहरा सबके सामने आ गया. इस वीडियो में पुलिस की बेरहमी साफ तौर देखी जा सकती है. फोटो में भी साफ तौर देखा जा सकता है कि किस प्रकार टीआई की पत्नी और बेटी के साथ मारपीट की गई है. टीआई की बेटी शिखा चौहान का पैर भी टूट गया है. उनके शरीर पर साफ तौर पर चोटों के निशान देखे जा सकते हैं. पुलिस की बेरहमी का और क्या सबूत चाहिए. ग्वालियर जिले की पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने दोषी पुलिस कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के बजाए उनकी गलतियों को छुपाया जा रहा है और शासन-प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है. उषा का कहना है कि हम लोगों को डर है कि भविष्य में हमें और झूठे आरोपों में फंसाया जा सकता है. उनका कहना है कि हमारी पुश्तैनी जमीन पर भू-माफिया स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर कब्जा करना चाहता है. उनका कहना है कि डॉक्टरों द्वारा उन लोगों का पुलिस के दबाव में मेडिकल परीक्षण भी सही ढंग से नहीं किया गया. पीड़ित परिवार का कहना है कि पुलिस ने उन लोगों का मोबाइल भी छीन लिया. पुलिस की बर्बरता की कहानी तस्वीरों और वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह पुलिस टीआई के परिवार को पीट रही है. इसके साथ ही उषा के पक्ष में आए पूर्व पार्षद संतोष सिंह राठौर को भी पुलिस ने चाटा मारा, जो वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है. पुलिस की करतूत सामने न आए इसलिए उसने मोबाइल छीनकर वीडियो डिलीट कर दिए. लेकिन सच्चाई सबके सामने आ ही जाती है. वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि किस प्रकार पुलिस उन लोगों को गाड़ी से खींचकर बर्बरतापूर्वक मार रही है. पुलिस और टीआई रविंद्र गुर्जर पहले अपने स्टाफ को पीटे जाने की बात कह रहे थे, लेकिन वीडियो सामने आने के बाद उनके सारे आरोप गलत साबित हो रहे हैं, शायद इसीलिए मोबाइल छीनकर सबूत मिटा दिए गए थे. यह है मध्य प्रदेश के ग्वालियर की पुलिस का अमानवीय चेहरा और सच्चाई.
टीआई की पत्नी उषा चौहान का कहना है कि सरकार से हमारी मांग है कि हमारे परिवार के साथ इस अमानवीय रवैया अपनाने वाले षड्यंत्रकारियों, डॉक्टरों एवं पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. हम लोगों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे समाप्त कर हमें न्याय दिया जाए.