गाजियाबाद में दाढ़ी काटने का मामला, इससे पहले भोपाल में भी हो चुका
भोपाल। सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर गर्म चर्चाओं का दौर जारी है। गाजियाबाद के एक बुजुर्ग की दाढ़ी कुछ युवाओं द्वारा काट दिए जाने का यह वीडियो देखकर सोशल मीडिया पर चल रही बहस में इस हरकत को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की जा रही है। साथ ही इससे साम्प्रदायिक तनाव बढऩे और जल्दी कार्यवाही कर दोषियों को सजा देने की बात उठाई जा रही है। पूरे मामले में मजेदार बात यह है कि कुछ दिनों पहले ऐसा ही एक मामला जब भोपाल में हुआ था, तब किसी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या धार्मिक उलेमा द्वारा कोई पुकार नहीं लगाई गई थी और न ही किसी ने कोई आपत्ति दर्ज कराई थी। इस बीच ऐसे लोग, जो भोपाल में एक हाफिज की दाढ़ी काटने पर एतराज जाहिर कर रहे थे, उनको भी कुछ लोगों ने घेरना शुरू कर दिया था और उनकी इस मुहिम को ही बुराभला कहा जा रहा था।

राजधानी भोपाल में विभिन्न लोगों या संस्थाओं द्वारा संचालित व्हाट्सअप ग्रुपों में जारी चर्चाओं में लगातार इस बात पर एतराज जाहिर किया जा रहा है कि गाजियाबाद में कुछ युवाओं ने एक बुजुर्ग की दाढ़ी कैसे काट दी। सुन्नत-ए-रसूल मानी जाने वाली दाढ़ी का काटा जाना किसी तरह से उचित नहीं कहा जा सकता और ऐसे व्यक्ति को सजा मिलना ही चाहिए। चर्चाओं में शामिल अधिकांश लोग नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं कि ऐसे मामलों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे, मोर्चा निकालेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों-नेताओं को ज्ञापन भी देंगे। देर रात तक चलने वाली इन चर्चाओं में दाढ़ी काटने वालों के लिए कड़ी की सजा मांग की जा रही है। हालांकि इस मामले से प्रदेश का कोई लेनादेना नहीं है और न ही यहां से इसको लेकर किसी तरह की कार्यवाही की जाना है।

भोपाल पर छाई थी खामोशी
गाजियाबाद में हुए मामले से कुछ ही समय पहले मप्र की राजधानी भोपाल में भी इसी तरह का एक मामला हो चुका है। यहां एक निजी अस्पताल संचालक मोहसिन खान और उसके साथियों ने अपने ही अस्पताल के एक कर्मचारी हाफिज अतीक की दाढ़ी काट दी थी और इनके साथ मारपीट भी की गई थी। मामले को लेकर शहर से किसी तरह की कोई आवाज नहीं आई। न कोई प्रदर्शन, न मोर्चा और न ही जांच की मांग। इसके विपरीत यह जरूर हुआ कि बड़ी तादाद में चापलूसों की जमात दाढ़ी काटने के आरोपी मोहसिन के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे थे। फरियादी हाफिज अतीक की शिकायत पर थाना हनुमानगंज ने एफआईआर जरूर दर्ज की थी, जिसमें ऐसी धाराओं को शामिल किया गया, जिससे आरोपी को बिना गिरफ्तारी ही सीधे अदालत से जमानत मिल गई है।

भोपाल और गाजियाबाद का फर्क
जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसमें बुजुर्ग को प्रताडि़त करने वाले युवा कथित तौर पर हिन्दूवादी हैं। जबकि भोपाल में हुए मामले में आरोपी और पीडि़त दोनों व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाले थे। भोपाल में हुए हादसे के बाद यहां छाई खामोशी को लेकर इस बात पर सवाल खड़े किए गए थे कि भविष्य में ऐसा कोई मामला दो समुदाय के बीच हुआ तो कोई धार्मिक विद्वान इस बात के लिए एतराज नहीं उठा पाएगा। कारण यह है कि एक ही देश में एक ही तरह के मामले के लिए लोगों की दो अलग-अलग विचारधारा स्वीकार्य नहीं हो सकती।

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