‘सत्य हिंदी’ की एक बहस में श्रवण कुमार बता रहे थे कि एक दो सर्वे आये हैं जो यूपी में योगी सरकार को आगे बता रहे हैं ।इस पर एंकर मुकेश कुमार ने उनसे पूछा कि क्या आपको इन सर्वे की विश्वसनीयता पर भरोसा है ,यह जानते हुए भी कि सर्वे सी-वोटर का है, जिस पर सत्य हिंदी भरोसा रखता है। श्रवण कुमार तुरंत बोले नहीं , मुझे तो भरोसा नहीं है ,पर … । एक सच्चाई सब जानते हैं पर उस पर पर्दा डाल कर रखना चाहते हैं । संतोष भारतीय के साथ चर्चा में अभय कुमार दुबे ने कहा कि महंगाई इस सरकार की देन है ।यह प्राकृतिक नहीं है ।यह जानबूझ कर बढ़ाई गयी है ।जिस दिन चाहेंगे कम कर देंगे । इस पर हमारे दिमाग में तो एक बात यहां तक आती है कि लगता है महंगाई इसलिए बढ़ाई गयी ताकि लोग कोरोना की त्रासदी को भूल जाएं ।और इस बात की ताकीद कल ‘सत्य हिंदी’ पर आशुतोष के साथ बात करते हुए सीएसडीएस के संजय कुमार ने की कि लोग कोरोना की परेशानियों को भूल चुके हैं ।कल संजय कुमार और सी-वोटर के यशवंत देशमुख ने आशुतोष से बात करते हुए प्रतिशत के जो जो आंकड़े बताए उससे तो साफ लगता है कि योगी सरकार को अंत तक बढ़त रहेगी । जितना हमने सुना वहां तक तो यही आकलन बैठता है ।संजय कुमार ने एक बात और कही कि मुद्दे सामने बिखरे पड़े हैं पर विपक्ष इतना कमजोर है कि कैश कराता ही नहीं । इन सारी बातों का नतीजा आप क्या निकालेंगे कि मोदी अपने खिलाफ होती ‘इंकमबैंसी’ को समझते हैं और उससे कैसे निपटना और उससे कैसे निकलना वे जानते हैं ।मेरा मानना है कि गरीब वोटर के अवचेतन मन में शुरू वाले मोदी की छवि अंकित है ।2014-15 में मोदी ने जो मेहनत की , दुनिया घूम घूम कर और तमाम तरह की नौटंकियों और रोने धोने से जो भावुक और मजबूत नेता की छवि बनाई ,वह मिटती नहीं ।बाकी के काम के लिए उनके पीछे की ताकतें हैं ही ।
तो अब सवाल है कि मोदी का एजेंडा क्या है और आपका एजेंडा क्या है ? सात साल लगे एक व्यक्ति को समझने में और जब तक समझा तब तक वह ‘भारत’ के मानस पर कब्जा कर कर चुका ।आप झूठ,चालाकी, धूर्तता कुछ भी कहिए पर उसने कभी आपकी तरफ ध्यान दिया ही नहीं ।जो शख्श आरएसएस जैसी संस्था की सोच को 180% बदल सकता है वह फिलहाल अपने घोषित दुश्मनों की तरफ भी आंख उठा कर भला क्यों देखेगा । उसके दुश्मन हैं इस देश का पढ़ा लिखा वर्ग ,यहां के बुद्धिजीवी, इस देश का ‘इंडिया’ । सत्ता मोदी के लिए जीवन मरण का प्रश्न है । इसीलिए वे हमेशा मुद्दों को भटकाते रहते हैं । उनकी सारी पोल पट्टी रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में मोदी के पुराने वीडियो दिखा दिखा कर करते हैं ।पर किस पर कितना असर टिकता है, कोई नहीं जानता । मोदी के पास अंतिम ब्रह्मास्त्र है मुसलमान ।हिंदू – मुस्लिम का सनातन फसाद । मैंने देखा है, रोज देखता हूं कि मोदी से दुश्मन की भांति खार खाये लोग भी मुसलमान के मुद्दे पर फिसले हुए होते हैं । संजय कुमार ने इस अंतिम ब्रह्मास्त्र की ओर इशारा किया ।
इन दिनों ‘हिंदू-हिंदुत्व’ पर खूब चर्चा है । कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद की किताब में हिंदुत्व को आईएस और बोको हरम जैसा बताने पर । खुर्शीद बहुत सयाने हैं । जहां तक मुझे खयाल है पहले भी ‘आप’ के साथ ये भिड़े हैं । खूब तू-तू मैं-मैं हुई थी । बहरहाल, इस किताब में आईएस और बोको हरम से तुलना क्यों । खुर्शीद अच्छे से जानते थे कि इस लिखे का क्या असर होगा । पूरी किताब में महज दो वाक्य । जिन दो आतंकवादी गुटों से दुनिया थर्राती है क्या वैसा आज की तारीख में आरएसएस का हिंदुत्व है ? फिजूल की बहस ! वाहियात पचड़ा ।देश की समस्याएं दूसरी हैं ।भूख पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है । सरकार को अल्टीमेटम दे रहा है । गरीब की ‘हाय’ तो मोदी को लगेगी ,यह निश्चित है ।पर जब लगेगी,तब लगेगी ।यह सरकार देश की सांस को अंतिम छोर तक खींचने का प्रयोग करके देखने वाली है ,वह परखती रहती है और गरीब अपनी पीठ खुली रखता है । सदियों की आदत , सदियों की त्रासदी । मोदी सब जानते हैं ।शायद आप मोदी को कम जानते हैं । 2002 की क्रूर ‘विभीषिका’ के बाद भी जो शख्श प्रधानमंत्री के पद पर धमक के साथ आसीन हो सकता है उसे आप नहीं जानते, नहीं समझ सकते ।कम से कम आसानी से तो नहीं ।
क्रूरता मन में एक कीड़े की भांति विद्यमान रहती है । सीबीआई, ईडी आदि के छापों की संख्या का बढ़ना और हर व्यक्ति को खौफ में रखना भी एक दूसरे प्रकार की क्रूरता ही है । अपनों को बदतमीजी और बेहयाई की खुली छूट देना और विरोधियों को नाहक गिरफ्तार करते चलना भी क्रूरता की श्रेणी में ही आएंगे । मोदी और अमित शाह का चरित्र कहां से भिन्न है ।ताकत दोनों को एक दूसरे से मिलती है ,हम ऐसा मान सकते हैं ।ये सारी बातें हम समय रहते समझ लें तो बेहतर है । इतना मान कर चलिए समय हर किसी का आता है । शिशुपाल के 97 गुनाहों की कथा यों ही नहीं बनी ।समय तो आज भी हमारे सामने खड़ा है पर मोदी को मालूम है उस समय को अपने पाले में डाल लेने की ताकत वाले फिलहाल तो कोई नहीं है । हम शुरू से एक बात बराबर दोहरा रहे हैं जरूरत है कुछ प्रबुद्धजनों की टोली देश भ्रमण पर निकले और असंगठित हिंदुस्तान के लोगों से सच्चाई साझा करें ।
वह नहीं हुआ और अब होता दिखता भी नहीं । तो अपने गाल पीटने का वक्त आ गया है ।सोशल मीडिया पर बहसें क्या कर लेंगी , सिवाय अपनी भड़ास निकालने के ।शायद श्रवण कुमार ने ही यह भी कहा कि किसान सिर्फ यही कह रहे हैं कि बीजेपी को वोट मत दो पर यह नहीं बता रहे कि किसको दो ।तो एक सपा को देगा ,दूसरा कांग्रेस को, तीसरा बसपा को ।और सभी कहेंगे कि हमने तो बीजेपी को नहीं दिया ।सब कुछ ऊटपटांग के खेल जैसा हो रहा है । बीजेपी ने फिलहाल अपने घोड़े दौड़ा दिये हैं – जेपी नड्डा गोरखपुर, राजनाथ सिंह वाराणसी और अवध और अमित शाह पश्चिमी उप्र की पूरी बेल्ट में बूथ लेवल तक जाएंगे । पूरी पार्टी बड़ी बेशर्मी से कह रही है ‘सब चंगा सी’ ।और वोटर इस द्वंद्व में फंसा है ।सामने महंगाई है और ये कह रहे हैं ‘सब चंगा सी’। तो होगा ही ।वोट वाले दिन पता चलेगा ।यही सब बातें बहसों में की जाती हैं और बहस एक मोड पर खत्म कर दी जाती है ।फिर कोई अपने कुत्ते को सम्भालता है तो कोई अपनी बिल्ली को दुलारता है । भद्र कहिए या भदेस कहिए ।किसको क्या कहना है, सो कहिए ।बस दो तीन माह बाकी हैं ।
पुनश्च : अभी अभी खबर आई कि तीनों कृषि कानून रद्द किये जा रहे हैं । बेशक यह किसानों की जीत है ।पर मजबूरी में है ।शायद उसी तरह जैसे शुरुआत का भूमि अधिग्रहण बिल वापस लिया गया था । यह कदम भीतर से हिली हुई सरकार ने अपनी राह आसान बनाने के लिए और अपनी राह का एक बड़ा कांटा साफ करने के उद्देश्य से किया है । निश्चित रूप से यह बीजेपी के लिए और फायदे का कदम है ।