भोपाल। अरबों रुपए की संपत्ति वाले मप्र वक्फ को भले ओहदेदार मिलने में लगातार देरी हो रही हो। लेकिन यहां की व्यवस्था सम्हाल रहे अफसरों के लिए सुविधाओं की बारिश होने में कोई कमी नहीं है। एक साहब हाल ही में सुसज्जित कक्ष तैयार करवाकर बैठे हैं। अब बड़े साहब को यहां मौजूद वाहनों में घुटन महसूस होने लगी है। इनके लिए आनन फानन में नई लग्जरी कार खरीदने की तैयारी की जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक मप्र वक्फ बोर्ड के गलियारों में एक नई लग्जरी कार खरीदने की तैयारियां गूंज रही हैं। करीब 18=20 लाख रुपए की लागत से खरीदी जाने वाली ये कार बोर्ड के मौजूदा प्रभारी प्रशासक एडीएम दीपक यादव के लिए खरीदी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यादव को बोर्ड के पास मौजूद पुराने वाहन अब पसंद नहीं आ रहे हैं। इनकी खरीदी को हो चुके करीब 10 साल से अधिक समय को इस कार बदली का आधार बनाया गया है। सरकारी नियम के मुताबिक किसी भी वाहन की आयु निर्धारित है। नियमानुसार 10 साल में की जाने वाली राइट ऑफ कंडीशन के सूत्र के मुताबिक बोर्ड के पुराने वाहन सफारी कार को बदला जा रहा है।

अभी हुआ है कक्ष का निर्माण
जानकारी के मुताबिक हाल ही में मप्र वक्फ बोर्ड के प्रभारी सीईओ जमील खान की बैठक के लिए मौजूद कक्ष के निर्माण पर भी बड़ी राशि खर्च की गई है। गोरतलब है कि बोर्ड में पहले मौजूद कक्ष छोटा और कम सुविधाजनक है। जबकि सीईओ से हर रोज प्रदेशभर से मिलने आने वालों की बड़ी संख्या होती है। जिसके चलते यहां आने वाले लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ता था। सीईओ के लिए तैयार किया गया कक्ष बड़ा, अधिक बैठक क्षमता वाला, अत्याधुनिक सुविधाओं वाला है।

प्रभारियों के हवाले है व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक बोर्ड में पिछले करीब दो ढाई साल से ओहदेदार मौजूद नहीं हैं। शौकत मोहम्मद खान की अध्यक्षता वाली कमेटी का कार्यकाल पूरा होने के बाद से यहां लगातार प्रभारी प्रशासक और सीईओ के हवाले व्यवस्था चल रही है।

नियम के विपरीत है प्रभारी व्यवस्था
वक्फ अधिनियम 1995 के मुताबिक बोर्ड के किसी वजह से भंग किए जाने की परिस्थिति में यहां नई कमेटी गठन तक अस्थाई या प्रभार के रूप में प्रशासक व्यवस्था चलाई जा सकती है। लेकिन नियमानुसार इस व्यवस्था को महज 6 माह तक ही चलाए जाने का प्रावधान है। इसके विपरीत बोर्ड में लंबे समय से प्रभारी प्रशासक व्यवस्था जारी है। इस दौरान अब तक तीन अधिकारी बतौर प्रभारी प्रशासक सेवाएं दे चुके हैं।

एक कदम भलाई की तरफ भी
जानकारी के मुताबिक बोर्ड के प्रभारी प्रशासक दीपक यादव और सीईओ जमील खान ने मुस्लिम समुदाय की विधवा महिलाओं के लिए पेंशन योजना को आकार दिया है। सूत्रों का कहना है कि पुराने भोपाल के विभिन्न क्षेत्रों से ऐसी विधवा महिलाओं के दस्तावेज तलब किए जा रहे हैं, जिनके परिवार में आर्थिक संकट के हालात हैं और कमाई के उचित प्रबंध नहीं हैं। बोर्ड सूत्रों ने बताया कि बोर्ड की ही एक शाखा जिला मुतावल्ली कमेटी से दी जाने वाली मदद से वंचित महिलाओं को ये पेंशन उपलब्ध कराई जाएगी।

इनका कहना
ये सरकारी प्रक्रिया है। नियमानुसार वाहन को राइट ऑफ करना है। बोर्ड की निजी संपत्ति ही रहेगी, जो भविष्य में बोर्ड के पदाधिकारियों की सुविधा के लिए होगी।
जमील खान,
प्रभारी सीईओ, मप्र वक्फ बोर्ड

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