मध्य प्रदेश में इस बार तीन नई पार्टियां भी चुनावी मैदान में है. ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा कि किसमें कितना दम है. लेकिन, अपनी मौजूदगी से इन पार्टियों ने चुनाव को रोचक जरूर बना दिया है. ये तीन नई पार्टियां है, आम आदमी पार्टी, जयस और सपाक्स. आप ने तो सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी बन चुके है. लेकिन, इस बीच सबसे ज्यादा ध्यान खींचा है, सपाक्स और जयस ने. दोनों संगठनों ने विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान किया है. सपाक्स ने तो बाकायदा पार्टी बनाकर प्रदेश के सभी सीटों से राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया है. वहीं जयस भी लगभग अस्सी सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा जता चुकी है.
सपाक्स: सपाक्स यानी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों का संगठन है जो प्रमोशन में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के ख़िलाफ आन्दोलन चला रहा है. सपाक्स ने 2 अक्टूबर 2018, गांधी जयंती के मौके पर अपनी नई पार्टी लॉन्च करते हुए सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
सपाक्स का सवर्णों और ओबीसी समुदाय के एक बड़े हिस्से पर प्रभाव माना जा रहा है. सपाक्स के नेता हीरालाल त्रिवेदी ने कहा है कि उनके संगठन ने राजनीतिक दल के पंजीयन के लिए चुनाव आयोग में आवेदन किया है. यदि चुनाव से पहले पंजीयन नहीं होता है तो भी सपाक्स पार्टी निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा कर के चुनाव लड़ेगी. जानकार मानते हैं कि अगर सपाक्स चुनाव लड़ती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा हो सकता है. दरअसल, इन दिनों मध्य प्रदेश में सपाक्स को मजाक के तौर पर नोटा कहा जा रहा है.
जयस: मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में जय आदिवासी युवा शक्ति यानी जयस एक ताकत के रूप में उभरी है. धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बडवानी, खरगोन, खंडवा जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में इसका खासा प्रभाव माना जाता है. मध्य प्रदेश में 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जिनमें से 32 सीटों पर भाजपा का और 15 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
इनके अलावा करीब 30 सीटें ऐसी मानी जाती हैं, जहां आदिवासियों के वोट निर्णायक हो सकते हैं. जयस का फोकस इन्हीं 70 से 80 सीटों पर है, जहां से वो अपने उम्मीद्वारों को चुनाव लडवा सकता है. हालांकि अभी तक जयस का राजनीतिक दल के रूप में पंजीयन नहीं हुआ है, लेकिन वह अपने आजाद उम्मीदवार उतार सकती है.
अभी 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन धार जिले के कुक्षी में जयस द्वारा किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था. जयस के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल ने कहा कि इस बार प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. इस कार्यक्रम में अभिनेता गोविंदा भी शामिल हुए. जयस के चुनाव में उतरने से दोनों ही पार्टियों का नुकसान होगा, लेकिन अभी से यह कहना मुश्किल है कि इसका फायदा किसे होगा.