नई दिल्ली, (निरंजन) :  29 मार्च को जब संसद भवन परिसर में लोकसभाध्यक्ष सहित हमारे तमाम सांसद फुटबॉल को किक मारकर फीफा वर्ल्ड कप के लिए माहौल बना रहे थे, ठीक उसी समय कुछ लोग अपनी मांगों को लेकर गले में नरमुंड लटकाए जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे थे. 12 मार्च को शुरू हुआ आंदोलन अब भी जंतर-मंतर पर जारी है, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक इनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है.

तमिलनाडु पिछले दो सालों से लगातार सूखे की मार झेल रहा है. एक तरफ कमजोर मानसून और दूसरी तरफ कावेरी जल को लेकर कर्नाटक तमिलनाडु के बीच के संघर्ष में किसान पीस रहे हैं. अपनों की आत्महत्या, चारे के अभाव में मवेशियों की मौत और अपने लिए दाने-दाने को मोहताज हो रहे इन किसानों ने फिर से दिल्ली आने की ठानी और 100 दिनों के भूख हड़ताल का ऐलान करते हुए 12 मार्च को इन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर डेरा डाल लिया.

ये किसान साउथ इंडियन रिवर लिंकिंग फार्मर्स एसोसिएशन के बैनर तले आंदोलन कर रहे हैं. इस संगठन के अध्यक्ष पी अयाकन्नू ने चौथी दुनिया को बताया कि हम इस बार पीछे हटने वाले नहीं हैं. हम 100 किसान तब तक यहां से नहीं हटेंगे जब तक हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता. पिछले चार महीनों में चार सौ से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. अगर सरकार अब भी हमारी सहायता नहीं करती है, तो चार लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर लेंगे.

इन किसानों ने नरमुंडों और हरे रंग के कपड़ों को अपने आंदोलन की पहचान बनाई है. इसके बारे में पूछे जाने पर ये कहते हैं कि ये इनके उन लोगों के नरमुंड हैं, जिन्होंने कर्ज के दबाव और खेती में घाटे से तंग आकर आत्महत्या कर ली. इनका कहना है कि हरा रंग हमारी धरती और उपज का प्रतिक है, इसलिए हम इन्हें अपने शरीर पर लपेटकर आंदोलन कर रहे हैं.

21 मार्च को जब इनके नेता पी अयाकन्नू अपनी मांगों को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले, तो उन्होंने कहा था कि हमें दो दिन का समय दीजिए हम आरबीआई के गवर्नर से इस मामले में बात करते हैं. दो दिन क्या, दो सप्ताह बीत गए, लेकिन पता नहीं चला कि वित्त मंत्री जी की आरबीआई के गवर्नर से क्या बात हुई, या हुआ भी या नहीं.

चौथी दुनिया से बातचीत में पी अयाकन्नू ने कहा कि सरकार हमारी समस्याओं को लेकर सिरियस नहीं है. सरकारी विभाग एक दूसरे के पाले में गेंद डालने की कोशिश कर रहे हैं. हम इतने दिनों से जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार से जुड़े किसी भी बड़े नेता ने हमारी सुध नहीं ली, समाधान तो दूर की बात है. अयाकन्नू कहते हैं कि सरकार हमारे साथ पूरी तरफ से सौतेला व्यवहार कर रही है. हमारी कर्ज मा़फी के लिए सरकार को आरबीआई के गवर्नर से बात करने की जरूरत पड़ रही है, लेकिन हाल में हुए यूपी चुनावों में भी क्या सरकार ने आरबीआई के गवर्नर से पूछ कर किसानों का कर्ज मा़फ करने का वादा किया था. उन्होंने कहा कि हम अपने लोगों को और मरता नहीं देख सकते. सूखा और कर्ज की मार से हजारों लोगों ने आत्महत्या कर लिया. केवल पिछले चार महीनों में 400 से ज्ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है, लेकिन सरकार को ये सब दिखाई नहीं दे रहा.

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