आज से 47 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल घोषित किया था ! और सेंसरशिप भी लगा दी थी ! आज चालीस से पचास साल के युवाओं को शायद पता नहीं होगा ! इसलिए थोड़ा आपातकाल की घोषणा के पिछे के इतिहास के बारे में बता दूँ ! क्योंकि मैं उस आंदोलन का एक हिस्सा रहा हूँ ! साथियों अस्सी के दशक की शुरुआत में भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और सत्ताधारी पार्टी के नेतृत्व के तरफसे की जा रही तानाशाही की कार्यशैली को लेकर ! सबसे पहले गुजरात के मोरवी के सरदार पटेल इंजीनियरिंग कालेज के छात्रों ने, उनके छात्रावास के भोजन जो एक रूपये का था ! तो संचालकों ने चार आने बढ़ाने के कारण, छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया ! और इस तरह संपूर्ण गुजरात में विद्यार्थियों के आंदोलन की शुरूआत हुई ! उसे नवनिर्माण आंदोलन बोला जाता है ! (1972 – 73) मुरारजी भाई देसाई, रविशंकर महाराज तथा इंदूलाल याज्ञनिक जैसे वरिष्ठ नेता ! और मनिषि जानी जैसे युवा नेता के आगुआई में वह आंदोलन हुआ था ! जिस कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमणभाई पटेल की कांग्रेस पार्टी की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था ! और बाद में हुए चुनाव में पहली बार जनता सरकार का राज बाबुभाई पटेल के नेतृत्व में गुजरात में आया था ! (जनता पार्टी का विधिवत स्थापना होने के दो साल पहले !)
उसी की तरह बिहार में भी सबसे पहले छात्रों के आंदोलन का सुत्रपात हुआ ! जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालु प्रसाद यादव तथा वर्तमान बिहार के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी, शिवानंद तिवारी, अख्तर हुसेन, संतोष भारतीय, अमरनाथभाई, किशन पटनायक, नारायण देसाई, आचार्य राममूर्ति, प्रोफेसर ठाकुरदास बंग, ओमप्रकाश दिपक तथा धर्मवीर भारती, अज्ञेय, रघुवीर सहाय जैसे मुर्धन्य साहित्यकार लोग भी इस आंदोलन में शामिल थे ! छात्रो के नेताओं ने, तत्कालीन बिहार सरकार के अंदर चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ, तथा महंगाई, बेरोजगारी इत्यादि समस्याओं को लेकर आंदोलन शुरू किया था ! और सभी ने मिलकर जयप्रकाश नारायण को नेतृत्व करने का आग्रह किया ! जिसे जेपी ने ठुकरा दिया था ! क्योंकि प्रभावती उनकी जीवन साथी की मृत्यु हुई थी ! और जेपी खुद सत्तर साल पार कर चुके थे ! और उनका स्वास्थ भी ठीक नहीं था ! लेकिन छात्रों के आग्रह पर उन्होेंने मजबूर होकर कुछ शर्तों के साथ नेतृत्व स्विकार किया ! उदाहरण के लिए आंदोलन में कोई भी राजनीतिक दल के लोग अपनी राजनीतिक पार्टी के हैसियत से नही शामिल होंगे ! आंदोलन निर्दलीय और शांतिपूर्ण ढंग से होगा ! लगभग जेपी की सभी शर्तों को मानने के बाद वह नेतृत्व के लिए तैयार हुए ! और तभी उसे जयप्रकाश आंदोलन के नाम से जाना जाता है !
जिसमें मुख्य मांग तत्कालीन बिहार विधानसभा को बर्खास्त करने की मांग थी ! और महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार विरोधी मांगें प्रमुख थी ! साथ- साथ जेपी ने लोकसमितियो का गठन गांव – गांव में करने की शुरुआत की थी ! और संपूर्ण क्रांति की घोषणा, पांच जून 1975 के दिन पटना के गांधी मैदान की जनसभा को संबोधित करते हुए कर दी थी ! मैंने खुद बिहार के आंदोलन में राष्ट्र सेवा दल के तरफसे एस एम जोशी की पहल से भागिदारी की है ! और कुछ एतिहासिक पलों को अपनी आंखों से देखा हूँ ! संपूर्ण बिहार आंदोलन में शामिल था ! और उसके परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, ओरिसा, बंगाल और कुछ दक्षिणी राज्यों में भी आंदोलन फैलने लगा था ! और 1974 के ऐतिहासिक रेल बंद करने के जॉर्ज फर्नाडिस के नेतृत्व वाले रेलवे मजदूरों के हड़ताल के कारण भारत की यातायात व्यवस्था चरमरा ने के कारण सरकार बौखला गई थी !
25 जून 1975 की ऐतिहासिक रामलीला मैदान की जनसभा को संबोधित करते हुए जेपी ने कहा “कि सिंहासन खाली करो की जनता आ रही है !” 12 जून को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने श्रीमती इंदिरा गांधी के लोकसभा चुनाव को अयोग्य घोषित किया था ! (राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी केस ) ! और उसी दिन गुजरात के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी ! और पहली बार जनता सरकार का गठन हुआ था ! जिसके मुख्यमंत्री श्री बाबुभाई पटेल चुनें गए थे ! और 25 जून की रामलीला मैदान की जनसभा की भीड़ से श्रीमती इंदिरा गांधी के आसन पर आंच आते हुए देखकर 25 जून को आधी रात राष्ट्रपति फक्रुद्दीनअलि अहमद के हस्ताक्षर लेकर ! श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी ! और उन्होंने जयप्रकाश नारायण से लेकर सभी विरोधी दलों के नेताओं तथा हमारे जैसे हजारों की संख्या में युवाओं को जेल में बंद कर दिया था ! तथा सेंसरशिप की घोषणा के कारण अखबारों पर नियंत्रण करने की शुरुआत की है ! हमें जेल में जाने के बाद लगा कि शायद नेल्सन मंडेला की तरह हम भी जेल से बुढापे के समय बाहर आयेंगे !
क्योंकि श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रतिमा एक तानाशाह जैसी जो बन गईं थीं ! Indira is India जैसे नारों से कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष श्री देवकांत बरूआ और अन्य नेताओं ने जयप्रकाश नारायण को सी आई ए का एजेंट करार दिया था ! और सबसे हैरानी की बात श्रीपाद अमृत डांगे जैसे कम्यूनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली इकाई भी जयप्रकाश नारायण के खिलाफ और फासिस्ट विरोधी संमेलन कांग्रेस और डांगे वादी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग आपातकाल की घोषणा के बाद देश भर में अपप्रचार करते हुए घुम रहे थे ! और संजय गांधी किसी भी संविधानिक पदाधिकारी न रहते हुए वह और चांडाल चौकडी ने पुरे देश में परिवार नियोजन के नाम पर बच्चों से लेकर बुढे लोगों की जबरदस्ती से नसबंदी करने के कारण लोगों में भयंकर भय और गुस्सा निर्माण हुआ था ! और 1977 के जनवरी में चुनाव की घोषणा करने के बाद इंदिरा गाँधी और उनके सलाहकार लोगों को लगा कि हम ही चुनाव जितेंगे और आपातकाल की घोषणा के उपर लोगों की मुहर लगा दी जायेगी ! लेकिन काफी नेता जेलों में बंद रहने के बावजूद 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई है ! यहां तक कि श्रीमती इंदिरा गांधी और उनके सुपुत्र संजय गांधी भी हार गए ! और जनता पार्टी नाम की (जनसंघ +समाजवादी पार्टी +संघठन कांग्रेस +जगजीवन राम और हेमवति नंदन बहुगुणा के साथ एक दल जोड़तोड़ करके बनाया गया था !) लेकिन जितना समय आपातकाल था ! 19 महिना उतनी ही उम्र की जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार की उम्र रही है ! वर्तमान बीजेपी की दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर पार्टी में टूट हुईं थीं ! उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना करने के बाद पांच छ सालों में दो लोकसभा सदस्य वाली पार्टी की लोकसभा सदस्य संख्या आज तीनसौ से अधिक है ! और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव में और चुनाव के बाद तिकडमबाजी कर के सत्ता हथियाने के काम में लगी हुई है ! और जिस इंदिरा गांधी को हम लोगों ने पानी पी पीकर कोसा है ! उन्हीकी मेल कॉपी श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी इंदिरा गांधी के रास्ते पर और अधिक चतुराई के साथ और जिस तरह से इंदिरा गांधी ने हमारे एजेंसियों की और न्यायपालिका की मदद से आपातकाल के समय कहर बरपाया था ! बिल्कुल नरेंद्र मोदी रहीं – सही कसर पुरी कर रहे हैं ! क्योंकि श्रीमती गांधी एक व्यक्ति थी और कांग्रेस पार्टी एक मिठाई के उपर मख्खियो के जैसे थी ! बीजेपी की असलीयत उसके मातृ संघठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केडर है ! जिन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में दिमक के जैसे प्रवेश कर रखा है ! इस कारण कांग्रेस की आपातकाल की घोषणा के बावजूद कांग्रेस की हार हो गई ! लेकिन बीजेपी एक केडर बेस संघठन और वह भी हिटलर – मुसोलीनी की तर्ज पर चलने वाले लोगों का होने के कारण आज भारत फासीस्टो के स्तिथि में चला गया है ! और इसी कारण नोटबंदी, नागरिकता वाले मुद्दों और किसानों के बील तथा संघठीत क्षेत्र के मजदूरों के सभी अधिकार समाप्त करने के बावजूद और महंगाई, बेरोजगारी भ्रष्टाचार, सामाजिक स्वास्थ्य खत्म करने के बावजूद आज तिसरी बार तिकडमबाजी कर के सत्ता में आने की कोशिश कर रहे हैं !
लेकिन आज हम अघोषित आपातकाल में गत आठ साल से जी रहे हैं ! यह कथन मेरा नही है ! वर्तमान प्रधानमंत्रीजी को आज इस पद तक लाने के लिए, राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले, रथयात्रा फेम श्रीमान लाल कृष्ण आडवाणी ने आज से सात साल पहले !
लेकिन आज हम अघोषित आपातकाल में गत आठ साल से जी रहे हैं ! यह कथन मेरा नही है ! वर्तमान प्रधानमंत्रीजी को आज इस पद तक लाने के लिए, राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले, रथयात्रा फेम श्रीमान लाल कृष्ण आडवाणी ने आज से सात साल पहले !
यानी वर्तमान सरकार के पहले एक साल पूरे होने के बाद, इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन संपादक श्री शेखर गुप्ता को उनके एन डी टी.वी के, “वॉक वुइथ टॉल्क” कार्यक्रम में, 25 जून 2015 के दिन, एक साक्षात्कार में कहा था ! ” कि हमने एक आपातकाल की घोषणा जो आज से चालिस साल पहले देखी थी ! जिसे श्रीमती इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण की 25 जून 1975 की रामलीला मैदान दिल्ली की जनसभा को देखते हुए! 25 जून को आधी रात को घोषित किया था ! लेकिन पिछले एक साल से हम अघोषित आपातकाल में रहने के लिए मजबूर हुए हैं !” यह कहने वाले लाल कृष्ण आडवाणी ने ही 1985 – 86 के शाहबानो विवाद के परिप्रेक्ष्य में बाबरी मस्जिद – रामजन्मभूमी विवाद को लेकर सोमनाथ से रथयात्राओ की शुरुआत की ! और वर्तमान तथाकथित हिंदुत्व की जमीन तैयार करने की शुरुआत की है ! जिस हिंदुत्ववादीयो की हैसियत उस समय सिर्फ दो लोकसभा सदस्यों की थी ! आज वह तीन सौ से अधिक लोकसभा सदस्य, और कुछ राज्यों में अपने दल की सरकारों को बनाने में कामयाब हुए हैं ! और यह राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए 1986-87 से पूराने शताब्दी के अंत और नये शताब्दी की शुरुआत तक लगातार रामजन्मभूमी विवाद को लेकर जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद संपूर्ण देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को अमली जामा पहनाने की करतुत करने वाले श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने ही नरेंद्र मोदी नाम के राजनीतिज्ञ को यह हैसियत प्रदान की है ! “जब बीज बबूल के बोओगे तो आम कहासे पाओगे ? ”
वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे ! और उनके कार्यकाल में भारत के इतिहास का पहला राज्य पुरस्कृत दंगे के दोष में, नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देने की नौबत आई थी ! तो यही लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने वेटोका इस्तेमाल करने के कारण नरेंद्र मोदी बच गए ! अन्यथा उनकी राजनीतिक पारी आजसे बीस साल पहले ही खत्म होने की संभावना थी !
अब वही लाल कृष्ण आडवाणी ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तेरह महिने के कार्यकाल को देखते हुए ! 2015 के 25 जून को कहा” कि एक आपातकाल की घोषणा के चालिस साल पूरे हुए हैं ! लेकिन हम आज अघोषित आपातकाल में पिछले एक साल से रह रहे हैं !” आज उस बात को सात साल हो गए !
वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे ! और उनके कार्यकाल में भारत के इतिहास का पहला राज्य पुरस्कृत दंगे के दोष में, नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देने की नौबत आई थी ! तो यही लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने वेटोका इस्तेमाल करने के कारण नरेंद्र मोदी बच गए ! अन्यथा उनकी राजनीतिक पारी आजसे बीस साल पहले ही खत्म होने की संभावना थी !
अब वही लाल कृष्ण आडवाणी ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तेरह महिने के कार्यकाल को देखते हुए ! 2015 के 25 जून को कहा” कि एक आपातकाल की घोषणा के चालिस साल पूरे हुए हैं ! लेकिन हम आज अघोषित आपातकाल में पिछले एक साल से रह रहे हैं !” आज उस बात को सात साल हो गए !
इन आठ सालों में भारत की सभी संविधानिक संस्थाओं की नकेल वर्तमान सरकार के हाथ में है ! और सर्वोच्च न्यायालय से लेकर आई बी, सीबीआई, ईडी तथा अब भारत की सेना तक वर्तमान सरकार की मर्जी से चल रही है ! सर्वोच्च न्यायालय ने अपने बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के नाम पर ! किस तरह का फैसला दिया ? यह पूरे विश्व को मालूम है !
वहीं बात नागरिकता विधेयक के संदर्भ में ! और कश्मीर के 370 और कश्मीर टाईम्स जैसे कश्मीर के सब से पुराने अखबार को 6 अगस्त 2019 से बंद करने की कृती को क्या कहेंगे ? अभी तक कश्मीर के 370 और कश्मीर टाईम्स को बंद करने की कृती को खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पास फुर्सत नहीं है !
जो न्यायालय किसी अखबार के खबर पर सूमोटो के अंतर्गत सज्ञान लेता है ! उसे एक राज्य के अधिकारों के हनन के लिए फुर्सत नहीं है ! और उसी राज्य के एक अखबार को गत तीन साल से बंद कर के रखा हुआ है ! उसकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए समय नहीं है !
आज आपातकाल की घोषणा के 47 साल के उपलक्ष्य में अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य से लेकर जनतंत्र के उपर वर्तमान सत्ताधारी दल की तरफ से खुब बोला – लिखा जायेगा ! लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी जी के सात साल पहले के वक्तव्य ! और उसके बाद आज तक वर्तमान सत्ताधारी दल के तरफसे भारत की सभी संविधानिक संस्थाओ के अधिकारों और स्वायत्तता को खत्म करने की कृती को क्या कहेंगे ?
तथा अन्य अखबार तथा टेलीविजन चैनल, चंद अपवादों को छोड़कर ! सबके सब सरकारी प्रवक्ता की भूमिका में चले गए हैं ! 25 जून 1975 को विधीवत आपातकाल, और सेंसरशिप की घोषणा रहने के बावजूद ! कई अखबारों ने साहस के साथ ! अपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार का प्रयोग किया था ! कुछ पत्रकारों ने रस्ते पर आकर अपना विरोध जताया था ! जिसमें कलकत्तावासी गौर किशोर घोष जो आनंद बाजार पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार थे ! उन्होंने तो अपने सरपरके सभी बालों को सफाचट करके निषेध किया था ! और इंडियन एक्सप्रेस समुह के मालिक,
श्री रामनाथ गोयनका को संजय गांधी ने धमकी दी थी ! “कि आप अगर सरकार के खिलाफ लिखते रहे तो हम आप के प्रेस को ही बंद कर देंगे !” लेकिन श्री रामनाथ गोयनका झुके नही ! और बडे साहस के साथ उन्होंने तत्कालीन सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपने अखबार को चलाने की कोशिश की है !
लेकिन आज लगभग सभी तरह के मिडिया ने वर्तमान सरकार के सामने सिर्फ झुकना के जगह साष्टांग दंडवत कर दिया है ! मैं आपातकाल की घोषणा के समय 23 साल का था, और राष्ट्र सेवा दल के पूर्ण कालीन कार्यकर्ता की भूमिका में ! जयप्रकाश नारायण की महाराष्ट्र राज्य जनसंघर्ष समिती के एक सदस्य था ! अन्य सदस्यों में एक बीजेपी के पूर्व नेता श्री प्रमोद महाजन भी थे ! और आपातकाल के खिलाफ काम करने के कारण गिरफ्तार हुए थे ! आपातकाल की घोषणा के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी ने उसी दिन रात में जयप्रकाश नारायण को दिल्ली के गांधी शांती प्रतिष्ठान से निंद से उठाकर गिरफ्तार किया था ! और अन्य नेताओं को भी ! और सेंसरशिप के कारण अखबारों पर पाबंदी लगा दी थी !
लेकिन आज वर्तमान समय की सरकारने बगैर किसी आपातकाल की घोषणा किए ! मई 2014 को सत्ता में आने के तुरंत बाद योजना आयोग की बर्खास्त करने की कृती और संसद से लेकर सर्वोच्च न्यायालय को तक अपनी गिरफ्त में ले जाना ! जिसका सबसे बड़ा प्रमाण भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार, चार न्यायाधीशों ने अपने सरकारी आवास पर ! पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा ! “कि वर्तमान सरकार हमारे काम – काज में दखलअंदाजी कर रही है !”
उसी तरह संसद में मजदूरों के संबंध में शेकडो सालों के संघर्ष के बाद दिए गए सभी सहुलियत और कानून खत्म करने की कृती से लेकर, कृषि, बैंकिंग, रिझर्व्ह बॅंक तथा सरकारी प्रतिष्ठानो को प्रायवेट मास्टर्स के हवाले करने की कृती से लेकर रेल, विमान, पोर्ट और अब सेना के साथ तथाकथित अग्निपथ के नाम पर हमारे देश की रक्षा के साथ खिलवाड़ करना ! कौनसी देश भक्ति में आता है ?
सिर्फ़ चार साल के लिए सेना में भर्ती करने के निर्णय को देखते हुए मुझे आजसे नब्बे साल पहले जर्मनी में अडॉल्फ हिटलर के सत्ता में आने के बाद अपने स्टॉर्म स्टुपर्स नाम के पार्टी के स्वयंसेवकों को आर्मी की ट्रेनिंग देकर अपने विरोधियों को खत्म करने का काम किया था ! शायद संघ आनेवाले 2025 में अपने सौ साल पूरे कर रहा है ! संघ के स्वयंसेवक पहले से ही लाठी से लैस है ! तो अब शताब्दी मनाने के पहले से ही, आधुनिक हथियारों के ट्रेनिंग के लिए आग्निपथ नाम से भर्तियां करने की संभावना है !
और वर्तमान में विजय वर्गिय जैसे बीजेपी पदाधिकारी ने साफ-सफाई देते हुए कहा कि हम इन अग्निविरो को चार साल बाद हमारे कार्यालय के सुरक्षा कार्य के लिए बहाल करेंगे ! हमारे देश की सेना की मदद लेकर इस तरह की हरकतों को करना क्या हमारे सेना का दुरुपयोग नहीं है ? उठते – बैठते हमारे सेना के बारे में कोई अन्य बोलते है ! तो तुरंत ही सत्ताधारी दल के नेता गण सेना का मनोबल कम करने की साजिश बोलते है ! और देशभक्ति – देशद्रोह की लफ्फाजी ! जैसे देशभक्ति का पेटेंट सत्ताधारी दल ने अपने अकेले के नाम पर कर लिया हो !
सबसे हैरानी की बात है कि हमारे देश की सेना के कुछ अफसर ! अग्निपथ जैसे योजना का पक्ष लेकर मिडिया में बोलते हुए देखकर ! हमारे देश की सेना को कभी राजनीति से दूर माना जाता था ! अब पाकिस्तान की सेना के जैसे राजनीतिक बयानबाजी करते हुए देखकर चिंता हो रही है !
हमारे सेना की अबतक की छवी के साथ साथ भी खिलवाड़ हो रहा है ! हमारी सेनाके कुछ अफसर, सत्ताधारी दल के गलत नितियो की तरफदारी करने के लिए आगे आने लगे तो अबतक की सेना ने अर्जित की हुईं इज्जत और आबरू को भी दाव पर लगाने की गलती वर्तमान सत्ताधारी दल कर रहा है ! आपातकाल की घोषणा के 47 साल समय हमारे देश पर आई हुई आफत एक चिंता का विषय बन गई है ! जिसका अनुमान सत्ताधारी दल के सब से वरिष्ठ नेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी ने सात साल पहले ही अघोषित आपातकाल के अनुमान को सही ठहराया जा रहा है !
डॉ सुरेश खैरनार 25 जून, 2022, नागपुर
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