सुरेश खैरनेर

25 जून 1975 के दिन श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने विधिवत आपात काल की घोषणा की थी और गत छ साल से भी अधिक समय से अघोषीत आपातकाल इस देश में शुरू है 45 साल पहले के आपातकाल लगाने वाला रजनितिक दल कॉग्रेस था जो एक भीड़ भरा दल है और वर्तमान समय में जो दल सत्ता में बैठा हुआ है वह एक फ़ासीवादी विचारधारा के संघटन की राजनीतिक ईकाई है ! 45 साल पहले के आपातकाल में हम लोगो ने विरोध किया था और जेल में भी गये थे और  अभी के घोषित आपातकाल वाले संघ परिवार के लोग भी हमारे साथ जेल में थे और हम इन लोगों को बोलते थे कि इंदिराजी की आपातकाल की घोषणा एक व्यक्ति की है लेकिन कभी भविष्य में आप लोग सत्ता में आओगे तो आप लोगो की सरकार मे लोगों का सांस लेने के लिए भी आप लोग नियंत्रण रखोगे क्योकि आप लोगों का संघटन हुबहू फासिस्ट पार्टी की नकल पर खडा है और आप लोगो की सत्ता 90 साल पहले के इटली या जर्मनी में जो हाल था ऊसी तरह भारत का हाल करोगे क्योकिं आप लोग जनतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ हो आपकी अपनी नीव एकचालकानूवर्त पद्दती पर खड़ी होनेके कारण भारत की जितनी भी संविधानिक संस्थाओं स्वतंत्रता के बाद खड़ी की है वह सब आप लोगों के कार्यशैली में नहीं बैठती है इसलिए आप लोग सबसे पहले उन्हे खत्म करनेका काम करोगे या उनके अधिकार क्षेत्र को कम करके उन्हे नाम के लिए रखोगे !

आज की तारीख में शायद ही कोई संविधानीक संस्था होगी जिसके अधिकार वर्तमान सरकार ने नही छूए होंगे उदहारण के लिए सर्वोच्च न्यायालय,सी बी आई,आई बी,एन आई ए,चुनाव आयोग,प्रेस कौन्सिल,यू जी सी,सेंट्रल यूनिवर्सिटी,रिझर्व बैंक,अन्य सभी सरकारी बैंक,निति आयोग और भारत के सर्वोच्च सभागृह लोक सभा और राज्य सभा,राष्ट्रपति और राज्यपालों के पदों की गरिमा खत्म करने का काम गत छः साल से भी अधिक समय से बदस्तूर जारी है !

इसलिए अमित शाह हो या देवेन्द्र फडणविस या जो भी संघ परिवार के संबधित किसी के भी मुहमे उनका एक भाट किस्म का टी वी चैनल का मालिक किसी के आत्महत्या के लिए जिम्मेदार होनेके बावजूद पूरे संघ परिवार के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आपातकाल की याद आ रही है और कश्मीर टाईम्स अखब़ार के दफ्तर को ताला लगाते वक्त या उसके संपादक के घर में जबरदस्ती से घुसकर तोड़फोड़ और चोरी करने वाले कौन हैं ? हाथरस कांड की जाँच करने के लिए जाने वाले पत्रकारों को देशद्रोही करार देने वाले ऊत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कौन है? और 1जनवरी 2018 को भीमा कोरेगाव के दंगाईयो की जगह दूसरे ही लोगों को नक्सली बोलकर दो साल से भी अधिक समय से जेल में डालने का काम करने वाले कौन है ?

शबरिमला मन्दिर में महिलाओ को जाने का अधिकार देनेवाले कोर्ट को धमकाने वाले को अभि आपातकाल की याद आ रही है और एन आर सी जैसे देश को तोडने वाला कानुन,किसानों के लिए जो भी कुछ सुरक्षा थी वह खत्म करने वाले लोगों को मजदूरो के कानुन खत्म करने वाले लोगों को अभी आपातकाल की याद आ रही है और देश के सार्वजनिक उद्योग औने पोने दामो मे पूंजीपतियो को बेचने वाले लोगों को क्या देशभक्त बोला जायेगा ? 25 जून 2015 के दिन शेखर गुप्ता को आपातकाल के 40 साल पूरे होने के दिन दिये साक्षात्कार में लाल कृष्ण आडवाणी जी ने आघोषित आपातकाल की उपमा किसके सरकार को देखकर बोले है ?

लोकतंत्र,स्वतंत्रता,अभिव्यक्ति की आजादी इत्यादि शब्दो का प्राण निकालने वाले गुनहगारों के मुहमे अब यह शब्द शोभा नहीं देते हैं !

और रही बात अर्णव गोस्वामी की तो भारत के पत्रकारिता के ईतिहास मे ऐसा नमूना जिसने जे एन यू के विद्दार्थीयोको राष्ट्र विरोधी घोषणा के गलत न्यूज देकर बदनाम करने के कारण टाईम्स नाऊ को हटाना पड़ा है और पाँच साल के भीतर शैकड़ो करोड रुपये खर्च करके रिपब्लिक टी वी चैनल शुरू करने का राज क्या है ? और उसी टी वी स्टुडियो के इंटेरिअर डेकोरेशन करने वाले नाईक नाम के कारागिर के पैसे नहीं दिये और उसने और उसकी बुढ़ी माँ आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया और यही आदमी सुशांत सिह की आत्महत्या को लेकर कितना हंगामा कर रहा था ! और यह खुद किसी और एक नहीं दो-दो आत्महत्याओं के लिए जिम्मेदार बननेवाले का पक्ष मे बोलते हुए बीजेपी के सभी लोगों को थोडी-सी भी शर्म नहीं आती ?

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