भोपाल। पिछले दिनों चली सियासी आंधी के दौरान प्रदेश के मुखिया को बदले जाने की कवायदें लहराईं और फिर अचानक थम गईं। अब जब सब कुछ सामान्य होता दिखाई देने लगा है तो एक बार फिर राजनीतिक हलकों में सरगर्मियां शुरू होने लगी हैं। यह सियासी हरारत राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुधवार को होने वाली भोपाल यात्रा को लेकर है। इस यात्रा के दौरान वे अपने समर्थकों के बीच होंगे और रात यहां रुककर डिनर भी करेंगे।

सूत्रों का कहना है कि सिंधिया बुधवार की सुबह भोपाल पहुंचेंगे। इस दौरान वे अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों से मुलाकात करने वाले हैं। इसके बाद रात को उनका सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के घर डिनर करने का भी प्रोग्राम तय किया गया है। सिंधिया के इस दौरे से फिर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उनकी इस यात्रा के कई मायने निकाले जा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से सिंधिया ने लगातार ग्वालियर चंबल के नेताओं से मुलाकात करना भी शुरू की है। इस दौरान वे 11 जून को अपने धुर विरोधी जयभान सिंह पवैया से भी मिले थे। इसके अलावा उन्होंने पिछले एक हफ्ते तक चंबल का दौरा भी किया था।

निगम-मंडलों की चाहत
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में सरकार बदल के अगुवा बने ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने साथ आए विधायकों को सत्ता और संगठन में उचित स्थान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उपचुनाव के बाद उनके कुछ समर्थकों को मंत्री पद से नवाज दिया गया है। जबकि बचे हुए कुछ विधायकों का एडजस्टमेंट अभी बाकी है। कहा जा रहा है कि ऐसे विधायकों के लिए सिंधिया खाली पड़े निगम-मंडलों में बेहतर जगह की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वे पहले भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन कोविड हालात के चलते लगातार टल रहीं निगम-मंडलों की नियुक्तियों के दौर में उनकी मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। इधर उनके समर्थक विधायकों का धैर्य टूटता जा रहा है, इनमें से कुछ तो बगवात करने के हालात तक भी पहुंच चुके हैं।

सीएम से लेकर केन्द्रीय मंत्री तक की चर्चाएं
पिछले दिनों भाजपा में मुलाकातों का दौर शुरू हुआ तो नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज होने लगी थीं। इस दौरान कैलाश विजयवर्गीय से लेकर नरोत्तम मिश्रा और वीडी शर्मा तक के नाम को मुख्यमंत्री के तौर पर रखा जाने लगा था। इस बीच एक चर्चा यह भी उठी थी कि संभवत: प्रदेश की बागडोर सिंधिया को सौंप दी जाए, लेकिन इस बात को ज्यादा ऊंचाई मिलने से पहले ही यह बात आगे आने लगी कि उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा रहा है और उनके हिस्से रेलवे जैसा महत्वपूर्ण विभाग आने वाला है।

Adv from Sponsors