भोपाल। मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग में 25 बरस से चली आ रही प्रथा टूटने की सुगबुगाहट है। इसके गठन से अब तक यहां अध्यक्ष की कुर्सी किसी मुस्लिम ओहदेदार को मिलती आई है लेकिन इस बार इसका अधिकार अल्पसंख्यक समुदाय के किसी अन्य व्यक्ति की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। लगभग तय हो चुके इस मामले पर महज सरकारी ऐलान ही बाकी है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के खाली पड़े निगम मंडलों की नियुक्ति की बयार में राज्य अल्पसंख्यक आयोग की खाली कुर्सी भी भरी जाने वाली है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा से जुड़े कई मुस्लिम इस पद के लिए लंबे समय से दावा जता रहे हैं। इनमें डॉ सनवर पटेल, हिदायत उल्लाह शेख, मिर्जा जाफर बेग आदि के नाम सतत चर्चाओं में बने रहे हैं। इस बीच एक चौंकाने वाला नाम सियासी गलियारों में तेजी से चला है, जिनके नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाने की उम्मीद भाजपा सूत्र जता रहे हैं। आयोग में दो बार सदस्य रह चुके टीडी वैद्य के नाम को अंतिम बताते हुए आयोग में ताजपोशी होना तय बताया जा रहा है।
अब तक रहा मुस्लिम अध्यक्ष
अल्पसंख्यक आयोग गठन के 25 बरसों के इतिहास में यहां हमेशा मुस्लिम ओहदेदारों में ही अध्यक्ष बनाया जाता रहा है। इनमें इब्राहिम कुरैशी और अनवर मोहम्मद खान ने एक से अधिक कार्यकाल तक सेवाएं दी हैं। जबकि आयोग के आखिरी सदस्य नियाज़ मोहम्मद खान को कांग्रेस सरकार के काबिज होते ही बिना कार्यकाल पूरा हुए हटाए जाने की कोशिश भी की गई। लेकिन खींचतान के बीच उनका कार्यकाल पूरा हो गया।
एक सदस्य, वह भी हाशिए पर
कांग्रेस सरकार की आमद के साथ प्रदेश के कुछ आयोग में नियुक्तियां की गई थी। इसी दौर में कांग्रेस सरकार ने नूरी खान को अल्पसंखयक आयोग का सदस्य नियुक्त किया था। लेकिन सरकार बदल के साथ नूरी खान की नियुक्ति विवाद में आ गई और उनको अब तक सदस्य के तौर पर न अधिकार मिल पाए हैं और न ही सुविधाएं। साथ ही आयोग में बिना ओहदेदारों के सारी गतिविधियां रुकी हुई हैं।
इधर खुलने लगी वैध की कुंडली
अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष बनाए जाने की कवायद के साथ ही उनके खिलाफ मोर्चा बंदी भी शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा पदाधिकारियों को भेजी गई शिकायत में उनके आयोग सदस्य रहते की गई अनियमितताओं का जिक्र किया गया है। इसमें परिवार के लोगों को अपने पर्सनल स्टॉफ में शामिल कर उनके नाम पर वेतन हासिल करने, आवास का किराया आयोग से लेकर किसी रिश्तेदार का मकान दिखाए जाने, खुद की कार को किराए की बताकर उसका पैसा आयोग से वसूल करने आदि के मामले शामिल किए गए हैं। शिकायत में ये भी कहा गया है कि डॉ वैद्य संभवतः पहले ऐसे आयोग सदस्य होंगे, जिनके द्वारा अपने निवास क्षेत्र में प्रशासन से की जाने वाली अनर्गल मांगों को लेकर कलेक्टर ने शासन को शिकायत की है।