पिछली कमेटी ने लगाई है अदालत में याचिका

अदालत से चले एक आदेश की गलत व्याख्या ने गुरुवार को मसाजिद कमेटी में हलचल का माहौल बना दिया। मामले को सुलझाने के लिए पुलिस प्रशासन का सहारा भी लेना पड़ा और सरकारी मार्गदर्शन हासिल करने की स्थिति भी बन गईं।

मामला गुरुवार को उस समय हुआ, जब मसाजिद कमेटी के पूर्व पदाधिकारियों ने कमेटी दफ्तर पहुंचकर दोबारा चार्ज दिए जाने की जिद की। इस दौरान उन्होंने अदालत का एक आदेश पेश किया, जो पूर्व कमेटी द्वारा दायर की गई याचिका के आधार पर जारी किया गया था। अदालत के इस आदेश के मुताबिक चार्ज देने से इनका करते हुए कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने मामले की सूचना अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के आला अधिकारियों को भी भेज दी।

इसके बाद विभाग ने आदेश की गलत व्याख्या करने का हवाला देते हुए पूर्व अधिकारियों को चार्ज देने से इन्कार कर दिया। मसाजीड कमेटी दफ्तर पहुंचे पूर्व पदाधिकारियों हाफ़िज़ अब्दुल हफीज, एसएम सलमान के साथ बड़ी तादाद में उनके समर्थक भी मौजूद थे। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए सूचना पर पुलिस बल भी कमेटी प्रांगण में पहुंच गया था।

क्यों बनी स्थिति

जानकारी के मुताबिक पूर्व कमेटी ओहदेदारों ने अदालत में याचिका लगाते हुए कहा था कि उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले उनसे बल पूर्वक चार्ज ले लिया गया है। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने इसकी अगली तारीख २२ फ़रवरी तय की है। साथ ही इस तारीख तक कमेटी को आज की तारीख में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। इस आदेश को पूर्व कमेटी ने अपने पक्ष में मानते हुए कमेटी बरकरार रखने और दोबारा चार्ज लेने की मांग रख डाली।

ये हैं हालात

सरकार बदल के दौर में उस समय वजूद में सभी निगम मंडल को एक आदेश से शून्य करार दे दिया था। इस आदेश की जद में मसाजिड कमेटी भी आती है। लेकिन कमेटी ओहदेदारों ने खुद को इस आदेश से अलग माना। उनका तर्क था कि उनकी नियुक्ति दो साल के लिए की गई थी, जिस लिहाज से उनका कार्यकाल १२ मार्च २०२१ तक है। इसको लेकर ओहदेदारों ने अदालत में याचिका भी दाखिल की है।

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