भोपाल। सारे जहां का रसूख सिमटकर वाहनों की नंबर प्लेट पर ही आया दिखाई देने लगा है। नियमों की धज्जियां उड़ाते लिखे नंबरों और उन पर चस्पा तमगों के साथ दौड़ती गाडियां जिम्मेदारों के सामने से भी गुजर रही हैं, लेकिन नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई महज समझौते या समझाइश तक सिमटी हुई है।
दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहनों तक पर लगने वाली नंबर प्लेट नियमों से विपरीत दिखाई दे रही हैं। न निर्धारित आकार, न तयशुदा साइज की लिखावट और न ही परिवहन विभाग से तय किया गया रंग ही उपयोग किया जा रहा है।

हर नंबर प्लेट पर रसूख
=राजनीतिक पद या पहचान, पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ, प्रेस व सेना
=जाति सूचक शब्द या क्षेत्रीय दबंग पहचान को दर्शाने वाले शब्द, धार्मिक चिन्ह और उससे जुड़ी दूसरी चीजें
=विभागीय पहचान कलेक्ट्रेट बैंक, एमपीईबी और न्याय विभाग आदि

नहीं लिख सकते नंबर प्लेट पर कुछ भी
परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक नंबर प्लेट पर ऐसा कुछ भी लिखना गलत है। कानून के खिलाफ है। यहां तक कि नंबर प्लेट पर नंबर भी सामान्य समझी जाने वाली लिपि में लिखे होने चाहिए। लेकिन नंबर लिखवाने में वाहन धारक अपनी रुचि के हिसाब से कई तरह के अंकों और रंगों का इस्तेमाल करते हैं। वाहनों पर लगी इन विधि विरुद्ध नंबर प्लेटों पर परिवहन विभाग न यातायात पुलिस कोई ध्यान है।

क्या है नियम
वाहनों का पंजीयन करते समय परिवहन विभाग वाहन की पंजीयन संख्या आवंटित करता है। पंजीयन संख्या वाहन के दोनों तरफ लगी नंबर प्लेटों पर अंकित की जाती है। वहीं वाहन की नंबर प्लेट सफेद रंग की होनी चाहिए और उस पर नंबर काले रंग से लिखे होना चाहिए। नंबर प्लेट पर लिखे नंबर परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित माप के अनुसार होना चाहिए। छोड़े न बड़े।

कार्रवाई का है प्रावधान
अगर कोई वाहन चालक परिवहन विभाग के नियम अनुसार नंबर प्लेट पर सही नियम के अनुसार नंबर नहीं लिखवाता है तो विभाग उस पर कार्रवाई कर सकता है।

नंबर पहचानने में दिक्कत
कई पुराने वाहनों पर तो लोगों ने प्लेट ही ऐसी लगवाली है, जो समझ से परे हैं। नंबर प्लेट पर नाम या अन्य ऐसा लिखा है, जो समझ में ही नहीं आता की नंबर लिखे हैं या नाम। कोई हिन्दी, तो कई रोमन भाषा में नंबर लिखा लेते हैं। कई वाहन चालकों ने तो अपनी नंबर प्लेट ही बदल दी । जिसमें दूर से नंबर पहचान ही नहीं सकते की नंबर प्लेट पर लिखा क्या है। वहीं कोई वाहन दुर्घटना कर या कोई वारदात कर दे तो उसकी पहचान करना भी कठिन होती है।

इनका कहना है
नियमानुसार नंबर न लिखे जाने पर कार्यवाही का प्रावधान है। यातायात पुलिस द्वारा सतत चेकिंग और चालानी कार्यवाही की जाती है। समय समय पर समझाइश भी जाती है।
संजय तिवारी, आरटीओ, भोपाल

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