बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की जालसाजियां देशभर में कुख्यात हैं. शेयर घोटाले से लेकर तरह-तरह के फ्रॉड में यह बैंक लंबे अर्से से लिप्त रहा है. केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ दूसरे दल के कई नेता और नौकरशाह बैंक को संरक्षण देते हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ सौ-सौ कसमें खाकर सत्ता में आई भाजपा की सरकार बैंक की सरपरस्ती में कुछ ज्यादा ही आगे निकल गई है. आरबीआई से लेकर पुलिस और सरकारी एजेंसियां बैंक को जालसाज बताती हैं, लेकिन केंद्र सरकार बैंक पर मेहरबान है. इस साठगांठ को उजागर करती रिपोर्ट…

bankउत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ ताल ठोक दी है. जिस जालसाज बैंक को केंद्र सरकार खुलेआम संरक्षण दे रही है, उस बैंक के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में मुकदमा ठोक कर केंद्र को सकते में ला दिया है. बैंकों के फ्रॉड पर सार्वजनिक चिंता जताने वाली केंद्र सरकार नेपथ्य से उन्हीं बैंकों को अपना संरक्षण देती है और महत्वपूर्ण सरकारी लेनदेन से जोड़ कर उसे लाभ पहुंचाती है. तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर ‘चौथी दुनिया’ अखबार इसका खुलासा कर रहा है.

जिस बैंक पर ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ का आरोप हो, जिस बैंक पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के तमाम मामले चल रहे हों, जिस बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक जुर्माना ठोक चुका हो और जिस बैंक पर सख्त कानूनी कार्रवाई की आरबीआई की सिफारिशें और रपटें सत्ता-गलियारे में धूल खा रही हों, ऐसे बैंक को दिया जा रहा खुला संरक्षण निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अबूझ नहीं है. बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड जो बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के नाम से जाना जाता है, अपने ‘सुकर्मों’ के चलते देशभर में पहले से कुख्यात है. लिहाजा, ऐसे विवादास्पद बैंक को सरकारी लेनदेन और योजनाओं में शामिल करना बैंक के साथ सत्ता अलमबरदारों की मिलीभगत की सनद है. नोटबंदी के समय और उसके बाद, जब देशभर में नोटों की अदलाबदली तेज गति से चल रही थी, उस समय बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक भी तेज गति से नोटों की अदलाबदली में लगा था. इसमें कई बड़े नेताओं और पूंजीपतियों के धन अदले-बदले गए.

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, भाजपा सांसद जगदंबिका पाल, कांग्रेस नेता सिराज मेंहदी और कृपाशंकर सिंह की इस बैंक पर खास कृपा है. बैंक के प्रति कृपादृष्टि रखने वालों में केंद्रीय जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का नाम भी है. मेघवाल पहले केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री थे. वित्र मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि मेघवाल बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के कार्यक्रमों में शरीक होते रहे हैं. मेघवाल को बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के नजदीक लाने का श्रेय केंद्र में अल्पसंख्यक कल्याण एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को जाता है. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के घोटालों और फर्जीवाड़ों की अनगिनत परते हैं…

इनमें से कई खुल चुकी हैं और कई नई परतें हम खोलेंगे. जितनी परतें उघड़ चुकी हैं, उतनी ही जानकारी केंद्र सरकार को सतर्क हो जाने के लिए काफी थीं. फिर भी केंद्र ने बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को सरकारी लेनदेन और योजनाओं से बाहर करने के बजाय उसे और अंदर तक क्यों घुसने दिया? स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के मंत्री, नौकरशाह और बड़े नेताओं की बैंक के साथ साठगांठ इस सवाल का सटीक जवाब है. बैंक के गोरखधंधे का नेता फायदा उठाते हैं. विजय माल्या, नीरव मोदी और इन जैसे तमाम पूंजी-पशुओं के बैंकों से लोन लेकर विदेश भाग जाने के पीछे ऐसी ही नियोजित मिलीभगत है, उसमें कोई लापरवाही या चूक जैसी बात नहीं है.

केंद्र सरकार के कद्दावर मंत्रियों और प्रभावशाली नेताओं के संरक्षण में बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने कैसे-कैसे कारनामे किए हैं, इसके विस्तार में जाने के पहले आपको यह बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने काफी विचार-विमर्श और जांच-पड़ताल करने के बाद 11 जून 2018 को बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी, मैनेजिंग डायरेक्टर एम शाह आलम खान, सहायक महाप्रबंधक बदरे आलम खान, बैंक के एफडी विभाग के प्रभारी अधिकारी तारिक सईद खान और लखनऊ शाखा के प्रभारी प्रबंधक नूर आलम के खिलाफ आपराधिक न्यासभंग यानि ‘क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट’ (406), बेईमानी, जालसाजी, फरेब और धोखाधड़ी से सम्पत्ति हथियाना (420), सिक्योरिटी या मुचलके के सरकारी दस्तावेजों में आपराधिक फेरबदल करना, फर्जी सरकारी दस्तावेज बनवाना या सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ करना (467, 468) और फर्जी दस्तावेजों का सोच-समझ कर इस्तेमाल करना (471) जैसी संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.

उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण उपक्रम उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की तरफ से लखनऊ के कैसरबाग थाने में यह मुकदमा (संख्या- 0142/2018) दर्ज कराया गया है. वित्तीय संकट से गुजर रहे अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक प्रबंधन से बार-बार यह आग्रह कर रहा था कि बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा उसके दो करोड़ 67 लाख 60 हजार रुपए उसे दे दिए जाएं, लेकिन बैंक टालमटोल कर रहा था.

बैंक ने तो यहां तक कह दिया कि निगम का धन बैंक में जमा ही नहीं है. सरकार का यह महकमा सरकार से ही हस्तक्षेप की गुहार लगाता रहा, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. केंद्र सरकार के कद्दावर मंत्री की सरपरस्ती के कारण किसी ने बैंक पर हाथ डालने की हिमाकत नहीं की. विवश होकर निगम ने 25 जून 2018 को कैसरबाग कोतवाली में बैंक की इस धोखाधड़ी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने का औपचारिक आग्रह किया. अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के अधिष्ठान प्रभारी डीके मिश्रा के औपचारिक आवेदन से लखनऊ पुलिस के हाथ-पांव फूल गए. लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार ने फौरन गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार से बात की. निगम से कहा गया कि आवश्यक छानबीन के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी.

जबकि निगम की तहरीर में सारे जरूरी तथ्य संलग्न किए गए थे. मामला ठंडे बस्ते में जाता देख कर निगम के प्रबंध निदेशक शेषनाथ पांडेय ने 29 मई 2018 को लखनऊ के एसएसपी को पत्र लिख कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. उधर, इस कवायद की सूचना त्वरित गति से केंद्र सरकार में बैठे बैंक के खैरख्वाह मंत्री और मुंबई में बैठे बैंक के शीर्ष अधिकारियों तक पहुंच गई. पेशबंदियां ताबड़तोड़ शुरू हो गईं, लेकिन इस बार योगी सरकार ने अपने कान बंद कर लिए.

इस पर बैंक प्रबंधन ने निगम के फिक्स्ड डिपॉजिट को फर्जी बताते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत न्यायिक दंडाधिकारी से बैंक के ही पूर्व कर्मचारी सैयद रजा और एसएमके हैदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश प्राप्त कर लिया. लेकिन इस बार बैंक प्रबंधन की चालाकियां काम नहीं आईं और ऊपरी अदालत ने न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया. दूसरी तरफ सरकार ने अंदरूनी छानबीन के बाद लखनऊ पुलिस को बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक समेत पांच शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करने की सहमति दे दी और 11 जून की देर रात को कैसरबाग कोतवाली में एफआईआर दर्ज हो गई.

पुलिस ने बताया कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी समेत पांच पदाधिकारियों ने बैंक में जमा उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के दो करोड़ 67 लाख 60 हजार रुपए फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए. लखनऊ पुलिस ने साफ-साफ कहा कि पड़ताल में पता चला कि बैंक के उपरोक्त अधिकारियों ने एफडी में जमा निगम का पैसा निकाल कर व्यक्तिगत इस्तेमाल कर लिया. इसीलिए पांच आरोपियों जीशान मेंहदी, एम शाह आलम खान, बदरे आलम खान, तारिक सईद खान और नूर आलम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. लखनऊ पुलिस ने कहा कि बैंक की तमाम कारगुजारियों की छानबीन की जाएगी.

हज का मौद्रिक लेनदेन करेगा बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक!

उत्तर प्रदेश सरकार की इस कार्रवाई से प्रदेश सरकार के कामकाज में ही गंभीर कानूनी अड़चनें खड़ी होने वाली हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने इसी विवादास्पद बैंक को कई योजनाओं से जोड़ रखा है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है हज यात्रा से जुड़े सारे लेनदेन से बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक का जोड़ा जाना. केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से जुड़े बैंक को हज के लेनदेन से तो जोड़ दिया गया, लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बाद की बदली हुई स्थितियों में उत्तर प्रदेश सरकार इस बैंक से कैसे काम लेगी और अगर काम लेगी तो उसकी विश्वसनीयता क्या रहेगी, यह एक बड़ा सवाल है.

बड़ा सवाल यह भी है कि तमाम राष्ट्रीयकृत बैंकों के होते हुए सरकार ने हज प्रबंधन से बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को क्यों जोड़ा? 14 जुलाई से शुरू हो रही हज यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति की जो आधिकारिक कार्यसूची जारी हुई है, उसे देखना भी दिलचस्प है. कार्यसूची में बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के साथ दो और बैंकों के नाम शामिल हैं, लेकिन जब विभागवार काम के विस्तार में जाएं तब आपको असली खेल समझ में आएगा. ‘बैंक से सम्बन्धित कार्य’ में हज यात्रा से जुड़े सारे महत्वपूर्ण काम बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को ही दिए गए हैं. हज यात्रियों के लिए विदेशी मुद्रा का सारा लेनदेन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ही करेगा. हज हाउस में स्टेट बैंक को अस्थाई मोबाइल एटीएम खोलने की इजाजत देकर सरकार ने दूसरे बैंक को भी काम देने की रस्म अदायगी की है.

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के तमाम शेयर धारकों ने भी केंद्र सरकार को बार-बार लिखा है कि बैंक के गोरखधंधों को काबू में करेें. यह बैंक सहकारिता के तहत निबंधित है, लिहाजा केंद्रीय कृषि एवं सहकारिता मंत्री राधा मोहन सिंह को भी पत्र लिखा गया. एक पत्र तो बहुत ही गंभीर है, जो केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को लिखा गया है. बैंक की एक शेयर धारक राजश्री भटनागर मुख्तार अब्बास नकवी को लिखती हैं कि नोटबंदी के दौरन बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने पुराने नोट बदलने का धंधा खूब किया.

दो करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले जाने के एक खास प्रसंग का जिक्र करते हुए पत्र में कहा गया है कि बैंक प्रबंधन ने निदेशक मंडल को बताया कि पुराने नोट मुख्तार अब्बास नकवी के हैं, जबकि पुराने नोट बैंक को नियंत्रण में रखने वाले सरकारी (रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव) विभाग के शीर्ष अधिकारी के थे. शेयर धारक ने मुख्तार अब्बास नकवी को सतर्क करते हुए लिखा कि बैंक की इन हरकतों से उनकी छवि खराब हो रही है. बैंक के शेयर धारकों ने केंद्र को यह औपचारिक तौर पर बता रखा है कि बैंक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समेत कई आला अधिकारियों के खिलाफ देशभर में जालसाजी और धोखाधड़ी के दर्जनों मामले दर्ज हैं, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही.

यहां तक कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी माना है कि बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी और प्रबंध निदेशक शाहनवाज आलम ने बैंक से करोड़ों के घपले किए हैं. आरबीआई ने बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक पर 75 लाख रुपए का जुर्माना ठोका और सेंट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव्स को आगे की कार्रवाई करने के लिए लिखा, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. सेंट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव्स आशीष भूटानी और बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी की दोस्ती के चर्चे आम हैं. आरबीआई की रिपोर्ट पर भूटानी ने शो-कॉज नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली.

आरबीआई की जांच में पाया गया कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी ही बैंक को खोखला करने में लगे हैं. बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी ने हिंदुस्तान ट्रेडिंग कॉरपोरेशन और स्टील इंडिया कंपनी का तीन करोड़ का ब्याज माफ कर दिया. जीशान मेंहदी खुद ही इन कंपनियों के पार्टनर हैं. इसके अलावा चेयरमैन ने शान ट्रेडर्स और युनिवर्सल इंटरप्राइजेज नाम की दो कंपनियों को 15 करोड़ रुपए का लोन दिया, जो लोन लेकर भाग खड़ी हुईं. इसी तरह बैंक के अधिकारी अरशद खान के जरिए अनीस इंटरप्राइजेज को 24 घंटे के अंदर साढ़े सात करोड़ का लोन दे दिया गया. जितनी तेज गति से उसे लोन मिला, उतनी ही तेज गति से वह पैसा लेकर भाग गया. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के प्रबंध निदेशक मोहम्मद शाह आलम खान वर्ष 2003 में बैंक से निकाल दिए गए थे, लेकिन बैंक प्रबंधन ने उन्हें फिर शिरोधार्य कर लिया.

जांच में पाया गया था कि शाह आलम ने आठ विभिन्न खातों में बैंक के पांच करोड़ 32 लाख रुपए डलवाए, बाद में वे खाते ही गायब हो गए. उन्हीं साहब ने बालाजी सिंफोनी को 50 लाख और शीजान कंस्ट्रक्शन कंपनी को 45 लाख का लोन दिया, यह जानते हुए कि शीजान कंस्ट्रक्शन का एक्सिस बैंक में खाता जब्त किया जा चुका है और मुंबई के भिवंडी थाने में मामला भी दर्ज है. बैंक के इस धन का भी विलोप हो गया. शाह आलम खान के खिलाफ मुंबई के पायधोनी थाने में भी जालसाजी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई हाईकोर्ट में बाकायदा हलफनामा दाखिल कर कहा है कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन संस्था के लिए नुकसानदायक हैं. उन्होंने बैंक में बोगस खाते खोल कर बैंक को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया. इस काम में बैंक के एमडी शाह आलम भी लिप्त हैं. आरबीआई ने यह भी बताया कि सेंट्रल रजिस्ट्रार को पत्र लिख कर सख्त कार्रवाई करने के लिए पहले ही कहा जा चुका है. आरबीआई के सहायक महाप्रबंधक (को-ऑपरेटिव बैंक्स) शशिकांत मेनन ने अपने हलफनामे में बताया कि बैंक के दो बोगस एनपीए अकाउंट 10 करोड़ 30 लाख के थे.

इन खातों को बंद करने के लिए चेयरमैन जीशान मेंहदी ने शान ट्रेडर्स और यूनिवर्सल इंटरप्राइजेज के नाम पर दो और बोगस खाते खोले और उसके जरिए बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक का पैसा इलाहाबाद बैंक में परपल ट्रेडर्स के नाम से खोले गए खाते में ट्रांसफर कर दिया. मेंहदी परपल कंपनी के भी पार्टनर थे. इसी तरह यूनियन बैंक में लकी इंटरप्राइजेज नाम से बोगस अकाउंट खोला गया और बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के एक बोगस खाते में जमा 15 करोड़ की रकम ट्रांसफर कर उसे भी हड़प लिया गया. आरबीआई ने कहा कि मल्टी-स्टेट कॉ-आपरेटिव सोसायटीज़ एक्ट की धारा 29 (डी) का उल्लंघन करने के मामले में बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी और अन्य लिप्त अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

विडंबना यह है कि पंजाब नेशनल बैंक और कैनारा बैंक की तरफ से बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी, प्रबंध निदेशक शाह आलम खान और निदेशक सलाउद्दीन नजमी के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी करने और आपराधिक दुर्व्यवहार (क्रिमिनल मिसकंडक्ट) का मुकदमा दर्ज होने के बावजूद राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेता के दबाव में 16 मई 2016 को जीशान मेंहदी को बैंक का चेयरमैन और मोहम्मद शाह आलम खान को प्रबंध निदेशक चुन लिया जाता है. जबकि इन्हें आरबीआई और सेंट्रल कोऑपरेटिव्स की तरफ से भी अयोग्य ठहराया जा चुका था. महज चेयरमैन का चुनाव लड़ने के लिए जीशान मेंहदी ने सारे नियम-कानून और आरबीआई के प्रावधान ताक पर रख कर बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की लखनऊ शाखा से साढ़े सात-सात करोड़ रुपए को दो लोन अपने परिचित के नाम से जारी कर दिए.

इस 15 करोड़ रुपए का इस्तेमाल बोर्ड का चुनाव लड़ने में हुआ और इस राशि को बैंक के ‘नॉन परफॉर्मिंग असेट्स’ (एनपीए) में डाल दिया गया. चेयरमैन पर बैंक के कर्मचारियों की भविष्य निधि का धन गैर लिस्टेड कंपनियों में निवेश करने का भी आरोप है. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू) के प्रभारी पुलिस उपायुक्त पराग मनेरे ने दिल्ली में सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़ के प्रमुख को पत्र लिख कर बॉम्बे मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक की धांधलियों और घोटालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन पुलिस उपायुक्त का पत्र भी डस्टबिन में डाल दिया गया. मनेरे के पहले ईओडब्लू के प्रभारी एस जयकुमार ने भी बैंक पर कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार को पत्र लिखा था. इस सिलसिले में शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर द्वारा केंद्र को लिखा गया पत्र भी ढाक के तीन पात ही साबित हुआ.

यूपी अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की हालत खस्ता

उत्तर प्रदेश सरकार में बैठे नाकारा नौकरशाहों के कारण प्रदेश के अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की खुद की वित्तीय हालत खस्ता है. ऊपर से बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक उसका करीब तीन करोड़ रुपया दबाए बैठा है. प्रमुख समाजसेवी एवं ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष अल्लामा जमीर नकवी केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार तक अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की खस्ता हालत के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और मुहिम चला रहे हैं. जमीर नकवी कहते हैं कि सरकार की भेदभाव की नीति के कारण अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की हालत खराब हो रही है और निगम के कर्मचारी बेहद मुश्किल स्थिति में हैं. दूसरे सारे निगमों के कर्मचारियों को बाकायदा सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक सैलरी मिल रही है, लेकिन अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के कर्मचारियों को अब भी चौथे वेतन आयोग की सैलरी मिल रही है.

नकवी पूछते हैं कि यह कहां का न्याय है? अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम या ऐसे अन्य निगमों के कर्मचारी ऊंची सैलरी पाएं और अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के कर्मचारी नीची सैलरी पर घिसटें, ऐसा भेदभाव सरकार क्यों कर रही है? जमीर नकवी उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव एस सुनीता गर्ग पर सीधा आरोप लगाते हैं कि सरकार की शह पर वे अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम को ही खत्म कर देने पर आमादा हैं. जमीर नकवी कहते हैं कि यह खेद और दुख का विषय है कि निगम को समाप्त करने में केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी भूमिका अदा कर रहे हैं. उन्हें बार-बार पत्र लिख कर इस बारे में आगाह किया जाता रहा, लेकिन उन्होंने एक भी टीका-टिप्पणी नहीं की और न ही निगम के लिए कुछ किया.

अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम के कर्मचारियों को पिछले 16 महीने से सैलरी नहीं मिली है और बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक निगम के तीन करोड़ रुपए दबाए बैठा है. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कोशिश की कि बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज न होने पाए. जमीर नकवी कहते हैं, ‘पिछले दिनों जब मुझे पता चला कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चेयरमैन जीशान मेंहदी उनके कक्ष में बैठे हैं, तो मैंने उन्हें फोन लगाया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. फिर मैंने उन्हें एसएमएस भेज कर उनसे आग्रह किया कि वे बैंक से निगम का पैसा देने के लिए कहें. लेकिन संदेश मिलने के बावजूद केंद्रीय मंत्री ने कुछ नहीं किया.’

झारखंड सरकार को दे दी 54 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने जालसाजी की हुनर का प्रदर्शन केवल यूपी, महाराष्ट्र और दिल्ली में ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में किया है. खास तौर पर भाजपा शासित राज्यों में जालसाजियां करके बैंक ने बड़ा नाम कमाया है. झारखंड राज्य भी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के चंगुल से बच नहीं पाया. कुछ अर्सा पहले झारखंड सरकार ने यूपी की दो कंपनियों लखनऊ की ज्योति बिल्ड टेक प्राइवेट लिमिटेड और गाजियाबाद की वैभव विभोर इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड को झारखंड की राजधानी रांची की सीवर प्रणाली दुरुस्त करने का बड़ा ठेका (करीब साढ़े चार सौ करोड़ का) दिया था.

इन कंपनियों ने झारखंड सरकार को 27-27 करोड़ यानि कुल 54 करोड़ की बैंक गारंटी दी थी. दोनों बैंक गारंटियां बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की ओर से जारी हुई थी. झारखंड सरकार द्वारा की गई छानबीन में सभी बैंक गारंटियां फर्जी पाई गईं. झारखंड सरकार ने यूपी की कंपनियों का ठेका रद्द कर दिया और उन्हें ब्लैक लिस्ट कर राज्य से निकाल बाहर किया. फर्जी बैंक गारंटी बनवाने में बैंक से जुड़े एक बड़े कांग्रेसी नेता काफी सक्रिय थे.

बहरहाल, बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक का फर्जीवाड़ा साबित होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. बैंक के एक अधिकारी ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि उक्त कंपनियों ने बैंक के मुलाजिम निहाल मुर्तजा को दो करोड़ रुपए घूस देकर 27-27 करोड़ रुपए की दो फर्जी बैंक गारंटी बनवा ली थी. झारखंड सरकार के एक्शन में आने पर बैंक प्रबंधन ने फौरन बैंक कर्मी निहाल मुर्तजा को बर्खास्त कर दिया. यह बर्खास्तगी बैंक के शीर्ष प्रबंधन और मुर्तजा के बीच समझदारी से हुई थी.

बैंक प्रबंधन ने बर्खास्त करने के साथ-साथ मुर्तजा को एक बड़ी रकम भी भेंट की थी. कुछ दिन मामला ठंडा हो जाने के बाद बॉम्बे मर्केंटाइल प्रबंधन ने बड़े ही गुपचुप तरीके से निहाल मुर्तजा को बैंक की भोपाल शाखा में ज्वाइन करा लिया. मुर्तजा अभी भोपाल में बैंक में काम कर रहा है. बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ में बैंक के खिलाफ हुए जालसाजी के कई मामलों में बैंक प्रबंधन को यह डर था कि मुर्तजा खिलाफ में गवाही दे सकता है, तो उसे नौकरी में बहाल कर भोपाल में तैनात कर दिया गया.

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंकः घोटालेबाजों में बड़ा नाम है

घोटाले में बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक का बड़ा नाम है और काफी पुराना नाम है. आपको हर्षद मेहता का शेयर घोटाला याद होगा. 90 के दशक का वह घोटाला बड़ा मशहूर हुआ, जो उस समय धरती पर नहीं भी थे, बाद में उन्हें हर्षद मेहता का शेयर घोटाला पढ़ने को जरूर मिला. यह करीब 50 हजार करोड़ का घोटाला था. हर्षद मेहता ने बैंक ऑफ कराड और बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के साथ साठगांठ करके बैंकर्स रसीद (बीआर) हासिल कर लिया था और उन फर्जी ‘बीआर’ के जरिए विभिन्न बैंकों से 50 हजार करोड़ रुपए निकाल लिए. उस जमाने में शेयर कारोबार बैंकों द्वारा जारी टोकन और ‘बीआर’ से होता था. तब शेयरों के कारोबार के लिए डिमैट खाता यानि, शेयर का डिजिटल खाता नहीं हुआ करता था. हर्षद मेहता के शेयर घोटाले में बैंकों का पैसा डूबने में भी बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक की ही भूमिका रही.

बैंक में जमा तीन करोड़ मांगा तो सरकार ने निगम को ही बंद करने की ठान ली

उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम ने बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के एफडी खाते में जमा अपना पैसा क्या मांग लिया, सरकार ने निगम को ही बंद करने की ठान ली. बैंक में निगम के करीब तीन करोड़ रुपए जमा हैं. खस्ता आर्थिक हालत से गुजर रहा निगम बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक से लगातार अपना पैसा मांग रहा है, लेकिन बैंक इसे टालने के लिए किस्म-किस्म के फरेब कर रहा है. बैंक को सरकार का इस कदर संरक्षण मिला हुआ है कि तीन करोड़ रुपए हड़पने का बैंक को मौका देने के लिए निगम को ही बंद करने की तैयारी की जा रही है. अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 80 के दशक में यूपी में स्थापित हुए निगम को बंद कराने का ‘नेक’ कृत्य उस मंत्री के दबाव में हो रहा है जिसे अल्पसंख्यकों का कल्याण करने के लिए ही केंद्र सरकार में बैठाया गया है.

अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम को बंद करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार जिस दस्तावेज को आधार बना रही है, वह अपने आप में भौंडे चुटकुलों का पुलिंदा है. शासन के इशारे पर अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ अनुभाग-4 ने अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम को पुनर्जीवित करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलाई. बैठक में शामिल अधिकारियों ने निगम को पुनर्जीवित करने और दुरुस्त करने का उपाय ढूंढ़ने के बजाय उसे बंद करने के सारे उपाय निकाल डाले. चर्चा में निगम की खस्ता आर्थिक हालत तो शामिल थी, लेकिन निगम की आर्थिक हालत किन वजहों से खस्ता हुई इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. निगम को इस हाल में पहुंचाने के लिए कौन नेता और कौन नौकरशाह जिम्मेदार है, इस पर शातिराना चुप्पी सधी रही.

यहां तक कि इस बात पर भी चर्चा नहीं हुई कि बॉम्बे मर्केर्ंेटाइल बैंक में ‘फंसा’ निगम का तीन करोड़ रुपया कैसे निकले, ताकि निगम का थोड़ा रक्तसंचार बढ़े. बैठक के बाद जो दस्तावेज तैयार कर शासन को भेजा गया, उसमें अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की जर्जर आर्थिक हालत पर नुक्ताचीनी तो खूब है, लेकिन हैरत है कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक में जमा निगम के तीन करोड़ रुपए का उसमें कोई जिक्र ही नहीं है. कौन डरावने लोग हैं, अफसरों की इस दहशतजदा चुप्पी के पीछे? इस सवाल का जवाब पूरा सत्ता गलियारा जानता है, लेकिन कोई कुछ नहीं बोलता.

बहरहाल, निगम का पुनरुद्धार करने के मसले पर बुलाई गई बैठक में शामिल अधिकारियों ने निगम का शटर गिरा देने पर अपना विचार केंद्रित किया और उसे बंद करने की तमाम प्रक्रियाएं सुझाते हुए बैठक समाप्त कर दी. बैठक के बाद तैयार की गई रिपोर्ट देखें तो आप यह समझ जाएंगे कि मामला पहले से तय था, बैठक केवल प्रहसन था. बैठक की सूत्रधारी कहीं और से हो रही थी, लेकिन जो पात्र बैठक के मंच पर विचार-विमर्श का अभिनय कर रहे थे, उनमें खुद अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के प्रबंध निदेशक एसएन पांडेय, निगम के संयुक्त निदेशक आरपी सिंह, सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के उप निदेशक चंद्रशेखर बनौधा, वित्त विभाग के उप सचिव केशव प्रसाद, निगम के वरिष्ठ लेखाधिकारी विनय कुमार श्रीवास्तव, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बालेंदु द्विवेदी और निगम के अधिष्ठान प्रभारी डीके मिश्रा शामिल थे. इन पात्रों ने शासन को ‘पूर्व-प्रायोजित’ रिपोर्ट औपचारिक रूप से सुपुर्द कर दी है और यूपी अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम को पुनर्जीवित करने के बजाय उसे बंद करने की सिफारिश कर दी है… जैसा सरकार में बैठे कुछ आला नेता और आला नौकरशाह चाहते थे.

घोटाले के कारण हुआ घाटा, घाटा खत्म दिखाने के लिए किया घोटाला

है न यह विचित्र बात..! लेकिन यह सच है. भीषण घोटालों के कारण बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक का घाटा बैंक का एनपीए बढ़ाता रहा, लेकिन घोटालेबाजों ने इस ‘एनपीए’ को खत्म करने के लिए भी घोटाला किया. इस घोटाले को बैंक के शातिर अधिकारियों के साथ-साथ कई और शातिर दिमाग हस्तियों ने अंजाम दिया. इन हस्तियों में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर समेत कई ऐसे बड़े अधिकारी शामिल हैं, जो पहले वित्त मंत्रालय, रिजर्व बैंक, सेंट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव्स और सरकारी मीडिया में ऊंचे ओहदे संभालते रहे हैं. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने जब दो सौ करोड़ रुपए का ‘एनपीए’ क्लियर कर लेने का दावा किया, तब इस ‘चमत्कार’ पर लोगों का ध्यान गया. बाद में पता चला कि बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक के 117 करोड़ रुपए के ‘एनपीए’ की देनदारी ‘इन्वेंट’ नाम की कंपनी ने खरीद ली.

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह ‘इन्वेंट’ कंपनी के चेयरमैन हैं. ‘इन्वेंट’ कंपनी और बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक ने मिलकर एक ट्रस्ट बनाया, जिसमें बैंक ने 99.50 करोड़ रुपए निवेश किए और ‘इन्वेंट’ कंपनी ने इस ट्रस्ट में 17.50 करोड़ रुपए निवेश किए. ‘एनपीए की शेष 83 करोड़ की राशि बैंक के रिजर्व फंड्स में एडजस्ट कर दी गई. इस तरह ‘एनपीए’ की राशि डुबोने के लिए बहुत ही शातिराना खेल खेला गया, जिसमें मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह की ‘इन्वेंट’ कंपनी भी साझीदार रही.

अब ‘इन्वेंट’ कंपनी का भी प्रोफाइल देखें, जिसमें खुद मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर एमएन सिंह चेयरमैन हैं. कॉरपोरेट और बैंकिंग मामलों के महारथी पंकज कुमार गुप्ता ‘इन्वेंट’ कंपनी के वाइस चेयरमैन हैं. इनके अलावा एलआईसी और सेबी के पूर्व चेयरमैन ज्ञानेंद्र नाथ बाजपेयी, वित्त मंत्रालय के पूर्व अधिकारी राज नारायण भारद्वाज, कई महत्वपूर्ण मीडिया घरानों के सीईओ और सरकारी मीडिया के आला अधिकारी रहे आरके सिंह, डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया के बड़े अधिकारी रहे एके डोडा, भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी रहे एससी गुप्ता और जी गोपालकृष्ण जैसी हस्तियां ‘इन्वेंट’ कंपनी से जुड़ी हैं.

जो बैंक मनी-लॉन्ड्रिंगमें लिप्त, उसे ही दे दी फॉरेन-फंडिंगकी चौकीदारी

बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक पर केंद्र सरकार की मेहरबानियों का हाल यह है कि विदेशों से फंडिंग के जरिए आने वाले संदेहास्पद धन की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने जिन बैंकों को ‘पहरेदार’ बनाया, उसमें बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक जैसे विवादास्पद बैंक को भी शामिल कर दिया. विदेशी फंडिंग पर केंद्र सरकार की सख्ती का सच यही है. आप याद करें कि केंद्र सरकार ने विदेश से फंड लेने वाले सभी एनजीओ, कंपनियों, संस्थाओं और लोगों को 32 निर्धारित बैंकों में से किसी एक में अकाउंट खुलवाने का सख्त निर्देश जारी किया था, ताकि फॉरेन फंडिंग का इस्तेमाल किसी भी तरह राष्ट्र विरोधी गतिविधि में न हो. गृह मंत्रालय ने कहा था कि उच्च स्तर की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. जबकि केंद्र सरकार की यह बहुत ही घटिया स्तर की पारदर्शिता और राष्ट्र-धर्मिता थी कि उसे बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक जैसे घोटालेबाज बैंक को 32 चौकीदार बैंकों में शुमार करते हुए शर्म नहीं आई.

केंद्र सरकार ने फॉरेन फंडिग प्राप्त करने वाले 18,868 एनजीओ के रजिस्ट्रेशन तो रद्द कर दिए, लेकिन मुद्रा का बेजा धंधा करने वाले बैंक पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. बॉम्बे मर्केंटाइल बैंक को 32 चौकीदार बैंकों में शामिल करके केंद्र सरकार ने फॉरेन फंडिग पाने वाली संदेहास्पद संस्थाओं, एजेंसियों और लोगों को ‘धंधा’ जारी रखने का परोक्ष रूप से मौका दे दिया. फॉरेन फंडिंग पाने वाली तमाम एफसीआरए रजिस्टर्ड संस्थाओं और एजेंसियों ने 21 जनवरी 2018 तक भारी संख्या में अपने खाते (फॉरन कॉन्ट्रिब्यूशन अकाउंट्स) खुलवा लिए हैं, अब वे बेखौफ अपना धंधा चलाएंगे.

सरकार की भेदभाव की नीति के कारण अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम की हालत खराब हो रही है और निगम के कर्मचारी बेहद मुश्किल स्थिति में हैं. -अल्लामा जमीर नकवी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल

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