तिब्बत की आजादी के लिए दशकों से संघर्ष कर रहे प्रसिद्ध बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत के निर्वासित सरकार के राष्ट्राध्यक्ष दलाई लामा के बोधगया आगमन को लेकर भारतीय खुफिया व सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. 10 दिवसीय कालचक्र पूजा बोधगया में 4 जनवरी 2017 से दलाई लामा के नेतृत्व में होने जा रहा है.
इसके लिए दलाई लामा 28 दिसम्बर 2016 को बोधगया पहुंच रहे हैं. इस पूजा में भाग लेने के लिए दुनिया के विभिन्न देशों, विशेष कर बौद्ध देशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने की सभांवना हैं.
कहा जा रहा है कि इस पूजा में तीस हजार से पचास हजार के बीच तिब्बती श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं. हालांकि चीन नहीं चाहता कि तिब्बती श्रद्धालु बोधगया आएं. चीन का मानना है कि बोधगया आने वाले तिब्बती, तिब्बत की आजादी की बात को आगे ब़ढाएंगे. वहीं दूसरी ओर, तिब्बत की आजादी की लड़ाई लड़ रहे दलाई लामा दशकों से चीन के निशाने पर हैं. चीन दलाई लामा के प्रस्तावित अरुणाचल प्रदेश यात्रा का भी विरोध कर रहा है.
गौरतलब है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता रहा है. इन्हीं सब को देखते हुए भारतीय खुफिया तंत्र ने बोधगया में दलाई लामा के साथ-साथ महाबोधि मंदिर, कालच्रक पूजा स्थल और कालचक्र मैदान की सुरक्षा व्यवस्था को हाई सिक्यूरिटी जोन बना दिया है.
एंजेसियों का मानना है कि चीनी श्रद्धालु केे रूप में चीनी खुफिया एजेंसी के लोग कुछ गड़बडी करने का प्रयास कर सकते हैं. इसलिए चीनी श्रद्धालुओं पर विशेष नजर रखने का निर्देश दिया गया है. बोधगया स्थित सभी होटलों और बौद्ध मठों के संचालकों को यह निर्देश दिया गया है कि उनके यहां जो भी विदेशी श्रद्धालु कालचक्र पूजा के दौरान ठहरें उनका विस्तृत विवरण वे सुरक्षा एंजेसियों को दें.
चीनी श्रद्धालुओं के सर्ंदभ में विशेष रूप से जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. इस संबंध में 3 दिसम्बर 2016 को बोधगया में बीटीएमसी सभा भवन में पुलिस अधिकारियोंं व सुरक्षा एंजेसियों की एक विशेष बैठक पटना के आईजी नैयर हसनैन खान की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में कालचक्र पूजा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर विचार विमर्श किया गया.
कालचक्र पूजा में शामिल होने वाले 17वें कारमापा त्रिनले थाए दोरजी की सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की गई है. क्योंकि 17वें कारमापा की सिक्कीम यात्रा पर भी चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. नैयर हसनैन खान ने बताया कि महाबोधि मंदिर और बोधगया में वर्ष 2013 की घटना की अनदेखी नही की जा सकती है. इसको ध्यान में रखते हुए कालचक्र पूजा की सुरक्षा की पूरी तैयारी चल रही है.
इन्होंने बताया कि कालचक्र पूजा के दौरान जमीन से लेकर आसमान तक तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था होगी. पूरे बोधगया में 41 सुरक्षा प्वाइंट और 9 पुलिस कंट्रोल रूम बनाया गया है, जो 24 घंटे काम करते रहेंगे. वहीं दूसरी ओर गया के जिलाधिकारी कुमार रवि बौद्ध भिक्षुओं और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर लगातार कालचक्र पूजा की तैयारी की समीक्षा कर रहे है.
ज्ञात हो कि कालचक्र पूजा में बड़ी संख्या में आनेवाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मगध विश्वविद्यालय परिसर, निरंजना नदी के तट तथा बोधगया के अन्य खाली स्थानों पर हजारों की संख्या में टेंट लगाए गए हैं. इन सभी परिसरों को आवासन की सभी व्यवस्थाओं से लैस किया गया है और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई है. कालचक्र पूजा में करीब 5 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है.
खास बात यह है कि अन्य किसी भी साल कालचक्र पूजा में इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था नही की गई थी. हाल के वर्षों में भारत-चीन के संबधों में आई तल्खी और बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा के चीन के निशाने पर होने के कारण बोधगया में हो रहे कालचक्र पूजा में हाई सिक्यूरिटी की व्यवस्था की गई है. दलाई लामा से मिलने के लिए भी श्रद्धालुओं को सुरक्षा व खुफिया तंत्र के कई घेरों से गुजरना होगा.