अदालत के आदेश के बाद भी बोर्ड ने नहीं दिया चार्ज, नियुक्त कर दिया रिसीवर
भोपाल। मप्र वक्फ बोर्ड की मनमानियों पर जबलपुर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। बुधवार को जारी किए गए नोटिस में अदालत ने बोर्ड से कहा है कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए। अदालत से चले एक आदेश को दरकिनार करते हुए मप्र वक्फ बोर्ड ने संबंधित पक्ष को कमेटी का चार्ज देने की बजाए तेहसीलदार को बतौर रिसीवर नियुक्त कर दिया था।

मामला इंदौर स्थित दरगाह नाहरशाह वली वक्फ से जुड़ा है। मप्र वक्फ बोर्ड ने इस कमेटी के सदर अरब अली पटेल की तीन साल के लिए गठित कमेटी को इस आरोप पर निरस्त कर दिया था कि उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें वे बार बाला के साथ डांस करते नजर आ रहे थे। बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ अरब अली ने अदालत की शरण ली थी। पटेल की याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट ने फरवरी माह में स्थगन आदेश देते हुए अरब अली पटेल की अध्यक्षता वाली कमेटी बहाल रखने के आदेश दिए थे। लेकिन मप्र वक्फ बोर्ड ने इसको दरकिनार करते हुए उनको चार्ज देने की बजाए दरगाह नाहर शाह वली की देखरेख के लिए प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर तेहसीलदार सिराज अहमद की नियुक्ति कर दी थी।

क्या है मामला
-मप्र वक्फ बोर्ड ने दरगाह नाहर शाह वली इंदौर की कमेटी को 12 फरवरी को भंग कर इंदौर तहसीलदार सिराज खान को ईओ बनाकर 28 सदस्यों की कमेटी बना दी थी।
-उच्च न्यायालय ने कमेटी अध्यक्ष अरब पटेल की याचिका पर बोर्ड के आदेश पर स्टे दे दिया।
-जिसके मुताबिक अरब पटेल के यथावत कमेटी के अध्यक्ष बने रहने की स्थिति बन गई थी।
-हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया था कि बोर्ड प्रशासक अतिरिक्त चार्ज में होने से कोई वैधानिक कार्य नहीं कर सकते, इसलिए उनका आदेश भी वैधानिक नहीं है। आदेश में पूर्व याचिका क्रमांक 17846/2015 में पारित आदेश को भी आधार माना गया है।
-प्रशासक के साथ सीईओ जमील खान भी बोर्ड के अतिरिक्त चार्ज में हैं, इस आदेश के मुताबिक वे भी कोई वैधानिक कार्य करने के लिए सक्षम अधिकारी नहीं हैं।

सियासत के शिकार हुए अरब अली
दरगाह नाहर शाह वली के अध्यक्ष अरब अली पटेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी हुआ था। जिसमें वे एक शादी समारोह में किसी बार बाला के साथ ठुमके लगाते नजर आ रहे थे। इसको लेकर बोर्ड को की गई शिकायतों के आधार पर कमेटी भंग करने का एक पक्षीय फैसला लिया गया था। जबकि अरब अली पटेल का कहना है कि उनकी नियुक्ति के समय से ही विघ्नसंतोषी लोगों की एक बड़ी टीम उन्हें अपदस्थ करने में जुटी हुई है। जिसके चलते उन्हें लेकर कई बार शिकायतें की गई हैं। पटेल का कहना है कि जिस वीडियो को उनके खिलाफ इस्तेमाल किया गया, वह उनके अध्यक्ष बनने के पहले का है। इसके अलावा वीडियो में जो लड़की दिखाई दे रही है, वह उनकी बेटी की उम्र की है। साथ ही शादी, ब्याह और अन्य समारोह में इस तरह की मस्ती के मायने चरित्र खराब होने के नहीं कहे जा सकते।

सेवा पर हावी सियासत
वक्फ नाहरशाह वली दरगाह की कमेटी पर काबिज होने को लेकर उम्मीदवारों के बीच हमेशा खींचतान बनी रही है। इससे पहले बनीं कमेटियों को लेकर भी पदस्थ और पदस्थ होने से रह गए लोगों के बीच शिकायतों और कार्यवाहियों का दौर चलता रहा है। अरब अली पटेल की कमेटी को अपदस्थ करने को लेकर भी इंदौर के कई सियासी धड़े लगे हुए थे। अपना पक्ष मजबूत करने के लिए लोगों ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक रसूखों का इस्तेमाल किया है।

हो रहा वक्फ का सरकारीकरण
करीब दो-तीन साल से खाली पड़े मप्र वक्फ बोर्ड की व्यवस्था लंबे समय से प्रशासनिक अधिकारियों के हवाले है। वर्तमान में यहां जिला एडीएम बतौर प्रशासक और सीईओ के रूप में एसडीएम कुर्सी सम्हाले हुए हैं। वक्फ अधिनियम 1995 का मखौल उड़ाते हुए बैठाए जा रहे शासकीय अधिकारी अपनी मनमर्जी से व्यवस्था संचालित कर रहे हैं। प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमेटियों को दरकिनार कर पाबंद किए गए रिसीवर वक्फ संपत्तियों को नुकसान पहुंचा चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि वक्फ अधिनियम के मुताबिक इसकी कमेटियों में प्रशासनिक और सियासी दखल नहीं हो सकता। इसका एक उदाहरण सिख समाज द्वारा संचालित किए जाने वाले गुरुद्वारा और अन्य संस्थाओं को माना जा सकता है। सिख समाज की इन संपत्तियों का संचालन सीधे इनकी प्रबंधन कमेटी से होता है। जबकि मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा लगातार कमेटियों के संचालन में प्रशासनिक घालमेल बढ़ाया जा रहा है।

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