वीरेंद्र सेंगर
धार्मिक कठमुल्लापन बहुत भयानक रूप लेता जा रहा है। चाहे वो इस्लाम के नाम पर हो या अंध हिंदुत्ववाद के नाम पर। धर्म की आड़ में बहुत अधर्म हो रहा है। पिछले दशकों से ये पागलपन पूरे देश में फैला। दुनिया के विकसित देश वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं।जबकि हम तालिबानी तत्वों को जाने, अनजाने बढ़ावा दे रहे हैं।ये तालिबानी थोड़े बहुत अंतर से दोनों छोरों पर हैं।ये एक दूसरे को रसद पानी भी देते हैं धर्म के नाम धर्मांदता फैलाते हैं।इससे असिहष्णुता और जाहिलपन बढ़ता जा रहा है।हिंदुत्व वीरों ने पिछले वर्षों में राम मंदिर के नाम खूब हिंसा का ताड़व किया।इसके चलते जगह जगह हिंसा हुई थी। हिंसक दंगों में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे। अरबों रू.की संपत्ति नष्ट हुई।इसमें मुस्लिम कठमुल्लों ने भी मुस्लिम संप्रदाय में जमकर नफरती जहर भरा। यह अलग बात है कि सांप्रदायिक हिंसा का शिकार दोनों समुदायों के गरीब ही बने। शुक्र है, उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या प्रकरण का निपटारा कर दिया है। उम्मीद करनी चाहिए कि अब हिंदुत्व वीरों को कुछ ठंड़ आयेगी।भगवान राम जी का मंदिर ठीक से बनना भी शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन हिंदुत्व के नाम पर मथुरा और काशी में टंटा खड़ा करने की हुंकारें शुरू हो गयी हैं। स्वनामधन्य बाबा रामदेव और विनय कटियार जैसों ने मथुरा के कृष्ण मंदिर को मुक्त करने एलान किया है।संदेश साफ है कि ये जमात के स्वम्भू धर्म के नाम पर हिंदू मुस्लिम सियासत का कुत्सित खेल ही जारी रखेंगे। ताकि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की तिकड़म बरकरार रहे। चाहे देश भले बर्बर युग की तरफ लौट जाए! ताजा मामला बेंगलुरु का है। मंगलवार की शाम यहां एक फेसबुक पोस्ट से सांप्रदायिक हिंसा फैल गयी।इस्लामी कठमुल्लों ने छोटी सी बात को हिंसक तूफान बना दिया। आरोप है कि कांग्रेसी दलित विधायक अखंड़ मूर्ति के एक रिश्तेदार ने एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें पैगंबर के बारे में कोई आपत्तिजनक टिप्पणी थी। इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं।कानून में इसके लिए सजा का प्रावधान है।आरोपी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती थी।लेकिन धर्म के ठेकेदार कानून सम्मत काम करना तो जैसे अपनी तौहीन ही समझते हैं । इन्होंने ने ईश निंदा के नाम पर गरीब बस्तियों में मुसलमानों को जमकर भड़काया।रात में उन्मादी भीड़ को जुटाया।फिर विधायक के निवास पर धावा बोल दिया।जमकर तोड़फोड़ की।पूरे घर को जला दिया।घंटों ये हिंसक उन्माद चला।पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो उन पर भी हमला बोला।साठ पुलिस वाले भी घायल बताए जा रहे हैं।पुलिस ने तीन दंगाइयों को गोलियों से मार डाला। इस हादसे के बाद पूरे इलाके में सांप्रदायिक सियासत की हवा गर्म हो गयी है।
कर्नाटक में भाजपा की सरकार है।राज्य के मुख्यमंत्री जी खुद हिंदुत्व सियासत के जानेमाने चैंपियन हैं।अब सरकार को मौका मिल गया है ,वह अपनी पूरी सांप्रदायिक खुंदक निकाल लेगी।जाहिर है ,इससे मुसलमानों का गरीब तबका और उत्पीड़ित होगा।इस तरह ये धर्मांद कठमुल्ले अपनी कौम के सबसे बड़े खलनायक बन गये हैं।समाज के समझदार लोग अब आगे आएं !इन सभी रंगों के पाखंडी कठमुल्लों का खुलकर विरोध करें।मेरी अपील है कि सेक्यूलर सोच वालों सभी से है,वे मुस्लिम कठमुल्लों की भी जमकर निंदा करें।मैं तो यहां इनकी निंदा कर ही रहा हूं।बिडंबना है कि दोनों तरफ तालिबानी ताकतें मजबूत हो रही हैं।क्योंकि हम अपने को समझदार मानने वाले भी सही मौकों पर चुप्पी साध जाते हैं।जब तक समाज में उन्मादी तालिबानी ताकतें बढ़ती रहेंगी ,तब तक देश का सही मायने में उत्थान नहीं हो सकता।अब नागरिक समाज को बड़े बदलाव की पहल करनी होगी।ये काम कांग्रेस और भाजपा जैसे दल कतई नहीं कर सकते।भाजपा तो सांप्रदायिक सियासत से ही सत्ता की मलाई खा रही है। कांग्रेस भी दशकों तक बेशर्म तुष्टीकरण की नीति से मुस्लिम समाज को ठगती रही है।इनकी स्थिति कांशीराम जी के शब्दों में कहें ,तो सांपनाथ और नागनाथ वाली रही है।दूसरे क्षेत्रीय क्षत्रप भी कोई अच्छी उम्मीद नहीं जगाते।वे तो दो कदम आगे बढ़कर जाति और गोत्र की राजनीति करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि नागरिक समाज इन मगरूर नेताओं को कान पकड़कर सही रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करे।क्योंकि वोट का ब्रह्मास्त्र तो उसी के पास है।इसे चलाने का मौका है, दोस्तो! वर्ना फिर बहुत देर हो जाएगी!बहुत देर!