कश्मीर घाटी के पर्यटन स्थल गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में अवैध निर्माण का मामला इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. सोशल मीडिया पर एक निर्माणाधीन इमारत की तस्वीर वायरल हो रही है, जो समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थिति गुलमर्ग में बन रही है. यह इमारत न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, बल्कि इसका निर्माण कार्य जम्मू-कश्मीर हाईकार्ट के आदेश का उल्लंघन भी कर रहा है. हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में पर्यटन स्थल गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में निर्माण पर पाबंदी लगाई थी. उस आदेश में यहां तक कहा गया था कि इन जगहों पर बिल्डिंग मैटेरियल भी नहीं ले जाया जा सकता है.
न्यायालय ने यह सख्त आदेश इसलिए दिया था, क्योंकि हरे-भरे जंगलों से जुड़े इन पर्यटन स्थलों को अवैध निर्माण द्वारा कंक्रीट के जंगल में तब्दील किया जा रहा है. दरअसल, घाटी में 1990 में मिलिटेंसी की शुरुआत के साथ ही जब शासन और प्रशासन की प्रासंगिकता खत्म हो रही तो असामाजिक और स्वार्थी तत्वों ने नए-नए तरीकों से अवैध धन बटोरने और सम्पत्ति बनाने का सिलसिला भी शुरू किया.
यह वही दौर था जब घाटी से निकले कश्मीरी पंडितों के मकान और उनकी अन्य सम्पत्तियां औने-पौने दामों में खरीदने के लिए घाटी के हर इलाके में दलाल उभर आए. उसी दौर में जमीनों पर अवैध कब्जे और अवैध निर्माण का सिलसिला भी शुरू हुआ. हालात का फायदा उठाते हुए पूंजीवादी वर्ग ने भी अपने स्वार्थ के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाने का सिलसिला शुरू किया, जो किसी न किसी रूप में आज भी जारी है. गत वर्ष पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार ने अपोजिशन के एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया था कि पिछले तीन वर्षों के दौरान गुलमर्ग, पहलगाम और सोनामर्ग में 185 अवैध निर्माण खड़े कर दिए गए हैं.
इस समय गुलमर्ग में जो इमारत बन रही है, वह एक बहुत बड़े कश्मीरी होटलेयर की मिलकियत है. सूत्रों ने चौथी दुनिया को बताया कि कुछ हफ्ते पहले इस शख्स ने पांच कमरों और एक किचेन वाला एक कॉटेज खरीदा, जो लकड़ी का बना हुआ था. उसके बाद, गुलमर्ग डेवलपमेंट अथॉरिटी से इस कॉटेज के अंदर की दिवारों की मरम्मत की अनुमति मांगी गई. अनुमति लिखित रूप में इस शर्त के साथ दी गई कि पहले से बने ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
लेकिन सिर्फ मरम्मत की अनुमति मिलने के बावजूद इस कॉटेज के पीछे एक इमारत खड़ी कर दी गई है. सूत्रों का कहना है कि कॉटेज की जगह तीन सितारा होटल बनाया जा रहा है और यहां रात-दिन काम जारी है. यह बात भी सामने आई है कि इस तीन सितारा होटल के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काट दिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में भी उक्त होटलेयर की तरफ से पहलगाम में अवैध रूप से एक होटल निर्माण करने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोप में इस होटल को सील करने के आदेश दिए थे.
आश्चर्य की बात यह है कि इस घटना को स्थानीय मीडिया नजरअंदाज कर रही है, क्योंकि इस होटल मालिक का मजबूत सियासी सम्बन्ध है. कोई भी अखबार इनके खिलाफ अवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है. वेबसाइट्स पर इस घटना को लेकर पिछले दो हफ्ते से बहस चल रही है. उल्लेखनीय है कि गुलमर्ग को वर्ष 1984 में वाइल्ड लाइफ सेनचुरी करार दिया गया है.
इस लिहाज से गुलमर्ग में कोई भी निर्माण खड़ा किया ही नहीं जा सकता. उच्चतम न्यायालय ने भी वर्ष 2000 में एक आदेश के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी वाइल्ड लाइफ एरिया में निर्माण का काम नहीं हो सकता है. इस लिहाज से गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग में गत दो दशकों से ज्यादा समय से निर्माण किए गए दर्जनों होटल इत्यादि गैरकानूनी हैं और इनका निर्माण कराने वाले अपराध के दोषी हैं.
कश्मीर घाटी में खराब हालात की आड़ में अवैध निर्माण खड़ा करने का मामला सिर्फ गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये बीमारी घाटी के हर इलाके में जारी है. आमतौर पर ये सबकुछ खराब हालात के बहाने किया जा रहा है. क्योंकि इस तरह के बहाने से बहुत सारे मामलों में सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी जवाबदेही से बच जाते हैं. वर्ष 2016 में बुरहान की मृत्यु के बाद घाटी में शुरू हुए आंदोलन के दौरान भी हर इलाके में अवैध निर्माण बनाने का सिलसिला जारी रहा.
कुछ वर्ष पहले श्रीनगर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने उच्च न्यायालय में विचाराधीन एक केस में बताया था कि सिर्फ श्रीनगर शहर में मास्टर प्लान का उल्लंघन करते हुए तीन हजार इमारतें खड़ी कर दी गई हैं, जिनमें मकान, दुकानें, शॉपिंग कम्पलेक्स वगैरह शामिल हैं. अब इन्हें हटाना संभव नहीं है. इसलिए अब मास्टर प्लान को ही रद्द करना पड़ेगा, यानि भविष्य में श्रीनगर शहर आवास के लायक नहीं रहेगा.
गुलमर्ग में अवैध रूप से तीन सितारा होटल बनाए जाने से सम्बन्धित खुलासे ने घाटी को लेकर गम्भीर रहने वालों को दुखी कर दिया है. प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता जरीफ अहमद जरीफ ने इस विषय पर चौथी दुनिया से बात करते हुए कहा कि प्रकृति ने हम कश्मीरियों को संसाधनों से मालामाल कर दिया था. लेकिन ऐसा लगता है कि हम अपने हाथों ही सब कुछ तबाह करने पर तुले हुए हैं.
डल झील से लेकर अंचार झील तक को हम बर्बाद कर चुके हैं. अब गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम जैसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों को कंकरीट के जंगल में तब्दील कर रहे हैं. हमारी सड़कें और गली-कूचे गंदगी से भरे हैं. कुदरत ने कश्मीर को जितना खूबसूरत बनाया है, उसे हम उतना ही गंदा कर रहे हैं. अगर ये सिलसिला जारी रहा, तो इसका खामियाजा आने वाली नस्लों को भुगतना पड़ेगा.
जरीफ का कहना है कि कश्मीर चूंकि भौगोलिक रूप से एक दुर्गम इलाका है. बर्फबारी की वजह से यहां के अधिकतर हिस्सों में व्यापारिक गतिविधियां बंद ही रहती हैं. इसलिए यहां पर्यटन अकेला ऐसा क्षेत्र है, जिसपर इस इलाके के लोग आर्थिक रूप से निर्भर रह सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि पर्यटक स्थलों और प्राकृतिक संसाधनों को सरंक्षण दिया जाय. लेकिन जाहिर है कि जब गुलमर्ग जैसे जंगल के इलाके में दिनदहाड़े लकड़ी के बने कॉटेज को कंक्रीट के तीन सितारा होटल में बदला जा रहा है, तो यहां के पर्यटन स्थलों की संरक्षण की गारंटी कौन देगा.