भोपाल। बहनों की आस्था का पर्व रक्षा बंधन भी महंगाई के घेरे में दिखाई दे रहा है। राखी से लेकर पूजन सामग्री और उपहार की वस्तुएं तक आम लोगों का बजट गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं। यहां तक कि आवाजाही के साधनों पर भी बढ़े हुए किराए का साया बना हुआ है।

महंगाई के दौर में बाजार एक बार फिर त्योहार की खरीदी से गुलजार तो हो गए हैं लेकिन अपने बजट में सबकुछ समेटने की मशक्कत बहनों और भाइयों को करना पड़ रही है। खरीदी की लिस्ट और तय बजट में सामंजस्य स्थापित होना मुश्किल हो रहा है। राजधानी के कपड़ा व्यापारियों का कहना है कि पिछले साल से जारी मंदी के बीच अब जब बाजार खुले हैं तो गारमेंट्स और कच्चे कपड़े के रेट पहले से 10 से 20 फीसदी तक महंगे हो चुके हैं। असर खरीदारी पर पड़ा है। राखियों का थोक कारोबार करने वाले गज्जू भाई का कहना है कि ऑनलाइन शॉपिंग, चाइना और अन्य लुभावने आइटम्स ने हैंड मेड राखियों की मांग को प्रभावित किया है। बढ़ती लागत के चलते खेरची विक्रय में भी अंतर आया है, जिसके चलते बाजार जरूरत के बाद भी अपेक्षित खरीदी बिक्री कम हो गई है।

किराए ने भी तोड़ी कमर
त्यौहार छुट्टियों के चलते बढ़ी आवाजाही ने वाहनों के किराए पर असर डाला है। आम दिनों में भोपाल से इंदौर के लिए लिया जाने वाला टैक्सी का किराया 450=500 से बढ़कर 600 पार हो गया है। नादरा बस स्टैंड और हलालपुर से चलने वालीं इंदौर, उज्जैन, गुना, राजगढ़, विदिशा, बैरसिया की बसों में भी आम दिनों से दोगुना से ज्यादा भीड़ है। जिसका फायदा उठाकर बस संचालकों ने मनमाना किराया वसूलना शुरू कर दिया है।

डाक कुरियर दरकिनार, अब टैक्सी और चार्टर पर भरोसा
पोस्ट ऑफिस की गतिविधियां कुरियर का दौर शुरू होने के साथ ही खत्म हो चुका था। अब समय की कमी और निश्चितता की गारंटी के तौर पर राखी या उससे जुड़े उपहार भेजने के नए साधन इस्तेमाल किए जा रहे हैं। राजधानी भोपाल से इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर आदि के लिए लोगों ने चार्टर बसों पर भरोसा दिखाना शुरू किया है। जिनसे कम समय में भरोसे के साथ उनका सामान अपने गंतव्य तक पहुंच रहा है।

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