एक चंदन तस्कर वीरप्पन जिसे पकड़ने के लिए कई राज्यों की पुलिस ने कई सालों तक ऑपरेशन चलाया लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिल पाई थी। आखिर उस वीरप्पन का खात्मा हुआ था जिसने 184 लोगों को मारा था जिसमें से 97 लोग पुलिस के थे। उसी वीरप्पन को अपना हीरो बनाकर एक और शख्स तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के जंगलों में अपना गैंग चला रहा था। जिसकी तलाश में चार राज्य की पुलिस दिन रात पसीना बहा रही थी। जिसे ‘तेलंगाना का वीरप्पन’ कहा जाता था वही कुख्यात वन तस्कर येदला श्रीनिवास उर्फ श्रीनू पुलिस के हत्थे चढ़ गया है।

दो दशकों से पुलिस और वन विभाग के 100 अधिकारी उसे पकड़ने के लिए दिन रात ऑपरेशन चला रहे थे। ‘तेलंगाना का वीरप्पन’ को पकड़ने वाले अधिकारियों के मुताबिक येदला श्रीनिवास उर्फ श्रीनू इतना कुख्यात था की उसने 4 राज्यों के जंगलों में अपना धंदा फैला रखा था। पुलिस ने पेडापल्ली जिले के रामागुंडम में अपना जाल बिछाकर श्रीनिवास को पकड़ा। लकड़ी की तस्करी और वनों की कटाई को लेकर तेलंगाना सरकार के सख्त रवैए के बाद पुलिस ने पहली बड़ी कार्रवाई की है।

अधिकारियों के मुताबिक, पिछले 20 साल से श्रीनिवास संरक्षित जंगलों में पेड़ों की कटाई करा रहा था और लकड़ी की तस्करी में सक्रिय था। उसने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के जंगलों को निशाना बनाया। पुलिस के मुताबिक, श्रीनिवास के अलावा उसके दो मुख्य सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। श्रीनिवास के खिलाफ सिर्फ तेलंगाना में कम से कम 20 मामले दर्ज हैं। बेहद शातिर यह अपराधी अपनी चालाकी की वजह से पुलिस और वन अधिकारियों से बचता रहा। मिसाल के तौर पर वह लकड़ियों को लाने- ले जाने के लिए बैलगाड़ियों का इस्तेमाल करता था, जिनकी अधिकतर चेकिंग नहीं होती थी।

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