अफगानिस्तान में तालिबान के संपूर्ण कब्जे के बाद से दहशत का माहौल बना हुआ है। डर के कारण जहां कई लोग बिना सामान लिए देश छोड़कर भाग रहे हैं वहीं कई लोग घर में दुबके पड़े हैं और इस कारण से देश में काम-काज ठप्प पड़े हैं। ऐसे में अब तालिबानियों के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं।

इसलिए अब तालिबानी अधिकारी यहां के सरकारी कर्मचारी से काम पर लौटने की अपील कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने महिलाओं को भी सरकार का हिस्सा बनने को कहा है।

अफगान स्टेट टीवी को दिए एक साक्षात्कार में तालिबान अधिकारी ने यह भी कहा कि  हम महिलाओं को शिकार नहीं बनाना चाहते बल्कि सरकार में रहने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा भी आगे आएं, हम उन्हें काम करने की पूरी आजादी देंगे। उन्होंने महिलाओं को सुरक्षा का भी भरोसा दिया।

तालिबान ने महिलाओं से सरकार में शामिल होने की अपील करते हुए कहा है कि वे महिलाओं को परेशान नहीं करना चाहते।

काबुल में समावेशी सरकार बनाने पर चल रही है चर्चा
एक अधिकारी ने बताया कि काबुल में समावेशी सरकार बनाने पर चर्चा हो रही है। इस चर्चा में कभी देश की वार्ता परिषद की अध्यक्षता करने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई शामिल हैं। वहीं चल रही वार्ता का मकसद सरकार में गैर तालिबानी नेताओं को भी शामिल करना है।

150 भारतीयों को काबुल से एयरलिफ्ट किया गया
अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत सरकार ने काबुल में स्थित राजदूत रुदेंद्र टंडन और उनके भारतीय स्टाफ को वापस बुला लिया है। वायुसेना का ग्लोबमास्टर C-17 एयरक्राफ्ट काबुल से 150 लोगों को लेकर करीब 11.15 बजे गुजरात के जामनगर पहुंचा। भारतीय राजदूत भी इसी विमान से आए हैं। काबुल से आए इन लोगों के लिए जामनगर में लंच रखा गया था। अब से थोड़ी देर में इन्हें ग्लोबमास्टर C-17 से ही गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस भेजा जाएगा।

भरोसे के बावजूद लोग घर से निकलने से डर रहे
इन भरोसे के बावजूद लोग घर से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। दिल्ली में रह रहे एक अफगान युवा ने कहा कि अफगानिस्तान में युवाओं की जान हमेशा खतरे में रहती है, खासकर युवा महिलाओं की। तालिबान आतंकवादी घरों में घुस जाते हैं, और वे युवा महिलाओं को जबरदस्ती ले जाते हैं। यह पिछले कई सालों से हो रहा है लेकिन सरकार चुप रही। उन्होंने यह भी दावा किया कि सैकड़ों महिलाएं जो युद्ध से बचने के लिए अपने गांव छोड़कर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शहर-ए-नवा पार्क में शरण ली थीं, लापता हो गई हैं।

 

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