आठ हजार सालों से पहले की संस्कृति ! जो कभी ग्रिक, बिझेन्तिन, रोमन, अरब, व्हेनिशिअन, स्लाव्ह और अंत में अटोमन से तुर्की के रूप में आज जाना जाने वाले तुर्कस्थान ! और उसी से लगे हुए सिरिया, लेबनान, तथा इस्राइल और सायप्रस के हिस्से कल 7-8 तिव्रता के भूकंप से ! 1939 के बाद, दस शहरों में, पांच हजार से अधिक इमारतें जमीनदोस्त हो गई है ! जिसमें तुर्की की राजधानी अंकारा गजियांटेप, हते, दियारबकिर, कहरामनमारस, मालट्या, नूरदगी समेत दस शहरों में भारी तबाही हुई है !
तथा सिरिया के दमास्कस, अलेप्पो, लताकिया, होम्स शहरों में इमारतों के गिरने की खबर है ! कि सायप्रस, लेबनान और इस्राइल में भी भुकंप के झटके महसूस किए गए हैं ! बारह घंटे में तीन बार भुकंप के झटके महसूस किए गए हैं ! पहला तुर्की के समय के मुताबिक सुबह करीब चार बजे! (7-8)और दूसरा करीब सुबह दस बजे और तीसरा दोपहर तीन बजे और सबसे हैरानी की बात 78 आफ्टर शॉक्स दर्ज किए गए हैं ! भले ही तुर्की के मरने वालों की संख्या 1,651 बताया जा रही है लेकिन यह संख्या दस हजार तक पहुंच सकती है !


इस खबर को देखते हुए मुझे हमारे 2010 और 2012 के फिलिस्तीन मुक्ति के लिए निकाला गया कारवाँ ! जो इसी क्षेत्र से होते हुए जाने की बात याद आ रही है ! आजसे दस और बारह साल पहले की हमारी फिलिस्तीन के लिए निकाली गई ! यात्रा का रुट भी लगभग वर्तमान भूकंप ग्रस्त क्षेत्रों से ही होती हुई गई थी ! जैसे भारत की सबसे मशहूर नदियों गंगा – जमुना के तरह ! युफ्रेटिस और टिग्रिस के नदियो क्षेत्र में विकसित संस्कृति जो इराक तथा तुर्कस्थान के क्षेत्र को देखने का अवसर मिला था !


इस कारण आज सुबह से ही मुझे दियारबकिर दमास्कस तथा लताकिया, होम्स अलेप्पो तथा अंकारा, गजियांटेप, कहरामनमारस, मालट्या, नूरदगी समेत अन्य दस शहरों के नाम देखकर तुरंत याद आया ! “कि भूमध्य समुद्र के किनारे स्थित यह संपूर्ण भूमि पर, हमारी यात्रा बसों से गुजरने के समय मैंने महसूस किया कि ! विश्व की सभ्यता के आठ हजार वर्ष से पहले की मानवीय बसावट के ! और दुनिया की पहली लिपि जिसमें काफी सुधार होते-होते तुर्की मेलितुस लिपि ! दुनिया की सबसे सुंदर समझी जाती है ! जो इसवी सन पूर्व 403 में अथेन्स के विद्वानों ने स्वीकार किया है ! और अन्य ग्रिक राज्यों ने भी उसका स्विकार किया है ! और आज ग्रिक लिपि के नाम पर पहचानी जाने वाली लिपि का जन्म तुर्की के भूमि पर हुआ है ! और यह सब कुछ देखते हुए मुझे अपने शरीर पर रोमांचक अनुभव हो रहा था ! और हम आज विश्व के सब से पुराने इलाके में से गुजर रहे हैं ! हम लोग दियारबकिर तथा दमास्कस के मध्यवर्ती इलाके में एक पुल के एक तरफ लिखा है वेलकम टू यूरोप और दुसरी तरफ लिखा है वेलकम टू एशिया , मतलब एशिया मायनर की जगह !


लताकिया सिरिया का एकमात्र बंदरगाह का शहर में हमें एक सप्ताह से भी अधिक समय ठहरना पड़ा है ! अंकारा जो तुर्कस्थान की राजधानी का शहर 1923 में अतातुर्क केमाल पाशा ने, शतकों से इस्तंबूल की राजधानी को ! जो तुर्कस्थान के एक किनारे स्थित थी ! दुनिया के दक्षिण पश्चिमी तथा पूर्व के ब्यापार के रास्ते पर, स्थित अंकारा में राजधानी लाकर रखने का एतिहासिक काम किया है ! और मुझे अपने जीवन का पहला हार्ट अ‍ॅटॅक इस्राइल की एंबेसी के सामने प्रदर्शन करते हुए अंकारा में ही 2012 के मार्च में आया था ! और तुर्की सरकार का मेहमान के रूप में मुझे बायपास सर्जरी के लिए सरकारी अस्पताल में लेकर गए थे ! तो मैंने खुद अॉपरेशन टेबल पर होश आने के बाद अचानक ही देखा तो मैं अॉपरेशन टेबल पर हूँ, और डाक्टर लोग हाथों में ग्लोब पहने हुए और अॉपरेशन के औजारों के साथ खडे होकर कुछ तुर्की में बातचीत कर रहे थे ! उठकर सर्जरी करने वाले लोगों को काफी मुश्किल से समझाया कि मै भी डॉक्टर हूँ और मुझे विश्वास है कि मेरा अभि बायपास सर्जरी का समय नहीं आया है ! यह बात बड़ी मुश्किल से मनाने के बाद ! और अंडरटेकिंग लिखने के बाद ही ! मुझे बगैर अॉपरेशन ! अस्पताल से अपने साथियों के साथ भेजा गया है !


आज वह सब मलबे में तब्दील होकर, देखकर बहुत ही दुख हो रहा है ! शायद विश्व की संस्कृतियों का नष्ट होने और पुनः निर्माण होने की प्रक्रिया ऐसी ही रही है ! कभी अस्मानी संकटो के कारण तो कभी सुल्तानी संकटों के कारण !
कोई भी अधिकृत धर्म स्थापन होने के पहले की सभ्यता ! ( विश्व का पहला स्थापित धर्म आजसे साडे सात हजार साल पहले यहुदी धर्म है ! ) पहले सुल्तानी संकट के कारण ! जो बाद में भले ही कम-से-कम दस विभिन्न साम्राज्यों के अधिन होने के समय ! युध्दो में ध्वस्त होने और बनने की प्रक्रिया में शामिल रही है ! और अभी ताजा तथाकथित इसिस के ! इस्लामिक लिव्हेंट के नाम पर किया जा रहा युद्ध भी, इसी भूमि पर लडा जा रहा है ! और लताकिया, होम्स, अलेप्पो और दमास्कस भी इस युद्ध की चपेट में आने के कारण काफी तबाही हुई है !
और अब अस्मानि संकट के कारण ! भूकंप ने रही-सही कसर पूरी कर दी है ! इसी भूमि पर ग्रिक कवी होमर और इतिहासकारों में से एक हिरोडट दोनों भी इसी भूमि पर पैदा हुए हैं ! जुलियस सिझर ने “मै आया देखा और जिता !” यह विश्व प्रसिद्ध वाक्य इसी क्षेत्र को देखते हुए लिखा है ! और अॅटंनीने अपनी लाडली क्लिओपात्रा को इसी पस्चिम किनारे स्थित भूमध्य समुद्र का सबसे सुंदर हिस्सा शादी में दहेज के रूप में दिया है !


सोलहवीं शताब्दी में बॉस्फरस की खाडी पर पूल तैयार करके ! युरोप और एशिया को जोड़ने की परियोजना इटली के लियोनार्दो दा व्हिंची ने की थी ! लेकिन उसे पूरा होने के लिये बिसवी शताब्दी का समय लगा ! सत्रहवीं शताब्दी में व्हिएन्ना की लड़ाई हारने के बाद, अॉटोमन सैनिकों ने अपने साथ लाई हुई कॉफी की थैलियां वहीं छोड़कर भागने के कारण ! युरोपीयन लोग कॉफी पिने के लिए सिखे है ! और उन्नीसवीं शताब्दी में लेडी मॉंटेग्यू के बेटे को माता के बिमारी से बचाने का काम तुर्की के डॉक्टरों ने ही किया है ! माता की बिमारी का टिका पहली बार युरोपीय देशों में तुर्की के द्वारा इजाद करने के बाद पहुंचा है ! (और यह नाम डॉ. जेन्नर है ! ) और विश्व प्रसिद्ध परिचारिका फ्लारेन्स नाईटिंगल इस्तंबूल के अस्पताल में काम करती थी ! और युरोपीय देशों में दही को योगर्ट क्यों बोला जाता है ? यह शतप्रतिशत तुर्की शब्द हैं !


यह सब लिखने का कारण, मै अभी-अभी मेरठ से दिल्ली तक कि नफरत छोडो यात्रा में शामिल था ! और हमारे यात्रा में मेरठ तथा गाजीपुर के पड़ावों में, एक पूर्व पुलिस अधिकारी ! जिसने कभी मेरठ तथा मलियाना के दंगों के सिलसिले में, कोर्ट केस जितने कि महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होने के बावजूद ! उन्होंने एक मदरसा के कार्यक्रम में इस्लाम और आधुनिकता के उपर बोलते हुए ! समस्त इस्लामी संस्कृति को पिछड़ी तथा उसमें किसी भी प्रकार का वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विकास नहीं होने की बात कही थी !


और उन्हें सुनते – सुनते ही मुझे डाॅ. सैम्युअल हंटिग्टन की किताब ‘द क्लॅश अॉफ सिविलायजेशन’ में अमेरिकी जांच एजेंसी, सी आई ए के षडयंत्र के तहत, समस्त इस्लामी संस्कृति को बदनाम करने की बात याद आ रही थी ! इस्लाम का वैज्ञानिक अनुसंधान में एक हजार से अधिक शोध करने का ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद रहते हुए ! युरोपीय मिडिया के द्वारा इस्लाम के खिलाफ बदनामी की मुहिम फैलाने के कारण ही ! हमारे तथाकथित सेक्युलर साथियों की भी धारणाओं को देखते हुए मै हैरान हूँ ! और सुना है कि यह सज्जन आजकल प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं ! और वह कभी वर्धा के महात्मा गांधी आंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के व्हाईस चांसलर भी रहे हैं ! कम्युनिस्ट फिलासफी में डी कास्ट डी रिलीजन तथा डी क्लास और मै डी मॅन तथा डी वुमेन भी जोडता हूँ ! जो इन्हें होने की आवश्यकता है !


खैर मुख्य बात आज 1939, मतलब दुसरे महायुद्ध के साथ – साथ ! इस क्षेत्र में इसी स्केल का ( 7-8) भूकंप आया था ! और पचास हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी ! और अभी तक कोई जानकारी पुख्ता आई नहीं है ! लेकिन अभी भी इसी क्षेत्र की हजारों की संख्या में, बहुमंजिली इमारतों के पत्ते के महल जैसे धराशायी होने की खबरों को देखते हुए ! लगता है कि, मरने वालों की संख्या काफी अधिक होने की संभावना है ! यह क्षेत्र सुल्तानों के लडाईयो के कारण दस हजार वर्ष से सतत विभिन्न प्रकार के युद्धों में लिप्त होने के बावजूद ! राख से निकलकर फोनिक्स पक्षी की भांति पुनः निर्माण होता रहा है ! और अब अस्मानी संकट के कारण फिर तबाही हुई है ! लेकिन इस क्षेत्र के लोगों की जिजीविषा के बारे मे मुझे उम्मीद है ! “कि यह पुनः फोनिक्स पक्षी की कहानी के जैसे भूकंप के झटके के कारण खंडहरों से पुनः निकल कर निर्माण कार्य में सफलता हासिल करेंगे !” और इस हादसे में मौत की कगार पर चलें गए सभी लोगों को भावभीनी श्रद्धांजली अर्पण करते हुए इस लेख को समाप्त कर रहा हूँ !


डॉ सुरेश खैरनार, 7 फरवरी 2023, नागपुर

 

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