दो साल हो गए तबादले को, नहीं कर रहे रिलीव

साहब और बाबू के बीच बेहतर तालमेल की दो ही वजह होती हैं, पहला दोनों के बीच काम की अंडर स्टेंडिंग और दूसरा ऊपरी काम में दोनों की साझेदारी। ऐसी जोड़ी के टूटने का एक डर यह भी बना रहता है कि दूसरा व्यक्ति दोनों के बीच के काले अध्याय को कहीं और उजागर न कर दे। ऐसे ही हालात राजधानी से दूर स्थित एक जिले में बने हुए हैं। जहां तबादला होने के दो बरस गुजर जाने के बाद भी एक बाबू को रिलीव करने की हिम्मत यहां के कार्यपालन यंत्री नहीं जुटा पा रहे हैं।

मामला धार जिला मुख्यालय स्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग का है। सूत्रों का कहना है कि यहां पदस्थ लिपिक शिव मेहता का करीब दो साल पहले का स्थानांतरण बड़वानी हुआ था। नियमानुसार एक निश्चित समयावधि में मेहता को अपने मौजूदा कार्यालय से रिलीव होकर पदास्थापना किए गए नए कार्यालय में आमद दर्ज कराना थी।

किसी विशेष कारण के चलते कुछ समय आगे-पीछे करने का विभागीय अधिकार भी संबंधित अधिकारियों को रहता है। लेकिन करीब दो साल गुजर जाने के बाद भी मेहता अब भी अपने पुराने कार्यालय में ही सेवाएं दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मेहता को रिलीव न करने के पीछे विभाग के कार्यपालन यंत्री संजय सोलंकी का उनसे विशेष प्रेम है, जिसके चलते वे नियमों को बला-ए-ताक पर रखकर मुख्यालय के स्थानांतरण आदेश को फाइलों में दबाए बैठे हैं।

मामला बड़े भ्रष्टाचार का
सूत्रों का कहना है कि आरईएस विभाग में लंबे समय से घपले-घोटालों की लंबी दास्तान जारी है। इस काम को आगे बढ़ाने में कार्यपालन अधिकारी और लिपिक की जुगलजोड़ी की विशेष भूमिका बताई जा रही है। यहां से होने वाले निर्माण और अन्य कामों में होने वाले लेनदेन में भी दोनों की मिलीभगत बनी रहने की खबरें हैं। लंबे समय से साथ काम करने के चलते अधिकारी और बाबू के बीच कई ऐसे मामले भी बताए जा रहे हैं, जिनके बाहर आने से दोनों के लिए खतरे की घंटी बज सकती है।

संभवत: इसी के चलते कार्यपालन अधिकारी अपने अधीनस्थ लिपिक को तबादला आदेश के बावजूद रिलीव करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि मामले को लेकर राजधानी मुख्यालय में इस बात की खोजबीन शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि जल्दी ही आला अफसरों के आदेश की अव्हेलना के मामले में लिपिक से सवाल किए जा सकते हैं। साथ ही कोताही बरतने वाले साहब को भी कारण बताओ सूचना पत्र जारी हो सकता है।

साहब बच रहे बात करने से
इस मामले में कार्यपालन अधिकारी संजय सोलंकी से चर्चा करना चाही तो वे बात करने से बचते रहे। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया और न ही मैसेज द्वारा ही अपना पक्ष रखने में कोई रुचि दिखाई।

खान अशु

भोपाल

Adv from Sponsors