कई साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे पीएम मोदी ने अपने ही राज्य में विकास की ऐसी नींव रखी है कि वहां दूसरे प्रांतों से आकर काम कर रहे मजदूरों को वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है. जबकि गुजरात की कई बडी कंपनियां इन्हीं मजदूरों की दम पर चल रही हैं. दरअसल, इसकी वजह है साबरकांठा जिले के ढूंढ़र गांव में एक परप्रांतीय श्रमिक द्वारा एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में पकड़ा जाना. इस घटना के बाद ठाकोर सेना ने परप्रांतियों पर हमले बोलना शुरू कर दिया. उनके घर, उनके कार्यालय, उनके फैक्ट्रियों में घुस-घुस कर उन्हें मारना शुरू कर दिया.
इस डर के कारण परप्रांतियों ने वहां से पलायन करना शुरू कर दिया है. इसके बाद अहमदाबाद जिले के चांदकोर, मुरैया, सानंद, ये ऐसे गांव हैं, जहां बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं. वहां करीब दो लाख परप्रांतीय काम करते हैं. वे सारे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान से आते हैं. ठाकोर सेना के डर से 60 प्रतिशत लोग पलायन कर चुके हैं. जो बाकी बचे हैं, वे घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं और फैक्ट्रियों में मजदूर नहीं रहने के कारण फैक्ट्रियां बंद पड़ी हुई हैं.
गुजरात में हमेशा से परप्रांतीय मजदूर जाकर काम करते रहे हैं लेकिन ये पहला मौका है कि ठाकोर सेना के आतंक के चलते उन्हें पलायन करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. गुजरात में भी भारतीय जनता पार्टी पिछले 25 साल से राज कर रही है. लेकिन अपने ही नागरिकों को वह गुजरात में सुरक्षा नहीं दिलवा पा रही है. भाजपा की सरकार होने के कारण कोई भी किसी के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है.
महाराष्ट्र के मुंबई में जब उत्तर भारतीयों पर हमले होते हैं या ठाकरे बंधु जब उनके खिलाफ आग उगलना शुरू कर देते हैं, तो पूरे बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के नेता उन ठाकरे बंधुओं को ललकारते दिखाई देते हैं. इस बार इन सारे नेताओं के मुंह पर ताले लग गए हैं, क्योंकि बात गुजरात की है.
यदि वे गुजरात के लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाते हैं, और गुजरात में उनके अपने भाईयों पर हो रहे हमले को रोकने की बात करते हैं, तो उन्हें डर है कि कहीं न कहीं गुजरात के कानून व्यवस्था की पोल खुल जाएगी. गुजरात की पोल खोलने का मतलब है अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की नाराजगी झेलना. यह कोई नहीं करना चाहेगा. इसलिए तमाम भाजपा शासित राज्यों के नागरिक गुजरात में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं.