सोमवार सुबह 10.44 बजे ओड़ीशा तट पर स्थित चांदीपुर टेस्ट रेंज से भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया. रूस की मदद से बनाई गई ब्रह्मोस मिसाइल के इस परीक्षण का मकसद था, इसकी मियाद 10 से बढ़ाकर 15 साल करना. गौरतलब है कि 2007 से ही भारतीय सेना सतह पर मार करने वाली इस ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग कर रही है. सेना के पास फिलहाल इसकी तीन रेजिमेंट हैं. इस परीक्षण के बाद डीआरडीओ की एक अधिकारी ने कहा कि सतह और जल पर मार करने वाली इस मिसाइल का इस्तेमाल थल सेना और जल सेना पहले से ही कर रही हैं और इसके एयरफोर्स वर्जन का भी सफल परीक्षण हो चुका है.
इस परीक्षण के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर ब्रह्मोस टीम और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानि डीआरडीओ को बधाई दी है. इसे लेकर किए गए अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा- इस तकनीक के सफल परीक्षण से मिसाइल को जल्द बदलने से बढ़ने वाली लागत में कमी आएगी. डीआरडीओ के अनुसार, जून 2016 से भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण प्रणाली विकसित कर ली है. जिससे मिसाइल की रेंज 400 किलोमीटर से बढ़ाकर 800 किलोमीटर की जा सकती है.
ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग वेरियंट सतह, हवा और समुद्र से मार कर सकते हैं. भारतीय वायुसेना दुनिया की ऐसी पहली वायु सेना है, जिसके जंगी बेड़े में ब्रह्मोस जैसी मिसाइल है. इसकी स्पीड 2.8-3.0 मैक (3675-3430 किमी/घंटा) है. गौरतलब है कि भारत ने नवंबर 2017 में दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का टेस्ट किया था. इस मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में टारगेट को कामयाबी से हिट किया था. इसी साल मार्च में सतह पर मार करने वाली मिसाइल की रेंज 290 किमी से बढ़ाकर 400 किमी की गई थी.