भोपाल। सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है… के हालात से शहरवासी इन दिनों गुजर रहे हैं। बारिश के ब्रेक और गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों से ये परिस्थितियां बनी हुई हैं। सरकारी बे परवाहियों का नतीजा यह है कि शहर में दमा, फेफड़े, इन्फेक्शन, एलर्जी समेत कई बीमारियों के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।

नए शहर के एमपी नगर क्षेत्र से लेकर पुराने शहर के भोपाल टॉकीज इलाके एक समान बने हुए हैं। बारिश के ब्रेक के बाद यहां सड़कों पर जमी हुई कीचड़ ने मिट्टी और धूल कणों का रूप ले लिया है। जिनपर वाहनों की आवाजाही से शहर में धूल के गुबार बन रहे हैं। दो पहिया वाहन चालकों के लिए इन हालात से सबसे ज्यादा परेशानी बनी हुई है।

गड्ढों और खुदी सड़कों से बिगड़े हालात
कमोबेश शहर की अधिकांश सड़कों पर इन दिनों गड्ढे नजर आ रहे हैं। इनसे निकली मिट्टी और गिट्टी के कण हवाओं में तैर रहे हैं। सीएम की नाराजगी के बावजूद सड़कों की मरम्मत की तरफ नगर निगम की लापरवाही बनी हुई है। नए शहर में एमपी नगर से जुड़ने वाली और यहां से गुजरने वाली सड़कों पर जारी मेट्रो कार्य ने इस स्थिति को बढ़ा रखा है। जबकि सुभाष नगर क्षेत्र में ब्रिज निर्माण कार्य से हालात बिगड़े हुए हैं। रायसेन रोड पर सड़कों की यही स्थिति बनी हुई है। जबकि पुराने भोपाल के हमीदिया रोड, सुल्तानिया रोड़, भानपुर, हलालपुर से लेकर हर सड़कों पर उड़ते धूल के गुबार दिखाई दे रहे हैं।

बढ़ रही बीमारियां
राजा भोज हॉस्पिटल के सीनियर डॉ जिया उल हसन का कहना है कि लगातार धूल भरी सड़कों पर सफर करने के कारण लोगों को फेफड़ों की बीमारी हो रही है। धूल कणों से इन्फेक्शन, एलर्जी, अस्थमा और आंखों की बीमारियां भी हो रही हैं।

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