मध्य प्रदेश में आज से विधानसभा सत्र शुरूअ होना है और प्रशासन द्वारा विधानभवन के आसपास धरना रैली प्रदर्शन की मनाही है।
सुना था विधानसभा में जनता से जुड़े मुद्दों पर बात होती है उनका निराकरण किया जाता है न होने पर विपक्ष सवाल करता है।
अब यहाँ सवाल ये उठता है कि जिनकी समस्याओं के हल के लिये विधानसभा का सत्र किया जा रहा है वो अपनी आवाज़ नहीं उठा पायेंगे धरना नहीं दे सकेंगे देंगे रैली नहीं निकाल सकेंगे यानी किसी प्रकार का वहाँ प्रदर्शन नहीं कर पायेंगे तो किस बात का सत्र और किस बात की सरकार और किस बात का विपक्ष?
और किस बात के सत्र के लिये होने वाले करोड़ों का खर्च!
हद हो गई भई! अब बंद भी करो ये ड्रामा ! ये लोकतांत्रिक ढोंग! ये जन सेवा का दिखावा!
बता दो जनता को कि इन बातों की आड़ में हम विधायक निधि बढ़वाते हैं कर्मचारियों की पेंशन बंद करके अपनी पेंशन बढ़वाते हैं। ग़रीबों के घरों को उजाड़ के विधायकों की कालोनियाँ बनवाने के प्रस्ताव पास कराते हैं शिकायत ट्रांसफ़र के नाम पर नूरा कुश्ती करते हैं और हराम कमाई आपस में बाँट लेते हैं। बता दो न कि हम जनता के मुद्दों पर नहीं विकास पर नहीं योग्यता पर नहीं लड़ते ! हम मंदिर मस्जिद पर लड़ते हैं हम हिंदू मुसलमान पर लड़ते हैं हम पास में एक हैं और जनता में जाती ऊँच नीच का भेद पैदा करके अपना उल्लू सीधा करते हैं और विधानसभा से निकलकर किसी बंगले पर या विधायक विश्रामगृह में या किसी फ़ार्म हाउस पर इकट्ठे होकर आपस में एक होकर शराब के गिलास टकराते हैं।
जनता की हंसी उड़ाते हैं और सत्ता और शराब के नशे में सियासत नाम की वेश्या का संभोग करते हैं…
ईश्वर के लिये बंद करो ये नाटक ये बकवास जुमला!
Of the people by the people for the people।
“जनता की जनता द्वारा जनता के लिये सरकार” का झूठा लोकतंत्र को भ्रमित करने वाला मज़ाक़!
विजय तिवारी “ विजय”
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