भोपाल। करीब एक सप्ताह तक मेंटेनेंस के लिए स्टेट हैंगर पर खड़े रहे मप्र शासन के सरकारी विमान ने गुरुवार रात को फिर धोखा दे दिया। रेमडेसिवर इंजेक्शन की खेप लेकर पहुंचा ये विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पर हादसा ग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में प्लेन के पायलट और को पायलट को मामूली चोटें आई हैं।
सूत्रों के मुताबिक इंजेक्शन रेमडिसीवर की खेप लेकर मप्र शासन का सरकारी विमान गुरुवार की रात ग्वालियर पहुंचा था। बताया जा रहा है कि रनवे पर उतरते समय फिसलन के साथ विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में विमान के सीनियर पायलट कैप्टन माजिद अख्तर को पसलियों में चोट आई हैं। जबकि विमान के को पायलट विश्वास कुमार को भी मामूली चोटें आईं हैं। हादसे में विमान को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। दुर्घटना का कारण विमान के इंजन में आई तकनीकी त्रुटि बताई जा रही है। जिसके चलते इसका सुधार कार्य ग्वालियर एयरपोर्ट पर ही करवाना पड़ेगा। इसके बाद ही ये अगली उड़ान के लिए तैयार हो पाएगा।
करीब एक सप्ताह चला था मेंटेनेंस
जानकारी के मुताबिक करीब एक साल पहले विदेश से आयातित किए गए करीब 65 करोड़ रुपए कीमत के इस विमान को पिछले सप्ताह ही मेंटेनेंस के लिए खड़ा किया गया था। 100 घंटे की उड़ान भरने के बाद होने वाली नियमित मरम्मत के बाद इसको एक दो दिन पहले ही उड़ान के योग्य करार दिया गया था। जिसके बाद ये प्रदेश के विभिन्न शहरों में इंजेक्शन रेमडिसीवर, वैक्सिन और अन्य दवाएं पहुंचा रहा है।
स्टेट हैंगर के चीफ इंजीनियर और क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर ओपी शर्मा से इस बारे में संपर्क किया गया तो उनसे बात नहीं हो पाई। हालांकि ग्वालियर एयरपोर्ट सूत्रों ने इस हादसे की पुष्टि की है।
एक्सपर्ट की राय : कैसे हुआ हादसा : पिछले पहियों के जाम होने से बने विमान पलटने के हालात
एयरफोर्स के तेज रफ्तार विमानों के उतरने के लिहाज से बने रनवे पर सामान्य जहाज के उतरने के दौरान कई एहतियात रखना होते हैं। उसमें होने वाली छोटी सी चूक भी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। गुरुवार की रात स्टेट हैंगर प्लेन के साथ भी ऐसी ही स्थिति बनी होगी। विमान के पिछले पहियों के जाम होने की वजह से इसके पलटने जैसी हालत हुई है।
मप्र सरकार के विमानन विभाग में चीफ पायलट रहे विशेषज्ञ कहते हैं एयरफोर्स के रनवे और सामान्य हवाई पट्टी में काफी अंतर होता है। इन दोनों स्थानों पर उतरने वाली फ्लाइट की रफ्तार में भी काफी फर्क होता है। वे कहते हैं कि रफ्तार की इस घट बढ़ में होने वाली चूक ही किसी हादसे की वजह बनती है। वे कहते हैं कि गुरुवार को हुए हादसे की वजह इसके पिछले पहियों के जाम हो जाना हो सकता है। मेंटेनेंस की कमी भी इसका कारण मानी जा सकती है।
तब हादसा होते बच गया था
पूर्व चीफ पायलट बताते हैं ग्वालियर एयरपोर्ट पर इससे पहले भी एक बड़ा हादसा होने से टल गया था। सरकारी विमान में तत्कालीन राज्यपाल स्व रामनरेश यादव और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद थे। राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य वाली सभा के लिए पहुंचे मेहमानों को लेकर ग्वालियर एयरपोर्ट पर फ्लाइट उतरने ही वाली थी। इसी दौरान हवाई पट्टी पर तेजी से एयरफोर्स की एक जीप आ गई। पायलट ने तत्काल निर्णय लेते हुए विमान को एक बार फिर गति देकर रनवे से फिर उड़ा दिया। अगर उस समय तत्काल विमान न उड़ाया जाता तो विमान बड़ी दुर्घटना का शिकार हो सकता था।
मेंटेनेंस की चूक का नतीजा
करीब एक सप्ताह तक मेंटेनेंस के लिए खड़े रहे विमान में तकनीकी कमियां रह जाना विभाग की लचर व्यवस्था का परिणाम माना जायेगा। जानकारी के मुताबिक नियमित जांच और सुधार के दौरान विमान की छोटी बड़ी सभी त्रुटियों को चेक किया जाता है। लेकिन इस दौरान कमियों का बाकी रह जाना कभी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकता है।
फिर किराए के प्लेन के भरोसे सरकार और व्यवस्था
महामारी के इस दौर में सरकारी विमान कई बड़े और जरूरी काम निपटा रहा है। ऐसे समय में इसके दुर्घटना ग्रस्त हो जाने से यातायात और परिवहन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में विकल्प के तौर पर विमान किराए पर लेने की मजबूरी सरकार के सामने बन गई है। इससे पहले विमान के मेंटेनेंस के दौरान भी राज्य सरकार को दमन और जयपुर से निजी एयरलाइंस से किराए के विमान बुलाना पड़े थे। आम दिनों में लगने वाला करीब 3 लाख रुपए प्रति घंटा किराया भी फिलहाल दोगुने दाम पर भी मुश्किल से मिल पा रहा है।