उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण की सियासी जंग की पटकथा ब्रजभूमि मेंं लिखी जाएगी. तीसरे चरण में 24 अप्रैल को 12 सीटों पर मतदान होगा. राजनीतिक धुरंधरों, उनकी बहू-बेटी, एक सिने-तारिका के अलावा कभी समाजवादी पार्टी के लिए अमर कथा लिखने वाले एक नेता जी की भी अग्निपरीक्षा होगी. भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां सपा ने 12 में से चार, कांगे्रस ने तीन, राष्ट्रीय लोकदल ने दो और भाजपा-बसपा ने एक-एक सीट पर फतह हासिल की थी. 24 अप्रैल को आगरा (सुरक्षित), फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, हाथरस(सुरक्षित), एटा, हरदोई (सुरक्षित), फर्रुखाबाद, इटावा(सुरक्षित), कन्नौज और अकबरपुर में मतदान होगा. फिरोजाबाद एवं हाथरस ऐसे संसदीय क्षेत्र हैं, जिनके मौजूदा सांसद इस बार मैदान बदल कर ताल ठोंक रहे हैं. फिरोजाबाद के सांसद एवं गुजरे जमाने के फिल्म स्टार राज बब्बर इस बार गाजियाबाद और हाथरस की मौजूदा रालोद सांसद सारिका सिंह बघेल सपा के टिकट पर आगरा से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं एटा के सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अपनी जगह बेटे को चुनाव मैदान में उतारा है.
इन 12 सीटों पर अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रमुख चेहरों में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव मैनपुरी, उनकी बहू एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज, सपा महासचिव एवं मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव फिरोजाबाद से, अमर सिंह रालोद के टिकट पर फतेहपुर सीकरी, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हेमामालिनी भाजपा के टिकट पर मथुरा, अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी, कांगे्रस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद फर्रुखाबाद, बसपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य मैनपुरी आदि शामिल हैं. यहां आम आदमी पार्टी ने पूर्व नौकरशाह बाबा हरदेव को सपा प्रमुख को चुनौती देने के लिए उतारा है. फतेहपुर सीकरी में बसपा नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी एवं मौजूदा सांसद सीमा उपाध्याय की टक्कर रालोद के अमर सिंह से बताई जा रही है. सपा प्रमुख मुलायम सिंह के प्रधानमंत्री बनने का सपना कितनी दूर तक जा सकता है, यह मैनपुरी और उसके आसपास की 12 सीटों के संकेत से काफी कुछ तय हो जाएगा.
ब्रज क्षेत्र की सियासी गणित काफी उलझी हुई है. जाट बाहुल्य इस इलाके में राष्ट्रीय लोकदल भी एक फैक्टर की तरह मौजूद है. आम आदमी पार्टी को लोग तरजीह तो दे रहे हैं, लेकिन वोटकटुआ से अधिक नहीं. वैसे उसने यहां कई अच्छे उम्मीदवार उतारे हैं. समीकरणों को समझना आसान न होगा. पिछले दो सालों में सियासी चक्रवात रुख बदल रहे हैं. मथुरा सीट से पिछली बार भाजपा के गठबंधन से जीते रालोद नेता एवं चौधरी अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी के रास्ते में इस बार भाजपा ने ही सिल्वर स्क्रीन की बाधा खड़ी कर दी है. जयंत के समर्थक हेमा का विरोध बाहरी बताते हुए कर रहे हैं, लेकिन रालोद की चुनौती कम नहीं हो रही है. जयंत को मोदी की हवा और हेमा के कद ने परेशान कर रखा है. मथुरा में क्या होगा, यह चौक-चौराहों और पान की दुकानों पर चर्चा का विषय बना हुआ है. कांगे्रस गठबंधन के साथ मैदान में उतरी रालोद ने कांगे्रस सरकार द्वारा दिए गए जाट आरक्षण को मुद्दा बनाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने उसकी हवा निकाल दी. बसपा के योगेश द्विवेदी, सपा के चंदन सिंह और आप के अनुज मथुरा की लड़ाई अपने हिसाब से रोचक बनाए हुए हैं.
देश भर के लोग आगरा के फतेहपुर सीकरी में इबादत करने आते हैं. यहां शेख सलीम चिश्ती की विश्व प्रसिद्ध दरगाह पर मत्था टेकने वालों का हुजूम लगा रहता है. रालोद नेता अमर सिंह ने भी यहां आकर मत्था टेककर जीत की दुआ ज़रूर मांगी होगी. अमर सिंह यहां से बसपा की मौजूदा सांसद सीमा उपाध्याय को परास्त करके मायावती और सपा की रानी पक्षालिका सिंह को हराकर मुलायम से अपना हिसाब बराबर करना चाहते हैं. अमर सिंह भले ही रालोद के टिकट से मैदान मे हों, लेकिन आज भी उनकी पहचान यही है कि कभी उनके इशारे पर सपा सरकार चलती थी. इस बार अमर सिंह के सारथी बने हैं रालोद के अजित सिंह, जिनके गुणगान करते वह थक नहीं रहे हैं. रालोद के जाट वोट बैंक की अच्छी मौजूदगी और ठाकुर बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अमर सिंह को अपनी राह में कोई रुकावट नहीं नज़र आ रही है. सपा ने भदावर राजघराने की रानी एवं प्रदेश के मंत्री अरिदमन सिंह की पत्नी पक्षालिका सिंह को उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया. बसपा प्रत्याशी एवं वर्तमान सांसद सीमा उपाध्याय का अपना गणित है. वह अपने हिसाब से जाति का गुणा-भाग कर रही हैं. रालोद प्रत्याशी के लिए जाट वोट बैंक की मुश्किल खड़ी की है भाजपा के चौधरी बाबूलाल ने और मोदी लहर उनके रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है.
आगरा की सीट पर इस बार मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद रामशंकर कठेरिया, बसपा के श्रीनारायण सिंह, कांगे्रस के उपेंद्र जाटव, सपा के महाराज सिंह और आप के रवींद्र के बीच है. आगरा की सीट पर भाजपा का खासा प्रभाव है, तो बसपा का वोट बैंक भी यहां कम नहीं है. फिरोजाबाद में सपा के थिंक टैंक प्रो. रामगोपाल के पुत्र अक्षय यादव मैदान में हैं, जिनसे मुकाबले के लिए भाजपा ने बसपा के कद्दावर नेता एवं राज्यसभा सदस्य एसपी सिंह बघेल को पार्टी में शामिल कर मैदान में उतारा है. बघेल सपा और बसपा होते हुए भाजपा में आए हैं और सपा-बसपा से सांसद रह चुके हैं. बसपा और सपा की काट क्या है, यह बघेल अच्छी तरह जानते हैं. कांग्रेस ने उद्योगपति अतुल चतुर्वेदी और बसपा ने ठाकुर ब्रजराज सिंह के पुत्र डॉ. विश्वदीप सिंह को मैदान में उतारा है, जिनकी नज़र ठाकुर वोट बैंक पर है.
एटा से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में उनके पुत्र राजवीर सिंह को मैदान में उतारा है, लेकिन साख कल्याण सिंह की दांव पर लगी है. यहां राजवीर की राह रोकने के लिए सपा ने पूर्व सांसद देवेंद्र सिंह यादव और बसपा ने नूर मोहम्मद को उतारा है. यह कुर्मी बाहुल्य इलाका कल्याण सिंह का गढ़ माना जाता है. यहां कांग्रेस का कोई नामलेवा नहीं है और गठबंधन में पार्टी ने यह सीट अपने सहयोगी दल के लिए छोड़ दी है. यहां का सारा ताना-बाना कल्याण के इर्द-गिर्द घूम रहा है. कल्याण को इस क्षेत्र से ज़्यादा से ज़्यादा सीटें भाजपा के लिए जीतकर यह साबित करना होगा कि वह मुलायम का चक्रव्यूह तोड़ने में सक्षम हैं. फर्रुखाबाद में कांगे्रस नेता एवं विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के मुकाबले के लिए भाजपा ने कल्याण के क़रीबी मुकेश राजपूत पर दांव लगाया है. मुकेश को टिकट देने का विरोध भी हुआ था, इसलिए कल्याण को यहां अपनी साख बचानी होगी. मुकेश और राजवीर पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, जिससे भाजपाई जीत को लेकर आशंकित नज़र आते हैं. यहां से बसपा के जयवीर सिंह भी मैदान में हैं. सपा ने भाजपा की राह रोकने के लिए अपनी पहली प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रहे नरेंद्र सिंह यादव के बेटे को टिकट दिया था, लेकिन बाद में एटा ज़िले की अलीगंज सीट से सपा विधायक रामेश्वर यादव को टिकट थमा दिया गया. देश में चल रही कांग्रेस विरोधी लहर से सलमान के माथे पर बल पड़े हैं, वहीं बसपा राजनीतिक गणित बैठाने में लगी है.
हाथरस में बसपा से मनोज सोनी, भाजपा से राजेश दिवाकर, सपा से रामजीलाल सुमन, रालोद से निरंजन सिंह धनगर मैदान में हैं. हाथरस की मौजूदा सांसद सारिका आगरा से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. मैनपुरी में अब कोई चमत्कार न हुआ, तो मुलायम की जीत पक्की है. मुलामय को चुनौती देने के लिए भाजपा ने एसएस चौहान को उतारा है, लेकिन उनके नाम पर पार्टी बंटी हुई नज़र आ रही है. बसपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री डॉ. संघमित्रा मौर्य के जरिये मुलायम को चुनौती दी है, लेकिन संघमित्रा के लिए राह आसन नहीं है. आप ने रालोद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हरदेव सिंह को मैदान में उतारा है. इटावा सुरक्षित सीट सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए नाक का सवाल है. यहां सपा से वर्तमान सांसद प्रेमदास कठेरिया ही प्रत्याशी हैं, जिनसे जनता नाराज़ चल रही है, लेकिन मुलायम और अखिलेश अपना वास्ता देकर मतदाताओं से सपा के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं. भाजपा ने यहां अशोक दोहरे को प्रत्याशी बनाया है, जो हाल में बसपा छोड़कर आए हैं. पार्टी की हरसंभव कोशिश है कि सुखदा मिश्रा के बाद वह मुलायम के गढ़ में एक बार फिर कमल खिलाए, लेकिन मुलायम के धोबी पाट दांव से भाजपाई सहमे हुए हैं. कन्नौज में विकास खूब हुआ है. यहां से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं. उनकी जीत में शायद ही कोई प्रत्याशी बाधा बन पाएगा. हरदोई में सपा ने मौजूदा सांसद ऊषा वर्मा को मैदान में उतारा है. इस बार भाजपा और बसपा दोनों उनका खेल बिगाड़ने में लगे हैं. अकबरपुर सीट इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में दिख रही है. कांगे्रस के मौजूदा सांसद राजाराम पाल को कांगे्रस विरोधी लहर के चलते भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले और सपा-बसपा प्रत्याशियों से पार पाना आसान नहीं लग रहा है.
सपा, हेमा, अमर और जयंत की किस्मत दांव पर
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