नई दिल्ली: भारतीय सेना को जल्द ही ब्रम्हास्त्र मिलने वाला है. सेना को बहुत जल्द अमेरिकी विध्वंसक अपाचे हेलिकॉप्टर मिलने जा रहे हैं। अमेरिका का यह प्राइमरी अटैक हेलिकॉप्टर भारतीय सेना के लिए पश्चिमी सीमाओं पर टैंक युद्ध जैसी स्थिति में काफी अहम भूमिका निभा सकता है। यह हेलीकाप्टर तकनीकी रूप से भारत में मौजूद किसी भी वार हेलीकाप्टर से कहीं ज्यादा उन्नत है. पहाड़ों के बीच उड़ान में काफी सक्षम माने जाने वाले ये हेलिकॉप्टर चीन के साथ युद्ध की स्थिति में भी काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
गुरुवार को थलसेना के लिए 6 अपाचे हेलिकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी गई है। इस हेलीकाप्टर के बारे में कहा जाता है कि यह किसी फ्लाइंग टैंक की तरह होता है जो बिना शोर किए दुश्मन के इलाके में तबाही मचा कर वहां से सुरक्षित निकलने में सक्षम होता है. अमेरिकी सेना ने पहले इराक के खिलाफ ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म और बाद में कुवैत पर हमले के लिए अपाचे हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। उस समय सऊदी अरब के अमेरिकी बेस से उड़ान भरने वाले इस संहारक हेलिकॉप्टर ने पश्चिमी इराक में लगाए गए शुरुआती चेतावनी रेडार सिस्टम को ध्वस्त कर दिया था। इससे अमेरिकी बमवर्षक विमानों का रास्ता साफ हो गया।
1963 में तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल जेएन चौधरी ने सेना के लिए एक एयरविंग की जरूरत पर जोर दिया था। इसमें हमले करने में सक्षम हेलिकॉप्टरों को भी शामिल करने की बात कही गई थी। उन्होंने सेना की गोलीबारी क्षमता और मोबिलिटी बढ़ाने के लिए लाइट, मीडियम और अटैक हेलिकॉप्टरों से युक्त एक अभिन्न एयर विंग की जरूरत की बात कही थी।
हालांकि इसके बाद के वर्षों में आर्मी एविएशन कॉर्प्स की स्थापना तो हुई लेकिन अटैक हेलिकॉप्टर के लिए रास्ता इतनी आसानी से साफ नहीं हुआ। पुराने Mi-35 की जगह लेने वाले अपाचे हेलिकॉप्टरों के कंट्रोल को लेकर एयरफोर्स के साथ थल सेना को विवाद की स्थिति का सामना करना पड़ा। सितंबर 2015 में कैबिनेट की सुरक्षा कमिटी ने भारतीय वायु सेना के लिए 22 अपाचे हेलिकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी।
केंद्र ने यह भी कहा भी था कि भारतीय थल सेना को भी ये अपाचे हेलिकॉप्टर मिलेंगे लेकिन इनके खरीद में देरी हो रही थी। अब गुरुवार को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने थलसेना के लिए छह अपाचे हेलिकॉप्टर के 4,168 करोड़ रुपये के खरीद सौदे को मंजूरी दे दी है। अपाचे हेलिकॉप्टर हासिल होने के बाद जमीनी लड़ाई में सेना की क्षमता में काफी इजाफा होगा।
ये हेलिकॉप्टर रेगिस्तान और अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों की मदद से होने वाले ऑपरेशंस की मारक क्षमता को और बढ़ाएंगे। ऐसी जमीनी लड़ाइयों की स्थिति में भारतीय टैंकों के आगे बढ़ने से पहले अपाचे की मदद से बड़े पैमाने पर दुश्मनों के टैंकों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
अपनी तेज गतिशीलता की वजह से अपाचे दुश्मनों के टैंकों पर ऊंचाई से हमला कर सकते हैं। अपाचे अपनी फेमस हेलफायर मिसाइलों की मदद से शत्रु टैंकों की रेंज के बाहर से भी हमला करने में सक्षम है। हेलफायर मिसाइल का पेलोड इतने उच्च विस्फोटक से युक्त होता है कि शत्रु के बड़े से बड़े टैंक को नष्ट कर सकता है।
इस मामले के एक विशेषज्ञ ने बताया कि टैंकों की टैंक से लड़ाई की तुलना में अपाचे हेलिकॉप्टर दुश्मनों के टैंकों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। अपाचे का दूसरा इस्तेमाल पहाड़ों में दुश्मनों के बंकरों को तबाह करने के लिए भी हो सकता है। हालांकि अपाचे का प्राथमिक इस्तेमाल पश्चिमी सीमा पर होगा, लेकिन लद्दाख और सिक्किम में बंकरों को ध्वस्त करने के ऑपरेशन में भी ये काम आएंगे। हालांकि ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ इन हेलिकॉप्टरों की क्षमता भी घटती जाएगी।
भारतीय सेना को अपाचे हेलीकाप्टर मिलना एक बड़ी उपलब्धि है. इन हेलीकॉप्टरों से युद्ध की स्थिति में निपटने में काफी मदद मिलेगी. डोकलाम में भारत और चीन सेना के बीच काफी लम्बे समय से विवाद चल रहा है ऐसे में अगर भारत की सुरक्षा पर किसी तरह का खतरा मंडराएगा तो ये हेलीकाप्टर मोर्चा संभालने के लिए तैयार रहेंगे.