ज़िले के चोपन थाना अंतर्गत ग्राम बाड़ी में दबंगों के इशारे पर सैकड़ों की भीड़ ने हमला करके दलित महिला शोभा का घर क्षतिग्रस्त कर दिया. हमले में क़रीब 20 महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं. आरोप है कि यह घटना स्थानीय दबंग कलवंत अग्रवाल, डॉक्टर मिश्रा, बीडीसी जसौदा, वन विभाग और डाला पुलिस चौकी प्रभारी विजय यादव के इशारे पर अंजाम दी गई. पुलिस ने आपस में मारपीट का मामला दिखाकर घायल महिलाओं को ही जेल भेज दिया. बकौल शोभा, छह फरवरी की सुबह उपद्रवियों की भीड़ ने उसके घर पहुंच कर बिना वजह हमला कर दिया. भीड़ का नेतृत्व बीडीसी जसौदा कर रही थीं. शोभा का कहना है कि उसके साथ दुष्कर्म करने वाले कलवंत अग्रवाल को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया.

IMG_20150206_123851उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में दलित-आदिवासियों पर असामाजिक तत्वों का कहर जारी है. उस पर कोढ़ में खाज वाली स्थिति यह कि इलाकाई पुलिस के साथ-साथ आला अफसर तक पीड़ितों की मदद करने के बजाय खनन माफिया को खुला संरक्षण दे रहे हैं. इसके चलते इलाके में पुलिस-प्रशासन के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है. यदि समय रहते उत्पीड़न पर रोक न लगाई गई और असामाजिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न की गई, तो स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती है. जानकारी के अनुसार, ज़िले के चोपन थाना अंतर्गत ग्राम बाड़ी में दबंगों के इशारे पर सैकड़ों की भीड़ ने हमला करके दलित महिला शोभा का घर क्षतिग्रस्त कर दिया. हमले में क़रीब 20 महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं. आरोप है कि यह घटना स्थानीय दबंग कलवंत अग्रवाल, डॉक्टर मिश्रा, बीडीसी जसौदा, वन विभाग और डाला पुलिस चौकी प्रभारी विजय यादव के इशारे पर अंजाम दी गई. पुलिस ने आपस में मारपीट का मामला दिखाकर घायल महिलाओं को ही जेल भेज दिया. बकौल शोभा, छह फरवरी की सुबह उपद्रवियों की भीड़ ने उसके घर पहुंच कर बिना वजह हमला कर दिया. भीड़ का नेतृत्व बीडीसी जसौदा कर रही थीं. शोभा का कहना है कि उसके साथ दुष्कर्म करने वाले कलवंत अग्रवाल को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया. आरोप है कि इस हमले के पीछे चोपन थानाध्यक्ष एवं डाला पुलिस चौकी प्रभारी का भी हाथ है. शोभा की शिकायत पर आलाधिकारियों ने जांच तो बैठाई, लेकिन जांचकर्ता अपर पुलिस अधीक्षक ने विरोधियों के पक्ष में रिपोर्ट दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि शोभा के साथ 18 अन्य महिलाओं को भी जेल भेज दिया गया.
हमला यह कहकर किया गया कि शोभा वन भूमि पर काबिज़ है और उसे वहां रहने का कोई हक़ नहीं है. उधर अपर पुलिस अधीक्षक ने यह बयान दिया कि शोभा ने बीडीसी जसौदा से मारपीट की, इसलिए उसके घर पर हमला हुआ. इन दोनों बातों से साफ़ है कि हमला पुलिस और दबंगों की मिलीभगत का नतीजा है, ताकि शोभा को वहां से भागने पर मजबूर कर दिया जाए. शोभा पिछले दस वर्षों से अपने भू-अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है. शोभा चोपन के क्रशर बेल्ट में मज़दूरी करती है और पास ही अपनी झोपड़ी डालकर रहती थी. उसे वहां से हटाने के लिए खनन माफिया कलवंत अग्रवाल ने 2008 में उसके पति को चोरी के आरोप में जेल भिजवाया और फिर घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म किया. वह पुलिस की मिलीभगत से धारा 376 व एससी-एसटी एक्ट में कोर्ट से स्टे ले आया और बेखौफ घूमता रहा. वह शोभा की लड़कियों को भी धमकी देता रहा. दुष्कर्मी कलवंत को गिरफ्तार करने के लिए जून 2014 में चोपन थाने का घेराव किया गया और उसके स्टे को कोर्ट में चुनौती देकर गिरफ्तार कराया गया, लेकिन कुछ ही दिनों में वह छूट गया.
ग़ौरतलब है कि इस मामले में सोनभद्र पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बावजूद कलवंत की छह साल तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई. जिस भूमि पर शोभा का घर है, उस पर वनाधिकार क़ानून 2006 के तहत शोभा ने दावा कर रखा है, जो अभी तक लंबित है. वनाधिकार क़ानून लागू कराने के लिए जनपद के दलित-आदिवासी अर्से से संघर्ष कर रहे हैं. इस सिलसिले में शोभा ने एक मोर्चा बनाया और महिलाओं को बड़े पैमाने पर संगठित करके सामंतों, पूंजीपतियों एवं अपराधियों को चुनौती दी. शोभा को पहले से आशंका थी कि किसी भी दिन उस पर जानलेवा हमला हो सकता है. महिलाओं की इस संगठित ताकत को तितर-बितर करने के लिए डाला पुलिस चौकी इंचार्ज की मदद से शोभा को उसके घर से बेदखल करने की साजिश रची गई, जबकि वनाधिकार क़ानून 2006 की धारा 4 की उपधारा 5 में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि जब भी कोई शख्स इस क़ानून के तहत अपना दावा पेश करता है, तो उसे उसकी भूमि से तब तक बेदखल नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसका दावा निस्तारित न हो जाए. इस क़ानून की अवमानना के ख़िलाफ़ अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं, क्योंकि यह क़ानून वनाश्रित समुदाय के प्रति हुए अन्याय को समाप्त करने के लिए लाया गया है. लेकिन, प्रशासन और भू-माफिया के सहयोग से आएदिन इस क़ानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. दलित-आदिवासी समुदाय ने डाला पुलिस चौकी प्रभारी विजय यादव, चोपन थानाध्यक्ष एवं अपर पुलिस अधीक्षक शंभू शरण यादव को तत्काल निलंबित करने की मांग की है. इसके अलावा शोभा के घर पर हुए हमले की उच्चस्तरीय जांच, गिरफ्तार 18 महिलाओं की बिना शर्त रिहाई, दुष्कर्मी कलवंत अग्रवाल की गिरफ्तारी, शोभा को घर के नुक़सान के बदले 25 लाख रुपये हर्जाना देने और क्षेत्र में दलित-आदिवासियों के भू एवं वनाधिकार सुनिश्‍चित करने की मांग भी प्रदेश शासन के समक्ष रखी गई है.

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